बनारस में लाखों की बकाए धनराशि को भटक रहा एक और ठेकेदार,मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

सात दिन में समस्या सुलझाने का सीडीओ का आश्वासन हवा-हवाई साबित


- चोलापुर ब्लाक में निर्मित कौशल विकास भवन का नहीं मिल रहा भुगतान


- बीते साल जून माह में बनकर तैयार हो चुकी है बिल्डिंग, टरका रहे अफसर


- आरईएस व डीआरडीए के बीच जीएसटी को लेकर है तालमेल का अभाव


- कर्ज के बोझ तले दबा ठेकेदार दर्जनों बार अधिकारियों से लगा चुका गुहार


- विभाग भूले लोनिवि के ठेकेदार अवधेश की आत्महत्या की दर्दनाक घटना



सुरोजीत चैटर्जी


वाराणसी। बकाया भुगतान न मिलने और महकमे में कमीशनखोरी से त्रस्त होकर लोक निर्माण विभाग में बीते साल मुख्य अभियंता के सामने ही खुद को गोली मारकर आत्महत्या के लिए बाध्य ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव की घटना से अफसरों ने कोई सबक नहीं लिया है। महकमे अपनी ही चाल में चल रहे हैं। सरकारी पैसों की बंदरबांट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहे है। पीडब्ल्यूडी के कुछ ठेकेदार कहते हैं कि स्व. श्रीवास्तव के परिवार को भारी धनराशि के तौर पर अब भी बकाये भुगतान का इंतजार है। इधर, एक अन्य ठेकेदार प्रवीण चोलापुर ब्लाक में कौशल विकास मिशन भवन बनाने के बाद लाखों रुपये का बकाया प्राप्त करने के लिए बीते एक साल से भटक रहा है। अधिकारियों ने टाम-मटोल का रवैया अपना रखा है। अंत में थक-हारकर प्रवीण ने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगायी है।


विकास खंड चोलापुर में कौशल विकास केंद्र भवन निर्माण का के लिए आॅनलाइन टेंडर के माध्यम से ठेका तय हुआ था। कार्यदायी संस्था ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) थी। यह भवन बनाने का काम प्रवीण की इमलियाघाट स्थित कंपनी आरएस इंटरप्राइजेज को मिला और लगभग 56 लाख रुपये की लागत से इसका निर्माण गत वर्ष 25 फरवरी को शुरु कर जून 2019 को पूरा कर दिया गया। अनुबंध संख्या 1269/ एसई आरईडी/ वाराणसी/ 18-19 दिनांक 13.12.2018 के आधार पर यह कार्य कराया गया। लेकिन पेमेंटर के लिए प्रवीण दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।


उनकी गुहार न तो कार्यदायी संस्था सुन रही है न ही कोई अन्य अफसर। हाल यह है कि प्रवीण मुख्य विकास अधिकारी के यहां भी दस्तर दे चुके हैं। सीडीओ ने सात दिन में समस्या समाधान का भरोसा दिया लेकिन वह सात नहीं अजतक नहीं अया और मुख्य विकास अधिकारी से गुहार लगाए 45 दिन बीत चुके हैं। बकौल प्रवीण उन्होंने खुद आरईएस में 50 बार, परियोजना निदेशक डीआरडीए के यहां 15 बार और सीडीओ के यहां आठ बार गुहार लगा चुके हैं। अपनी जेब से खर्च कर चोलापुर ब्लाक का भवन निर्माण कराने के बाद कर्ज के बोझ तले प्रवीण का आरईएस में करीब 34 लाख रुपये बकाया है।


वह अपना और अपने भाइयों के जेवर गिरवी रखकर मुथुट फाइनेंस कंपनी से दस लाख रुपये से अधिक ले चुके हैं। वहीं, सीसी अकाउंटस के 27 लाख रुपये लेकर किसी प्रकार कर्ज चुकाया है। उसके बावजूद भुगतान बकाया चल रहा है। जबकि भवन निर्माण से जुड़े सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं और मजदूरों का पेमेंटे भी होना है। वहीं, जमानत राशि के तौर पर पांच लाख रुपये, जो बाद में लौटा दिया जाता है, वह पैसा लेने के लिए भी प्रवीण दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। चोलापुर की बिल्डिंग बनकर तैयार है लेकिन न तो भुगतान हो रहा है और न ही भवन कौशल विकास विभाग को हैंडओवर किया जा रहा है।


शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित उस भवन की निगरानी के लिए में ठेकेदार ने अपना चौकीदार लगा रखा है। दरअसल अरईएस और डीअरडी के बीच तालमेल के अभाव का खामियाजा ठेकेदार को भुगतना पड़ रहा है। भुगतान करते समय दो फीसदी ठेकेदार के खाते से जीएसटी काटने का प्राविधान है। दोनों महकमे तय नहीं कर पा रहे हैं कि पेमेंट कौन विभाग जमा करेगा। प्रवीण ने बताया कि नियमानुसार जो विभाग भुगतान करता है वही महकमा जीएसटी जना करेगा। पीडी डीआरडीए ने प्रवीण से कहा है कि यदि हम भुगतान के पहले भवन हैंडओवर कर लेंगे तो पेमेंट नहीं करेंगे। आलम यह है कि न भुगतान होगा और न ही बिल्डिंग हस्तांरित होगी। दोनों विभाग के अधिकारियों ने अब प्रवीण का फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया है। प्रवीण ने इस बारे में पूरे ब्योरे के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बकाया भुगतान कराने की मांग की है।


स्व. अवधेश के परिवार को अबतक नहीं मिला बकाए का पूरा पैसा


लापरवाही----


वाराणसी। गत वर्ष अगस्त माह के अँतिम सप्ताह में पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव ने वरुणापुल क्षेत्र स्थित विभागीय परिसर स्थित मुख्य अभियंता के कार्यालय में ही खुद को लोगी मारकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली थी। विभाग ने अवधेश के कार्य कराया लेकिन बकाया धनराशि देने में टालमटोल करता रहा। पेमेंट के एवज में विभाग के अफसर और कर्मचारी कमीशन की मांग कर रहे थे। कमीशन के तौर पर इतनी भारी धनराशि की डिमांड थी, जिसे अवधेश पूर्ण करने में असमर्थ रहे और भारी कर्ज के बोझ के चलते घोर निराशा में घिरे अवधेश ने अफसर के सामने की आत्महत्या कर ली। उस घटना को लेकर पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। कई स्तर पर जांच वगैरह शुरु हुई। ठेकेदार संघ ने काफी दिनों तक आंदोलन भी किया। ठेकेदारों ने अपने स्तर पर चंदा जुटाकर मृतक के परिवार को आर्थिक मदद भी। वहीं, शासन स्तर से कुछ कार्रवाई भी है। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इधर, बुधवार को पूछे जाने पर ठेकेदार संघ के वरिष्ठ  सदस्य डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सिंह स्व. अवधेश श्रीवास्तव के परिवार को अबतक पूर्व लोनिवि से पूर्व की बकाया धनराशि नहीं मिली है।


 


Popular posts from this blog

'चिंटू जिया' पर लहालोट हुए पूर्वांचल के किसान

लाइनमैन की खुबसूरत बीबी को भगा ले गया जेई, शिकायत के बाद से ही आ रहे है धमकी भरे फोन

नलकूप के नाली पर पीडब्लूडी विभाग ने किया अतिक्रमण, सड़क निर्माण में धांधली की सूचना मिलते ही जांच करने पहुंचे सीडीओ, जमकर लगाई फटकार