बनारस की बेलगाम पुलिस का काला कारनामा, खाकी ने पार कर दी थी गुंडई की सारी हदें, भाजपा महामंत्री के घर में भी पुलिस ने मचाया था तांडव

 

ये तो हद है

पुलिस ने गढ़ी झूठी कहानी और मीडिया को किया गुमराह 

 

भाजपा नेताओं की भी पुलिस अफसरों ने नहीं सुनी अपील

 

बात-बात में अब भाजपा नेताओं को धमकाती है बनारस पुलिस


 

जनसंदेश न्यूज

वाराणसी। शहर पुलिस ने गुंडई की हदें पार कर दी हैं। तभी तो भाजपा के जिला महामंत्री सुरेंद्र पटेल और उनके परिजनों के साथ न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उनके घर में घुसकर पुलिस ने तांडव भी मचाया। महिलाओं और बच्चों के साथ बदसलूकी की। शुक्रवार की रात करीब 9.30 बजे हुई घटना की रिपोर्ट भोर में पौने चार बजे दर्ज की गई। भाजपा नेता के माथे पर 19 संगीन धाराएं मढ़ दी गईं। जो जुर्म हुआ ही नहीं, उसका भी मामला लंका पुलिस ने दर्ज कर लिया। माजरा यह था कि भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल का पुत्र विकास पटेल, जो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का अध्यक्ष रह चुका है, वो रात साढ़े नौ बजे सुंदरपुर से गुजरा। मुंह पर मास्क नहीं लगाया था। पुलिस ने मारपीट शुरू दी तो वो भी उलझ गया। परिजनों को सूचना दी तो वे भी पहुंच गए। तब पुलिस ने लाठीचार्ज किया। 

भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल का आरोप है कि घटना के बाद रात में पुलिस उनके घर पहुंची और जमकर उत्पात मचाया। तांडव किया और महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई। मारपीट और गाली-गलौच तक किया गया। आधी रात के बाद पुलिस ने फर्जी कहानी गढ़ी और मीडिया को गुमराह करने के लिए एकतरफा बयान व तस्वीरें वायरल कर दी गईं। मीडिया प्रभारी नवरतन राठी ने भी भाजपा महामंत्री के घर में पुलिसिया तांडव की पुष्टि की है। 

मतलब, जो काम पहले अपराधी करते थे, वो सब पुलिस ने किया। वो भी पीएम के संसदीय क्षेत्र में। पुलिस ने भाजपा के माथे पर झूठा कलंक तो लगाया ही, अमानवीयता की सरहदें पार करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। हैरत की बात यह है कि सुरेंद्र पटेल की गिरफ्तारी के बाद जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा की टीम के तमाम भाजपा नेता लंका थाने पहुंचे। सुरेंद्र को छुड़ाने के लिए सारी ताकत झोंक दी। इनकी बात एसपी सिटी ही नहीं, एसएसपी तक ने नहीं सुनी। 

सूत्र बताते हैं कि मनबढ़ पुलिस अफसरों ने भाजपा नेता को सबक सिखाने और थर्ड डिग्री इस्तेमाल करने तक की पुलिसकर्मियों को छूट दे दी थी, तभी पुलिस भाजपा नेता के घर पहुंची और तांडव मचाया। बाद में सड़क पर हुई झड़प के मामले में भाजपा नेताओं पर लंका पुलिस ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506, 341, 307, 392, 114, 188, 269, 270, 364, 353, 332, 333, 186 और 7-सीएलए एक्ट में मुकदमा दर्ज किया। 

लंका थाना पुलिस ने एक बड़ा खेल और खेला। मीडिया को फर्जी सूचना और तस्वीरें परोसी दीं जिससे साबित हो सके कि सारा कुसूर भाजपा नेता का ही था। निर्दोष लोगों का वीडियो बनाकर फर्जी कहानी गढ़ने का खेल बनारस पुलिस ने पिछले कुछ महीनों से शुरू किया है। 


बैकफुट पर कैसे आई पुलिस : भाजपा महामंत्री सुरेंद्र पटेल जिला पंचायत सदस्य भी हैं। बनारस के भाजपा नेताओं के धैर्य का बांध तब टूट गया जब उन्हें यह पता चला कि पुलिस ने सुरेंद्र के घर में घुसकर तांडव मचाया और महिलाओं व बच्चों के साथ बदसलूकी की। लंका थाना पुलिस ने जब भाजपा जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा और उनके समर्थकों की नहीं सुनी तो शनिवार की सुबह घटना की जानकारी क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव को दी गई। श्रीवास्तव ने प्रदेश के सहप्रभारी सुनील ओझा को पुलिस के कुकृत्य से अवगत कराया। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल और काशी व गोरक्ष प्रान्त के संगठन महामंत्री रत्नाकर को दी।  

