मणि मंजरी केस: सवाल दर सवाल... पर जवाब कुछ नहीं! आत्महत्या के तीन दिन बाद भी नही मिली सफलता



जनसंदेश न्यूज़
बलिया। नपं मनियर की ईओ मणि मंजरी राय की आत्महत्या के पीछे क्या कारण हो सकता है? यह तो जांच मे स्पष्ट होगा, लेकिन परिजन की तरफ से जो तहरीर दी गयी, उसमे पूरे मामले को नगर पंचायत से जोड़ा गया है। चेयरमैन, पूर्व ईओ सहित को 6 लोगों पर मुकदमा भी कायम है।
वैसे, पुलिस को तीसरे दिन भी कोई सफलता नही मिली है। अभी किसी की भी गिरफ़्तारी नही हो पायी है। वैसे पुलिस पूरी तरह से अपनी निगाह लगायी हुई है।


मोबाइल खोलेगा राज!
बलिया। ईओ मणि मंजरी राय की मोबाइल पुलिस की कस्टडी में है। वैसे घटना से पूर्व उनकी किससे बात हुई और क्या हुआ। उसमें पुलिस को कुछ क्लू मिलेगा या नहीं? यह तो काल डिटेल से ही पता चलेगा। यदि उनकी शिकायत किसी बात को लेकर थी तो क्या आत्महत्या ही उसका विकल्प था? यह भी एक जांच की पहलु हो सकती है।


बिना एसी के रहती थी ईओ 
बलिया। ईओ मणि मंजरी राय एक ईमानदार अधिकारी थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके कमरे में एसी तक नहीं था। वैसे उनके पिता का भी यह कहना है कि हम ईमानदार लोग है। बेटी भी ईमानदार थी, लेकिन फर्जी भुगतान और गलत टेंडर के चलते हमारी बेटी इस दुनिया से चली गयी।


ईओ के घर पहुंचे लोग
बलिया। ईओ मणि मंजरी राय के घर गाजीपुर मे बलिया के कुछ लोग पहुंचे और उनके परिजनो से भेंट की। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को ढांढ़स बंधाया।


आईएएस बनना चाहती थी मणि मंजरी राय 
बलिया। ईओ मणि मंजरी राय आईएएस बनना चाहती थी। वह उसके लिए पूरे लगन के साथ तैयारी भी कर रही थी। वह ईओ के पद पर ज्वांइनिंग नहीं करना चाहती थी। उन्होंने परिवार के दबाव में 10 अक्टूबर 2018 को मनियर नगर पंचायत मे कार्यभार तो गृहण कर लिया, लेकिन आईएएस बनने के लक्ष्य को भी छोडा नहीं था।


कमरा और चैैम्बर सील 
बलिया। ईओ मणि मंजरी राय का आवास विकास मे किराये का कमरा और मनियर नगर पंचायत का उनके चैैम्बर को पुलिस ने सील किया है। पुलिस हर बिन्दु की जांच मे जुटी हुई है।





भाई को बलिया पुलिस पर नहीं है भरोसा

बलिया। पीसीएस अधिकारी मणि मंजरी राय के भाई विजयानंद राय को  बलिया पुलिस पर भरोसा नहीं है। वह अपनी बहन के मौत के मामले की उच्च स्तरीय जांच चाहते है। उन्होने कहा कि उनके द्वारा दर्ज कराये गये प्राथमिकी मे बनाये गए आरोपी रसूखदार लोग हैं । ऐसे मे उन्हे शक है कि आरोपियों द्वारा जिला प्रशासन पर अपने प्रभाव का प्रयोग कर जांच को प्रभावित किया जा सकता है। उन्होने कहा की उच्च स्तरीय जांच होने से इस जांच मे जिलाप्रशासन से जुड़े लोगो को कोई भूमिका नही रह जायेगी ।


 

 



 

 


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