साहब, अब और कितने गोवंशों की लेंगे जान, देखिए, जिलाधिकारी के निर्देशों पर कितना फिक्रमंद है पशुपालन विभाग

चिरईगांव ब्लाक के मोकलपुर और छाहीं गोवंश आश्रय स्थलों पर दम तोड़ रहे पशु


- छाहीं में फेंसिंग न होने से जानवरों को आहार बनाने के लिए घायल कर रहे सियार व कुत्ते


- कागजों पर तैयार केयर टेकरों को दे रहे 2-2 हजार मानदेय, मौके पर हालात बद से बदतर


- बीते 14 जुलाई को डीएम ने गोवंश आश्रय स्थलों के हालात पर अपनाया था सख्त रवैया



जनसंदेश न्‍यूज


चिरईगांव। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल गोवंश आश्रय स्थलों को लेकर स्थानीय स्तर पर लापरवाही का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दर्जनों आश्रय स्थलों के निर्माण में जहां सुस्ती बरती जा रही है वहीं, स्थापित स्थायी-अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों में से अधिकांश पर जानवरों की देखभाल सिर्फ कागजों पर चल रही है। सजोई आश्रय स्थल पर बरती जा रही लापरवाही को लेकर बीते 14 जुलाई को डीएम ने कार्रवाई के निर्देश दिये थे। उसके बावजूद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। चिरईगांव  ब्लाक के मोकलपुल और छाहीं के आश्रय स्थलों पर भी देखभाल के अभाव में पशु दम तोड़ रहे हैं।


स्थानीय विकास खंड के सिर्फ मोकलपुर और छाहीं ग्राम पंचायत में एक-एक गोवंश आश्रय स्थल संचालित हो रहे हैं। बीते 18 मार्च को छाही आश्रय स्थल में 42 गोवंशों की एंट्री हुई थी। अबतक यहां सात गोवंश दम तोड़ चुके हैं। बीते 16 जुलाई को भी यहां दो गोवंश काल के गाल में समा गये। वर्तमान में इस सेंटर पर रह रहे कुल 35 पशुओं में से दो गंभीर रूप से बीमार हैं।


यहां टिन शेड में खूंटे में बंधी यह गाएं यातनाएं सहने के लिए बाध्य हो रही हैं। शेड में पसरी गंदगी, बदबू और अव्यस्था खुद ही गोवंशों की दुर्दशा की गवाही दे रही है। छाहीं स्थित आश्रय स्थल पर फेंसिंग की व्यवस्था न होने के चलते रात्रि में कुत्ते और सियार इन गोवंशों को अपना आहार बनाने की कोशिश करते हैं। सियार और कुत्ते गोवंशें को काटकर और नोंचकर घायल कर रहे हैं।


फलस्वरूप इंफेक्शन के कारण यह पशु बीमार पड़ रहे हैं। इस परिसर की साफ-सफाई के लिए स्टाफ नहीं है। दूसरी ओर, मोकलपुर में 26 गोवंश रखे जाने का दावा है लेकिन मौके पर एक मृत पशु समेत 22 गोवंश डबल टिन शेड के नीचे दिखे। याद दिला दें कि ‘जनसंदेश टाइम्स’ की सजोई गोवंश आश्रय स्थल की हकीकत और महकमे के अफसरों के दावों की कलई खोतले हुए खबर प्रकाशित की थी।


उसी क्रम में बीते 14 जुलाई को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने एक समीक्षा बैठक में सजोई गांव में गोवंश आश्रय स्थल की दुर्व्यवस्था को लेकर वहां के सचिव को निलंबित करने का निर्देश दिया था। उन्होंने अन्य गोवंश आश्रय स्थलों की स्थिति पर भी सख्त नाराजगी जताते हुए जिम्मेदार अफसरों की जमकर क्लास लेते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था। उसके बावजूद चिरईगांव के मोकलपुर और छाहीं स्थित सेंटर के हालात बताते हैं कि विभागीय अधिकारियों पर डीएम के निर्देशों का कितना प्रभाव पड़ रहा है।



तेज-तर्रार बीडीओ के जाते ही निर्माण कार्य ठप


- चिरईगांव विकास खंड की 98 ग्राम पंचायतों में कई प्रयासों के बावजूद अबतक सिर्फ मोकलपुर और छाहीं में ही गोवंश आश्रय स्थल होने के कारण किसान छुट्टा पशुओं से अपनी फसलों को बचाने  के लिए परेशान रहते हैं। जबकि डीएम कौशल राज शर्मा ने ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों में गोवंश आश्रय स्थल बनवाने के निर्देश दिये हैं। कुछ दिनों पूर्व तक विकास खंड में तेज-तर्रार बीडीओ के तौर पर तैनात रहे विक्रमादित्य सिंह मलिक की तत्परता से दोनों आश्रय स्थलों का संचालित आरंभ हो सका था। उन्हीं की पहल पर जयरामपुर, गौरडीह, सिवो समेत दो अन्य ग्राम पंचायतों में जमीन चिह्नित कर आश्रय स्थल निर्माण कार्य आरंभ हुआ। लेकिन प्रमोशन के चलते श्री मलिक का बीडीओ के पद से तबादला होते ही गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण कार्य ठप हो गया।


जल्द दुरुस्त होंगे इंतजाम


- विकास खंड के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरए चौधरी के मुताबिक छाहीं स्थित गोवंश आश्रय स्थल पर दूसरा टिन जल्द ही तैयार कर लिया जाएगा। मोकलपुर में गोवंशों के लिए हैंडपंप से पानी ले रहे हैं। बिजली व्यवस्था शीघ्र कर दिये जाने की संभावना है। दोनों सेंटर के लिए रखे गये एक-एक केयर टेकर को मानदेय के रूप में 2-2 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। वहीं, मोकलपुर के ग्राम विकास अधिकारी राजेश वर्मा का कहना है कि गोवंश आश्रय स्थल पर बिजली व्यवस्था का प्रयास है। भूसा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।


भूसा संग दाना भी जरूरी


छाहीं के ग्राम प्रधान सियाराम यादव ने दावा किया कि गोवंश आश्रय स्थल के लिए भूसे का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है। लेकिन हम भी किसान और पशुपालक हैं। मात्र भूसा और पानी देकर इन पशुओं का पेट भरा जा रहा है। जबकि चारे के साथ दाना भी चाहिए।


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