बाद में श्रीवास्तव ने शनिवार को सर्किट हाउस में आईजी विजय सिंह मीणा, जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा और एसएसपी प्रभाकर चौधरी को बुलाकर इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की। इस मौके पर प्रदेश के सहप्रभारी सुनील ओझा भी मौजूद थे। इसके बाद पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा और फर्जी धाराएं हटानी पड़ीं। तब भाजपा महामंत्री की जमानत हो सकी। सूत्र बताते हैं कि इस मामले को लेकर भाजपा नेता खासे नाराज हैं। वजह यह है कि समूची घटना पीएम के संसदीय इलाके में पार्टी के वरिष्ठ नेता और महामंत्री के साथ घटी। बड़ी बात यह है कि पुलिस अफसरों ने भाजपाइयों की एक न सुनी। हाल यह है कि निर्दोष लोगों की शिकायतें भी अब भाजपा नेता इसलिए नहीं हल कर पा रहे हैं कि पुलिस उन्हें खुद ही धमकाने लगती है।

 

लंका थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित

 

फर्जी धाराएं लगाने और घर में घुसकर तांडव करने का आरोप

 

जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने एडीएम फाइनेंस को सौंपी जांच 

 

जनसंदेश न्यूज 

वाराणसी। मामूली बात पर भाजपा के जिला महामंत्री सुरेंद्र पटेल और उनके परिजनों के साथ मारपीट, घर में घुसकर तांडव और फर्जी धाराएं लगाकर जेल भेजने के मामले में दोषी पाए जाने पर लंका थाना प्रभारी समेत चार लोगों को निलंबित कर दिया गया है। डीएम ने इस मामले में एडीएम फाइनेंस को मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी है। 

लंका थाना क्षेत्र के सुंदरपुर में भाजपा के जिला महामंत्री और जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र पटेल एवं उनके पुत्र काशी विद्यापीठ छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष विकास पटेल और पुलिसकर्मियों के बीच हुई झड़प के मामले में रविवार को लंका के इंस्पेक्टर अश्विनी चतुर्वेदी, सुंदरपुर चौकी प्रभारी सुनील गौड़ समेत दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं सीओ भेलूपुर प्रीति त्रिपाठी को एसएसपी कार्यालय से अटैच किया गया है। 

खबर है कि यह कार्रवाई जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा के निर्देश पर गठित हुई कमेटी की रिपोर्ट पर हुई है। जांच में पुलिस की कार्रवाई अतिउत्साह में हुई बताई गई। एफआइआर में दर्ज कई संगीन धाराओं का आधार पुलिस स्पष्ट नहीं कर सकी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। 

क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक शिकायत के बाद डीएम कौशलराज शर्मा ने एडीएम वित्त को घटना की मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी है। इस मामले की दोबारा जांच कराई जाएगी। 


छोटी सी घटना को बेवजह बड़ा बना दिया

 

बनारस पुलिस भाजपा कार्यकर्ताओं को बना रही निशाना

 

लंका थाना पुलिस ने ‘अति उत्साह’ में लगाईं 19 संगीन धाराएं 

 

जनसंदेश न्यूज

वाराणसी। बीजेपी के सीनियर लीडर सुरेंद्र पटेल और उनके परिजनों के साथ मारपीट के मामले ने तूल पकड़ लिया है। महज मास्क न लगाने पर पुलिस अफसरों ने गुंडागर्दी का जो खेल खेला वो न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि योगी सरकार की साख पर बट्टा लगाने वाला साबित हुआ। लंका थाना पुलिस की इस कार्रवाई से भाजपा नेता आपे से बाहर हो गए हैं। इन नेताओं को शिकायत है कि मनबढ़ पुलिस अफसर अब भाजपा कार्यकर्ताओं को ही सबक सिखाने और धमकाने लगे हैं। 

भाजपा के काशी प्रांत की ओर से जारी एक बयान में क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि शुक्रवार की रात लंका थाना पुलिस ने जिला महामंत्री सुरेंद्र पटेल और उनके परिवार के सदस्यों के साथ जिस तरह से दुर्व्यवहार किया वो बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलिस ने भाजपा नेता के घर में घुसकर न सिर्फ तांडव किया, बल्कि अनुचित ढंग से भी पेश आई। बनारस पुलिस के अफसरों ने मिलकर अति उत्साह में फर्जी ढंग से 19 संगीन धाराएं लगा दी और भाजपा नेताओं के परिजनों को अकारण गिरफ्तार कर लिया। लंका थाना पुलिस ने महज छोटी सी घटना को बड़ा बना दिया। 

