सोशल डिस्टेंसिंग नहीं फिजिकल डिस्टेंसिंग का करें प्रयोग


जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। भारत और संघ में कभी भी सामाजिक दूरी की अवधारणा नहीं रही है। यह पश्चिमी अवधारणा है, भारत हमेशा से सामाजिक नजदीकी की बात करते आ रहा है। अतः हम सभी भारतीयों को सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात् सामाजिक दूरी की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द को न सिर्फ प्रयास बल्कि अपने व्यवहार में भी लाना होगा। यह बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक रजत प्रताप से गुरूवार को कहीं।
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है। वहीं इससे उबरने के लिए विज्ञान भी अपनी भूमिका निभा रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम सभी को योजनाबद्ध तरीके से भय रहित होकर अपनत्व के साथ पीडितों की सहायता करनी चाहिए। बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के स्वयंसेवक इस विपरीत परिस्थितियों में अग्रेसर की भूमिका में मजबूती से ‘जहां कम वहां हम’ के भाव के साथ सेवा कार्य मे डटे हुए हैं।
कहा कि हमारे आस-पास कोई भी जीव भूखा न रहे इस बात को हम सबको ध्यान रखना चाहिए। यह सेवा प्रसिद्धि के लिए नहीं है। अपने समाज और देश के आत्मीयता के लिए है। सेवा कार्य बिना किसी भेदभाव के सबके लिए करना चाहिए है। सहायता में कोई अन्तर नहीं करना चाहिए। भारत का 130 करोड़ जन भारत माता के पुत्र हैं। सभी की अपनत्व के साथ सेवा करनी चाहिए। ऐसी स्थिती में हम सभी को सेवा कार्य के साथ-साथ संयम बनाये रखने की आवश्यकता है सभी को मिलकर प्रशासन, सफाईकर्मी एवं चिकित्सक इत्यादि योद्धाओं का सहयोग करते हुए उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर निःस्वार्थ भाव से कार्य करना चाहिए।


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