रामायण विश्वमहाकोष के लिए कई राज्य देंगे योगदान, आईआईटी खड़गपुर करेगा सहयोग

- सूबे के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने की तैयारी बैठक


- कई प्रदेशों के विशेषज्ञों में विश्वमहाकोष तैयार करने के लिए दिये सुझाव



सुरोजीत चैटर्जी


वाराणसी। रामायण विश्व महाकोष तैयार करने की कवायद है। इसके लिए विभिन्न प्रदेश अपने-अपने स्तर पर भूमिका निभाएंगे। जिसमें मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों की हिस्सेदारी रहेगी। वहीं, आईआईटी खड़गपुर भी इस कार्य में सहयोग करेगा। इस बारे में यूपी के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से तैयारी बैठक की। जिसमें कई प्रदेशों के विशेषज्ञों की भागीदारी रही।


यह विश्व महाकोष तैयार करने के लिए चल रहे प्रयासों को लेकर यह 21वीं बैठक थी। इस मौके पर प्रो. राना पीवी सिंह ने कहा कित महाविश्वकोश तैयार करना एक विशेष लेखन है। उसमें श्रद्धा, आस्था और विश्वास बहुत जरूरी है। रामायण संस्कृति के बारे में भौगोलिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए अपने विश्वास संग विश्व बिरादरी की मान्यताओं का भी सम्मान करना होगा।


वहीं, प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित कहा कि सभी भाषाओं-बोलियों के लिखित-अलिखित साहित्य संग मूर्त-अमूर्त विरासत के राम तत्वों का वृहद शोध समय की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ के समन्वयक डॉ. ललित शर्मा ने बताया कि उनके राज्य के सभी क्षेत्र सम्मिलित करने के लिये पुरातात्विक विशेषज्ञ, संस्कृति मर्मज्ञ व साहित्यकारों की टीम बनाकर मंथन जारी है। रामायण केंद्र भोपाल के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव के मुताबिक व्यास परंपरा का संकलन भी करा रहे हैं और शोध मित्रों का चयन हो रहा है।


उन्होंने एक ऐसी पत्रिका के नियमित प्रकाशन का सुझाव दिया जिसमें इनसाइक्लोपीडिया के लिये संग्रहित जानकारी भी शामिल रहे। डॉ. अनीता बोस ने कहा कि पश्चिम बंगाल की तैयारी में आईआईटी खड़गपुर भी सहयोग देगा। मैदानी इलाकों की रामलीला पर प्रो. नीतू सिंह ने प्रकाश डाला। वहीं, डॉ. नीलकंठ तिवारी ने भी विचार व्यक्त किये। प्रो. प्रभाकर सिंह ने आभार व्यक्त किया।


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