श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा नेता का कोई दोष नहीं है। भाजपा नेता अथवा कार्यकर्ता कभी शासन और प्रशासन के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते। पुलिस अगर गुंडागर्दी करेगी और कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी होगी तो हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि लंका थाना पुलिस ने सिर्फ मास्क न पहनने पर भाजपा नेता के पुत्र के साथ मारपीट और बदसलूकी की। फर्जी ढंग से वीडियो जारी किया और उन्नीस गंभीर धाराएं लगाकर गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि बनारस में पुलिस उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। आम नागरिक के साथ भी ऐसी घटना होगी तो हम विरोध करेंगे। जो गलत करेगा वह दण्डित होगा, चाहे वह हमारे पार्टी का कार्यकर्ता ही क्यों न हो। पीएम और सीएम की तरह हम सब भी अनुशासन प्रिय हैं।

भाजपा के मीडिया प्रभारी नवरतन राठी ने कहा कि भाजपा नेता और पुलिस में सिर्फ मास्क लगाने के सवाल पर झड़प हुई। बाद में पुलिसकर्मी मारपीट और गुंडई पर उतर आए। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है। पुलिस ने तिल को ताड़ बना दिया, जो शर्मनाक है। पुलिस शालीनता से पेश आती तो बात नोकझोंक या झड़प तक नहीं पहुंचती। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।

 

 

बनारस पुलिस ने लाकडाउन में निर्दोष लोगों पर खूब तोड़े जुल्म के पहाड़, कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि वे भाजपाई नहीं थे

 

आपको रुला देंगी बेलगाम पुलिस की चार ये शर्मनाक कहानियां

 

प्रबुद्ध नागरिकों, समाजसेवी और पत्रकारों के साथ बनारस पुलिस ने जमकर की जुल्म-ज्यादती

 

सच जाने बगैर जिन पर पुलिस ने किया जुल्म, उत्पीड़न की वो शिकायतें फाइलों में दफन 

 

जनसंदेश न्यूज 

वाराणसी। पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी को योगी सरकार ने अपराध रोकने के लिए बनारस तैनात किया, लेकिन हो रहा उल्टा। पुलिसिया जुल्म-ज्यादती और पुलिस की फर्जी कहानियां बढ़ गईं। नजीर के तौर पर हम पेश कर रहे हैं बनारस पुलिस की चार फर्जी कहानियां और उन कहानियों की कहानी। ये सभी कहानियां लाकडाउन में पुलिसिया उत्पीड़न से जन्मी। ये वे मामले हैं जिनकी जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कर रहा है। 

बनारस में अब तो फर्जी कहानियां गढ़ने का खेल और भी ज्यादा तेज हो गया है। पुलिस पर हंटर पहली बार चला, वो भी तब जब भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेंद्र पटेल पर लंका थाना पुलिस ने जुल्म का पहाड़ तोड़ा। इससे पहले की सभी कहानियां छिपी हुई हैं। सच की पड़ताल की जाए तो गिननी मुश्किल हो जाएंगी। 

 

केस-एक

पत्रकार को पीटा, हवालात में बंद किया

23 मार्च 2020 को ड्यूटी पर आ रहे पत्रकार विजय सिंह को गोदौलिया चौराहे पर पूछताछ के लिए रोका और दशाश्वमेध थाने के दरोगा दिलेश कुमार सरोज ने अकारण पीटना शुरू किया। पहले थप्पड़ मारे और बाद में लाठियों से पीटा। फिर शराब पीने का फर्जी आरोप लगाकर विजय सिंह को लाकअप में बंद किया। बाद में तमाम फर्जी धाराएं गढ़ दीं। समूचा बनारस जानता है कि पत्रकार विजय सिंह कोई नशा नहीं करते। इस मामले की शिकायत एसएसपी, एसपी सिटी से लेकर डीएम तक से की गई, लेकिन इस गंभीर मामले की जांच पुलिसिया घपले की शिकार हो गई। दशाश्वमेध थाने में पत्रकार विजय सिंह का स्कूटर सड़ रहा है। कागजात पुलिस के पास हैं, लेकिन पुलिस की मनमानी जस की तस है। यह वही मामला है जिसमें डीएम कौशलराज शर्मा ने पत्रकार की रिहाई कराई थी। 

