बनारस की लंका पुलिस फर्जी ढंग से थोपती है संगीन धाराएं, भाजपा नेता पर हुई कार्रवाई तो मचा बवाल

सरकार ने उठाया सख्त रुख, तब हटीं फर्जी धाराएं


फर्जी पुलिसिया कार्रवाई पर भड़के सत्तारूढ़ दल के नेता, दोषी पुलिस अफसरों की सरकार से शिकायत


भाजपा नेताओं की आरोप- यूं ही चलती रही पुलिस की फर्जी कार्रवाई तो खो देंगे जनता का भरोसा



जनसंदेश न्यूज


वाराणसी। लंका थाना पुलिस अराजक हो गई है। मास्क न लगे होने पर भाजपा के एक नेता सुरेंद्र पटेल के बेटे विकास से पुलिस का विवाद हुआ। मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि लंका थाना पुलिस ने सुरेंद्र और उनके भतीजे वीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ बिंदु के सिर पर रोजनामचे की तमाम ऐसी धाराएं भी मढ़ दीं, जो जुर्म उन्होंने किया ही नहीं था। मतलब, पहले भाजपा नेता ने दबंगई दिखाई और फिर पुलिस धैर्य खो बैठी और वो गुंडा बन गई। आला अफसरों ने जांच बैठाई तो आरोप फर्जी निकले। तब आनन-फानन में पुलिस को फर्जी धाराएं हटानी पड़ी। लिहाजा दोनों भाजपा नेताओं को जमानत मिल गई।


शुक्रवार की देर रात एक पुलिस को सूचना दी गई कि सुंदरपुर में काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विकास पटेल किसी मुकदमे को लेकर किसी पर दबाव बना रहे हैं। इस पर सुंदरपुर के प्रभारी चौकी इंचार्ज सुनील गौड़ ने फैंटम दस्ते के सिपाहियों को मौके पर भेजा। पुलिस का दावा है कि भाजपा नेता ने सिपाहियों को अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया। जबकि भाजपा नेताओं का आरोप था कि मास्क न होने पर पुलिस ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। तब विकास पटेल भी पुलिस से भिड़ गया। इसी बीच पुलिस वालों ने उसकी तस्वीर खींची और मनगढ़ंत जानकारी पुलिस के अफसरों को दे दी। कहानी गढ़ने और गुमराह करने के लिए वही तस्वीरें मीडिया को भी जारी कर दी गईं।


विवाद बढ़ने पर विकास ने अपने पिता सुरेंद्र पटेल को फोन किया। सुरेंद्र जिला पंचायत सदस्य हैं और उनकी गिनती भाजपा के जमीन व कद्दावर नेताओं में मानी जाती है। सूचना मिलते ही सुरेंद्र अपने साथ करीब दर्जन भर लोगों को लेकर मौके पर पहुंचे तो विवाद और बढ़ गया। फिर कई थानों की पुलिस भी मौके पर पहुंची और लाठीचार्ज किया। बाद में भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल और भतीजे बिंदु पटेल को गिरफ्तार कर लंका थाने पर ले जाया गया। आरोप है कि पुलिस ने लंका थाने में भाजपा नेता को खूब पीटा और यातनाएं दीं।


भाजपा नेता को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया। धाराएं संगीन होने के कारण उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। बाद में सत्र न्यायालय में जमानत की अर्जी दाखिल की गई। दो बजे सुनवाई का समय तय हुआ। लंका थाने से केस डायरी अन्य कागजात नहीं आने के कारण सुनवाई चार बजे हुई। सूत्र बताते हैं कि बनारस के कई धुरंधर भाजपा नेताओं ने पुलिस के आला अफसरों की क्लास लगाई। तब आनन-फानन में सारी फर्जी धाराएं हटा ली गईं।


अदालत को जब यह बताया गया कि पुलिस की विवेचना में कई धाराएं हटा ली गई तब कोर्ट ने दोनों भाजपा नेताओं को जमानत दे दिया। बाद में कोर्ट ने 7-सीएलए एक्ट की गैर जमानती धारा भी खारिज कर दी। अधिवक्ताओं का कहना था कि जब बाजार और दुकान खुली ही नहीं थी तो पुलिस ने दुकान और बाजार खुले होने की झूठी कहानी कैसे गढ़ दी। इसके चलते जमानत का रास्ता साफ हो गया।


