बीएचयू की सीनियर रेजिडेंट डॉ.संध्‍या बोलीं, घातक होते कोरोना के लिए नियमों का पालन करना ही वैक्सीन

बीएचयू की सीनियर रेजिडेंट ने बताये कोरोना से बचाव के उपाय




जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। वैश्विक महामारी कोरोना से बचने के एक मात्र उपाय सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जारी अनलॉक की प्रक्रिया में यह सबसे अहम हो जाता है कि हम अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए निर्धारित नियमों का पालन करें, क्योंकि अभी तक सिर्फ यहीं एक उपाय है, कोरोना से बचने का। यह नसीहत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान की सीनियर रेजिडेंट डॉ. संध्या ने जनसंदेश के साथ खास वार्ता के दौरान कहीं। 
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन समाप्त किये जाने के बाद कोरोना के मामले में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। जहां भारत में कोरोना लगभग 7 लाख के पार पहुंच चुका है, वहीं पूरे देश की बात करें तो 11562878 केस हो चुके है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कहीं ना कहीं जांच प्रक्रिया को तेज किये जाने के कारण मामलों में रिकार्ड इजाफे देखें जा रहे है। इसलिए इस समय हमें अपनी सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना है। 
एमजीएम हॉस्पिटल मुंबई में अपनी चिकित्सकीय सेवाएं देने वाली डॉ. संध्या ने बताया कि कोरोना कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों पर सबसे ज्यादा इफेक्ट डालता है। यह गर्भवती महिलाओं, बुर्जुगों, अस्थमा के मरीजों, मधुमेह तथा दिल की बिमारी से ग्रसित लोगों के लिए घातक है। कहा कि कोरोना वायरस के लक्षणों में सूखी खांसी, शरीर दर्द, छींक, कमजोरी तथा तेज बुखार होता है। लखण दिखाई देने के बाद मरीजों को 2-14 दिनों के बीच सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस तरह के लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय परामर्श जरूर लेना चाहिए। 
कोविड-19 के मामले में लगातार होते वृध्दि को लेकर डा. संध्या कहती है कि इससे बचने के लिए फिजीकल डिस्टेंस, मॉस्क लगाना और खांसते और छींकते समय मुंह को रुमाल से अवश्य ढक लेना चाहिए। समय-समय पर सेनेटाइजर का प्रयोग करें और अपने स्पर्श की हुई चीजों से कीटाणु को समाप्त कर दें। जैसा कि आप जानते है कि कोरोना से मरने वाले या तो बुजुर्ग है या फिर वें किसी बिमारी से ग्रसित रहे है, यानि कि कमजोर इम्युनिटी इसे और घातक बनाती है, जिससे बचने के लिए हमें खान-पान की आदतों में सुधार लाने की आवश्यकता है। 
अपने प्रतिदिन के आहार में विमाटीन सी, बी2, बी6, डी तथा एंटी ऑक्सिडेंट की मात्रा को शामिल करें। जैसे कि मौसमी संतरा, नीबू, मौंसबी आदि में भरपूर विटामिन सी पाया जाता है। हरी सब्जियों का सेवन खूब करें, लेकिन आहार में कच्ची सब्जियों को न शामिल करें। भोजन को खूब पकाकर और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चार से पांच बार में करें और गरिस्ट भोजन करने से बचे। इस तरह के नियमों को अपना कर अपना अपने अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर सकते है। 
अदरक, मुलेठी, दालचीनी, हल्दी, पालक, लहसुन, दही, बादाम, सुरजमुखी के बीज रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करते है। तुलसी, गिलोय का काढ़ा व ग्रीन को अपने रोज के दिनचर्या में शामिल करें। हमेशा गरम पानी का प्रयोग करें। इस तरह की बिमारियों से बचाव के लिए सिर्फ सावधानी ही एक रास्ता है। वैज्ञानिक, डाक्टर इसके शोध में निरंतर जुड़े हुए है। इसलिए नियमों का पालन ही फिलहाल हमारे लिए वैक्सीन की तरह है।  


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