स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ही महामारी को बना रखा है भारी मजाक, अब सात और प्रभारी चिकित्साधिकारियों को आरोप-पत्र

सात विकास खंडों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने 350 के सापेक्ष दी कुुल जमा 29  रिपोर्ट


देखिए जनपद में कुछ ऐसे चल रही है हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर के कोरोना मरीजों की तलाश


ग्रामीण इलाकों के पीएचसी व सीएचसी के अफसर भी डोर टू डोर सर्वे में बरत रहे लापरवाही


घर-घर चलाए जा रहे चिह्नांकन अभियान की समीक्षा के दौरान डीएम के सामने खुली कलई


आराजी लाइन, सेवापुरी, काशी विद्यापीठ, चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ और पिंडरा ब्‍लाक की रिपोर्ट है खराब


तीन ब्लाकों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को ढूंढ़े नहीं मिला कोविड-19 का एक भी मामला



सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। सिर्फ शहरी इलाके के ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने कोरोना लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित कर इलाज के लिए भेजने की घर-घर चलायी जा रही मुहिम को मजाक बना रखा है। इस वैश्विक महामारी के प्रति जहां आमलोगों को स्वयं सजग रहने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूक करने का अभियान चल रही है वहीं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही ने कोविड-19 संक्रमण के खतरों को और भी बढ़ा दिया है।
आराजी लाइन, सेवापुरी, काशी विद्यापीठ, चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ तथा पिंडरा विकास खंड के ऐसे ही लापरवाह प्रभारी चिकित्साधिकारियों को डीएम कौशल राज शर्मा ने आरोप-पत्र थमाते हुए तीन दिन के भीतर जवाब-तलब किया है। उन्होंने चेताया है कि यदि संतोषजनक उत्तर न मिलने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को लिखेंगे। डीएम ने अपने कैंप कार्यालय में बैठक के दौरान यह कदम उठाया।
इससे पूर्व श्री शर्मा ने नगरीय क्षेत्र के 23 प्रभारी चिकित्साधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई कर चुके हैं। ग्रामीण इलाकों में डोर टू डोर चल रहे अभियान की समीक्षा बैठक में प्राप्त रिजल्ट ने आला प्रभारी चिकित्साधिकारियों की भारी लापरवाही पाये जाने पर आल अफसरों को चिंता में डाल दिया है। प्रत्येक ब्लाक स्तरीय प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी तथा सीएचसी) सहित शहर के हरएक पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को कोरोना संबंधी लक्षणों वाले लोगों को चिह्नित कर 50-50 सैंपल लेने की जिम्मेदारी दी गयी थी।
इसके अलावा सैंपल टेस्टिंग में कोरोना के लक्षण पाये जाने पर उन रोगियों को इलाज के लिए भेजने के निर्देश थे। इस कार्य के लिए टीमें गठित कर घर-घर जाकर सिम्टोमेटिक कोविड-19 महामारी मरीजों को खोजने और उन्हें सूचीबद्ध कर उपचार कराना था। इसकी समीक्षा के दौरान समीक्षा के दौरान ब्लाक स्तरीय पीएचसी एवं सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारियों की लापरवाही उजागर हो गयी। जिसके तहत सीएचसी आराजी लाइन के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. योगेंद्र बहादुर सिंह तय टार्गेट के सापेक्ष सिर्फ नौ सैंपल की रिपोर्ट पेश कर सके।
वहीं, पीएचसी सेवापुरी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. वाईबी सिंह का हाल यह कि उन्हें कोरोना लक्षण का कोई मरीज मिला ही नहीं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ‘शून्य’ का आंकड़ा प्रस्तुत किया। यही स्थिति सीएचसी काशी विद्यापीठ के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन सिंह और चिरईगांव पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकरी डॉ. अमित सिंह का रहा। उनकी रिपोर्ट की मानें तो उन्हें कोरोना के एक भी सिम्टोमेटिक केस नहीं मिले। सीएचसी चोलापुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. आरबी यादव की भी ऐसी की लापरवाही भरी कार्यप्रणाली का खुलासा हुआ। उन्होंने भी ‘जीरो केस’ की रिपोर्ट दी है।
दूसरी ओर, हरहुआ पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राकेश कुमार सिंह को कुल जमा दस केस ही मिले हैं। इतने ही मरीजों की रिपोर्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिंडरा के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. हरीश चंद्र मौर्य ने पेश की है। जिलाधिकारी ने इन रिपोर्ट्स को अत्यंत गंभीर लापरवाही माना है। उन्होंने इस प्रकार के रवैये को शासन के आदेशों की अवहेलना समेत न्यूनतम संख्या में मरीज खोजने में विफलता के चलते संबंधित क्षेत्रों में कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा बढ़ने का जिम्मेदार पाया। फलस्वरूप डीएम ने इन प्रभारी चिकित्साधिकारियों को आरोप-पत्र देते हुए तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है।


खुल गयी महकमे की कार्यशैली की कलई
- गत दिनों शासन के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने जब ग्रामीण इलाके का दौरा किया था तो उस दौरान स्वास्थ्य विभाग की एक एएनएम से वह पूछ बैठे कि थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सीमीटर का प्रयोग कैसे करते हैं। एएनएम ने हकीकत उगलते हुए बताया था कि डोर टू डोर चल रहे कोरोना मरीजों की पहचान के लिए उपलब्ध कराए गये इन उपकरणों को चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। इस पर डॉ. चतुर्वेदी में गहरी नाराजगी जताते हुए सर्किट हाउस में बैठक कर आला अफसरों की क्लास ले ली थी। उन्हें निर्देश दिया था कि जांच कार्य में लगाये गये स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाय। इधर, कोरोना महारानी के इस बेहद गंभीर दौर में प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने भी अपने लापरवाही रवैये से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली की कलई खोल दी है।


 


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