हासिल जानकारी के मुताबिक पुलिस और भाजपा नेता के बीच हुए विवाद के मामले में शुक्रवार की देर रात लंका थाना पुलिस ने जो संगीन धाराएं थोपीं थीं उन्हें फकत बारह घंटे में ही फर्जी करार दे दिया गया। लंका पुलिस ने लूट, अपहरण और हत्या के प्रयास तक की संगीन धाराओं में भाजपा नेताओं का चालान किया था। एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी ने कहते है कि पुलिसकर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट और फुटेज को देखने के बाद ये धाराएं हटाई गई हैं। इस पूरे प्रकरण की जांच सीओ भेलूपुर प्रीति त्रिपाठी करेंगी।


पुलिस और भाजपा नेता के बीच हुए विवाद में जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र पटेल, उनका बेटा काशी विद्यापीठ का पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विकास पटेल, भतीजा वीरेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य कई लोग थे। लंका पुलिस इतनी मनबढ़ निकली कि देर रात तक भाजपा नेताओं के दुहाई देने के बावजूद वो नहीं पिघली। रात 3.46 बजे सुनील कुमार गौड़ की तहरीर पर विकास पटेल, सुरेंद्र पटेल, वीरेंद्र प्रताप सिंह, संतोष सिंह, किशन राय उर्फ फैलू, शशांक यादव उर्फ गोलू, शहजाद खान और एक अन्य अज्ञात के खिलाफ कुल 19 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें पुलिसकर्मियों की हत्या का प्रयास, लूट और अपहरण की संगीन धाराएं भी जोड़ दी गईं। जबकि ये अपराध हुए ही नहीं थे। इतना ही नहीं, सुरेंद्र पटेल और वीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ बिंदु की गिरफ्तारी के सत्ता पक्ष का दबाव पड़ना शुरू हुआ लंका थाना प्रभारी ने रोजनामचे पर कई और फर्जी धाराएं चढ़वा दीं।


शनिवार की सुबह भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सूचना मिली को वे उग्र हो गए। शिकायत लखनऊ तक पहुंच गई। पुलिस के आला अफसरों से शिकायत की गई कि बनारस पुलिस अब अपराध गढ़ने लगी है और निर्दोष लोगों पर जुल्म-ज्यादती व अत्याचार करने लगी है। जब भाजपा नेताओं पर ही फर्जी केस गढ़े जा रहे हैं तो आम जनता का हाल क्या होगा? पुलिस की यहां तक शिकायत की गई कि लंका थाने पर कई ऐसे पुलिस अफसर तैनात हैं जिन्होंने बनारस में कई आलीशान फ्लैट और बड़ी दौलत इकट्ठा कर रखी है। साथ ही पूरी नौकरी बनारस और आसपास के जिलों में ही बिता दी है। ऐसे पुलिस अफसरों को पूर्वांचल से बाहर नहीं भेजा गया तो इसका खामियाजा आगामी चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी लंका थाना पुलिस के अराजक रवैये की शिकायत की गई है। सुबगुबाहट यहां तक है कि इस प्रकरण में लंका थाना प्रभारी और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए भाजपा नेताओं ने अंदरखाने में मोर्चा खोल दिया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सुरेंद्र पटले जिस वर्ग से आते हैं उन विरादरी की बनारस में आबादी बहुत ज्यादा है। यही जाति चुनाव की दिशा भी तय करती है।  


कचहरी में वकीलों से भी हुई पुलिस से भी झड़प


वाराणसी। लंका थाना पुलिस ने जिस भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल को भतीजे बिंदू के साथ गिरफ्तार किया था वो बनारस कचहरी में अधिवक्ता है। शनिवार की सुबह भाजपा नेता और उनके भतीजे को जब कचहरी लाया गया तो पुलिस को अधिवक्ताओं का भी विरोध झेलना पड़ा। लोअर कोर्ट के पास पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच जमकर नोकझोंक हुई। अधिवक्ताओं ने खूब हंगामा किया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।


फ्रॉडगीरी में लंका पुलिस अव्वल, गढ़ दीं संगीन धाराएं


वाराणसी। लंका थाना पुलिस गजब की कहानी गढ़तीं है। सड़क पर विवाद हुआ। जानलेवा हमला, लूटपाट और अपहरण तक की धाराएं गढ़ दी गईं। वो भी सत्तारूढ़ दल के नेता के खिलाफ। पुलिस ने भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल और उनके परिजनों के खिलाफ जो मुकदमा पंजीकृत किया, उसका ब्यौरा इस प्रकार है। भाजपा नेताओं पर लंका पुलिस ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506, 341, 307, 392, 114, 188, 269, 270, 364, 353, 332, 333, 186 और 7-सीएलए एक्ट में मुकदमा दर्ज किया।  बवाल मचा तो जांच शुरू हुई और 12 घंटे के भीतर ही पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा और फर्जी धाराएं हटानी पड़ी। 


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