चुनावी आहट के बीच बिहार में कोरोना वायरस का प्रभाव


मार्च महीने से भारत में कोरोना वायरस का फैलाव और उसको रोकने के लिए तैयारी चल रही है। दिल्ली मुंबई जैसे बड़े महानगरों में सब से पहले इस बीमारी का प्रभाव देखने को मिला। जहां तेजी से बढ़ते आंकड़ों ने लोगों को डरा दिया। किंतु इन शहरों में जल्द से जल्द ऐसी तैयारी की गई जिससे वहां पर इस बिमारी के प्रभाव को रोका जा सके। जिसका प्रभाव अब नज़र आने लगा है।


भारत का बिहार नामक राज्य कुछ समय से समाचार की सुर्खियों में बना हुआ है। पहले सब से प्रवासी मजदूरों के घर वापस आने की चाहत के कारण, उसके बाद चुनाव की दौड़ के चलते राजनीति चहल-पहल और अब जिस प्रकार से बिहार में प्रत्येक दिन कोरोना वायरस से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या के आंकड़े में बढ़त हो रहीं हैं, सभी की नजरें बिहार पर आ टिकी हैं।


बिहार में सभी जिलों में रहने वाले लोगों का इलाज कहां होगा यह निश्चित कर दिया गया है। यानि कि आप यदि बेगूसराय या औरंगाबाद में के रहने वाले हैं तो आप अपना इलाज करवाने पटना के एम्स में नहीं जा सकते हैं। जबकि सालों से लोग वहां अपना इलाज करवाने जातें रहें हैं।  प्रत्येक जिले के में रहने वाले आम व्यक्तियों का इलाज कहां होगा यह सरकार निश्चित कर चुकी हैं। 


यदि आप पटना, सारण, सीवान व गोपालगंज के रहने वाले हैं तो आप का इलाज पीएमसीएच, पटना में होगा। दरभंगा- दरभंगा, सुपौल मधुबनी, समस्तीपुर एवं बेगूसराय में रहने वालों का इलाज डीएमसीएच में होगा। इसी प्रकार से मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर व शिवहर वालों का एसकेएमसीएच में, पावापुरी, नालंदा नालंदा, नवादा और शेखपुरा वालों का वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल में, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण वालों का जीएमसी एच में, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, कटिहार व किशनगंज वालों का जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मधेपुरा में।


इस तरह से सभी जिलों को चंद मेडिकल कॉलेज के भरोसे बांट कर रख दिया गया है और एम्स अस्पताल पर कोरोना वायरस से प्रभावित आने वाले मरीजों पर रोक लगा दी गई है। केवल किसी अस्पताल द्वारा रेफ़र किए गए कोरोना वायरस के मरीज वहां आ सकतें हैं और अन्य बिमारियों का इलाज करवाने नहीं आ सकते हैं। यह जानते हुए कि बिहार के प्रत्येक जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बहुत ही खस्ता हालत में है। अस्पतालों के सामने लेटें मरीजों की विडियो वायरल हो जाने तक इंतजार किया जाता है, उनको इलाज देने के लिए।


बिहार के सभी जिलों से पटना आने पर रोक लगा दी गई है इलाज के लिए। यह जान कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लिया गया वह फैसला याद आता है जब उन्होंने दिल्ली के अस्पतालों को दिल्ली के लोगों के लिए सुरक्षित रखने का फैसला किया था। जिसकी वज़ह से उनकी बहुत आलोचना भी की गई थी। किन्तु इस तरह का फैसला बिहार में लेने में किसी को कोई समस्या नहीं है। इस तरह का व्यवहार हमें बताता है कि गरीब और अमीर होने का अंतर क्या है।


हमारे सम्पूर्ण देश के अमीर लोगों को दिल्ली की स्वास्थ सुविधाओं से वंचित रखने का फैसला लिया गया तब तभी को वह अनुचित लगा और इस पर बहस छिड़ गई। किंतु इसी प्रकार का फैसला जब बिहार में लिया गया तब कोई बहस नहीं क्योंकि इस बार प्रभावित होने वाले आम लोग हैं। काश हमारे देश के नेता हमारे देश के नागरिकों को एक मतदाता से ज्यादा एक इंसान समझने की कोशिश करतीं।


हमारे देश के नेता अब कितने भी लुभावने वादे कर लें या फिर कितने भी झूठे सपनों के महल खड़े कर दें, इन सभी बातों का कोई लाभ नहीं होने वाला है। इस वायरस ने सब की हकीकत की पोल खोल दी है। यदि आप ने सही तैयारियां नहीं की है और जनता को बस राम भरोसे छोड़ चुनाव की तैयारी को महत्व पूर्ण समझ रहे हैं। तो भूल जाइए कि जिस प्रकार की हमारी स्वास्थ सुविधाएं हैं। उसके आधार पर हम इस बिमारी से निपट सकेंगे। हमें अपनी तैयारियां करनी चाहिए और साथ ही समय-समय पर जनता को उन तैयारियां से अवगत भी करवाते रहना चाहिए। 
               


राखी सरोज


स्‍वतंत्र लेेखक


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