योगी सरकार में अघोषित आपातकाल-मनोज सिंह ‘डब्लू’


बातचीत
-भाजपा ने कागज पर रोजगार और सपने में दिखाया क्योटो शहर


-सिस्टमेटिक प्लान होता तो श्रमिक पैदल घर को नहीं चलते


-भाजपा सांसद होने के बाद भी उपेक्षित है धान के कटोरे का शहर


-पीएम के लिए नमस्ते ट्रंप जरुरी था देश का प्रत्येक व्यक्ति नहीं 



अश्वनी कुमार श्रीवास्तव
वाराणसी। चंदौली के सैयदराजा विधान सभा क्षेत्र से वर्ष 2012 में निर्दल चुनाव जीतकर विधान सभा ही नहीं बल्कि चंदौली के विभिन्न क्षेत्रों में भी विकास की बयार बहाने वाले वर्तमान में पूर्व विधायक मनोज सिंह ‘डब्लू’ मंगलवार को जनंसंदेश टाइम्स के कार्यालय में थे। कोरोना काल से लगायत श्रमिकों पर भी भाजपा सरकार की ओर से की जा रही राजनीति और विपक्ष दल के शीर्ष नेताओं की देश हित में दी जाने वाली नसीहत को नजरअंदाज किए जाने पर बेबाकी से अपनी बात रखते रखी। 
उत्तर प्रदेश में चंदौली को धान का कटोरा भी कहा जाता है। लेकिन वहां के किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या पानी की है। जिस पर विधायक रहते हुए मनोज सिंह ने कई सकारात्मक निर्णय लिया और किसानों की समस्या को सत्ता दल के शीर्ष नेताओं तक इस बात को पहुंचाते हुए क्षेत्र में कैनाल की व्यवस्था की, इतना ही नहीं बल्कि अपने विधान सभा के अलावा परिवार के अन्य लोगोें के क्षेत्र में भी इस वादे को बखूबी निभाते हुए पानी की समस्या को बहुत हद तक कम किया। मनोज का कहना है कि उनकी कई योजनाएं ऐसी हैं जो सत्ता परिवर्तन होने के कारण अभी तक पूरी नहीं हो पायी, जिसके लिए वह प्रयासरत है। अपनी बात को रखने वाले पूर्व विधायक मनोज से बातचीत के कुछ अंश



मनोज जी कोरोना काल ने नेताओं को कितना बदल दिया है। नई चुनौतिंया क्या है? 
कोरोना पर अपने पीएम स्वयं ही बदल गए हैं, विपक्ष दल के शीर्ष नेता की ओर से जब जनवरी में ही कोरोना को लेकर आगाह किया गया तो उस बात को तवज्जो नहीं देकर नमस्ते ट्रंप पर हमारे पीएम विश्वास करने लगे। एक नमस्ते ट्रंप ने पूरे देश को किसी भी तरह से नमस्ते ना करने पर विवश कर दिया। हालांकि हमारे देश की भागौलिक स्थिति पश्चिमी देशों की अपेक्षा बेहतर है। इसलिए इस कोरोना से हमें डरनें की बहुत जरुरत नहीं, क्योंकि हम मेहनतकश लोग हैं। विदेशांे की तरह एक स्थान पर बैठकर कोई कार्य नहीं करते। हमारे शरीर की प्रतिरोधात्क क्षमता के साथ ही खान-पान व पाचन क्रिया भी अलग है। 



सरकार का दावा है कि इस आपदा में जरुरतमंदों की मदद होगी। कितना सहमत हैं। 
मदद के नाम पर पांच से दस लोगों को थैला देकर एक साधे सब सधे का काम किया है। बीस लाख करोड़ का पैकेज सिर्फ कागज पर बनाया गया। देश की जनता के समक्ष क्या आया है यह कोई बताने वाला नहीं है। देश की आर्थिक स्थिति खराब है, गरीब परेशान हैं। मदद के नाम पर सिर्फ फोटो सेशन हो रहा है। 


पीएम ने कहा यूपी के सीएम की अगुवाई में हुआ कार्य विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया। 
मुस्कुराते हुए कहा कि जी हां बिल्कुल सही कहा केंद्र की पिछली सरकार भाजपा की थी इस बार भी केंद्र में वही हैं और पूरा बनारस जान रहा है कि कहां क्योटो बना, कहां बुलेट टेªन चली, हंसते हुए कहा कि आपके गौदोलिया पर ही स्वीमिंग पुल बना आप तो खुश हैं। यह लोग सिर्फ मैनेज करते हैं। सपना दिखाते हैं। सीएम ने अपने तीन साल के कार्यकाल में पीएम के संसदीय क्षेत्र में ऐसा क्या बनवा दिया जो विदेश के लोग देख सकें। पूरे उत्तर प्रदेश की बात छोड़िए। 



उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की आपकी नजर में क्या स्थिति है। 
उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश में कोरोना को लेकर बहुत चिंता करने की बात नहीं, क्योंकि हमारी सभ्यता, दिनचर्या, खान-पान के साथ ही हमारी सोच भी अन्य देशों की तुलना में ना सिर्फ अलग है बल्कि सकारात्मक भी है। लापरवाही ना बरतते हुए नियमों के पालन के साथ अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहे। 


उत्तर प्रदेश में हर बड़ी घटना के तार क्यों समाजवादी पार्टी से जोड़ दिया जाता है। 
हसंते हुए बोले कि जिसका नाम होगा उसी का तो लिया जाएगा। जिसका नाम व अस्तित्व ही नहीं उनको लोग क्या जानेंगे। ऊंगली मजबूत लोगों पर ही उठाई जाती है। 



उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि दो हजार करोड़ रुपए का निवेश जमीन पर उतारा है। क्या कहना है?
अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि निवेश क्योटो, मेट्रों में देखा जा सकता है। अंग्रजो के बनाए गए नियम पर भी यह सरकार चल रही है। बीस लाख करोड़ रुपए का पैकेज बना दिया गया। दो हजार करोड़ का पैकेज बना दिया गया। किसके पास कितना गया इसका पता आम जनमानस को आज तक नहीं है। 


लॉकडाउन के चलते प्रवासी श्रमिकों को पैदल ही क्यों आना पड़ा। 
जी बिल्कुल सही बात है क्योंकि नोट बंदी, जीएसटी के साथ ही पीएम ने जो भी फैसला लिया बिना प्लान के लॉकडाउन भी उसी का एक हिस्सा है। सहूलियत सिर्फ कागज पर बनाया व दिखाया गया। फिर वही बात कि अगर रोजगार होता तो पलायन का क्या मतलब। 


 


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