 

केस-दो

मानवाधिकार कार्यकर्ता पर फर्जी संगीन केस

05 अप्रैल 2020 को फूलपुर थाना क्षेत्र के थाने रामपुर गांव में मुसहर समुदाय के लोगों के साथ पुलिस का विवाद हुआ। मारपीट और पथराव हुआ। कुछ लोगों के उकसाने पर हुई इस घटना में मुसहर समुदाय के लोगों के साथ ही अहिरानी गांव के मानवाधिकार कार्यकर्ता मंगला प्रसाद राजभर का नाम भी पुलिस ने फर्जी ढंग से रोजनामचे पर चढ़ा दिया। मंगला का कुसूर यह है कि कोईरीपुर गांव में घास खा रहे मुसहरों की सूचना इन्होंने ही फेसबुक पर डाली थी। तभी मीडियाकर्मी गांव में पहुंचकर मुसहरों के बच्चों की अंकरी खाते हुए तस्वीरें उतारी थीं। 

थाने रामपुर और अहिरानी गांव के बीच करीब सात किमी का फासला है। घटना के समय लाकडाउन था और घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी थी। मंगला राजभर के पास गूगल की वो रिपोर्ट भी है जो यह साबित करती है कि घटना के समय वो अपने गांव में और घर के आसपास ही थे। थाने रामपुर गांव के प्रधान ने भी लिखकर दिया है कि उस घटना से मंगला का कोई मतलब नहीं है। गूगल की रिपोर्ट और प्रधान का खत लेकर मंगला के परिजन महीनों से पुलिस अफसरों की देहरी पर चक्कर काट रहे हैं। पुलिस इस मानवाधिकार कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। ये है एसएसपी प्रभाकर चौधरी न्याय। 

 

केस-तीन

पहले पीटा, फिर तस्वीरें वायरल कराई

20 अप्रैल, 2020 को खोजवां निवासी डॉ. मनीष उपाध्याय के पिता की अचानक तबीयत बिगड़ी। इनके 78 वर्षीय पिता दिल के रोगी हैं। वो दवा लेने लंका की तरफ भागे। उस समय सुबह आठ से ग्यारह बजे तक ही लंका पर दुकानें खुल रही थीं। लंका थाना क्षेत्र की दुर्गाकुंड पुलिस चौकी के इंचार्ज श्री प्रकाश सिंह और उनके हमराहियों ने रोका। पिता के कोमा में जाने की चिंता थी, सो दवा के लिए निकले मनीष मास्क नहीं लगा सके। पुलिस ने कुछ भी नहीं पूछा। लाठियां मारनी शुरू कर दीं। सिपाहियों ने हेलमेट भी छीन लिया। बाद में नाम बताया और दवा की पर्चियां भी दिखाई, लेकिन लेकिन पिटाई नहीं थमी। इन्हें तब छोड़ा गया जब कुछ पत्रकारों को बुलाकर उनकी वीडियो क्लिप बनवाई और तस्वीरें खिंचवाई गई। बाद में पुलिस ने फर्जी कहानी गढ़कर अपने पक्ष में तस्वीरों को वायरल भी करा दिया। 

 

केस-चार

पुलिस को नागवार गुजरा नंगा सच

14 मई, 2020 को हरहुआ के पत्रकार मोहम्मद इरफान हाशमी उर्फ गुड्डू समाचार कवरेज करने निकले। उन्होंने पुलिस-प्रशासन की खामी पकड़ी। फोटो उतारी तो बड़ागांव थाना पुलिस अकारण गिरफ्तार कर लिया। इनके माथे पर भी फर्जी धाराएं गढ़ दी गईं। यह वाक्या काजीसराय के गोकुल धाम परिसर में हुई। यहां प्रवासी श्रमिकों के हेल्थ की जांच के लिए शिविर लगाया गया था। शिविर में लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। पिंडरा के एसडीएम ए.मणिकण्यम को नंगा सच नागवार गुजरा था। 

पत्रकार मोहम्मन हाशमी बताते हैं कि पुलिस ने उन्हें अपनी जीप में ठूंसा और बड़ागांव थाने ले गई। बाद में डीएम को सूचना मिली तो उन्होंने रिहाई कराई। हाशमी बताते हैं कि फर्जी मामला थोपे जाने के बाद से वो काफी परेशान हैं। आए दिन उन्हें पिंडरा एसडीएम के समक्ष पेशी पर जाना पड़ रहा है।

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