कंपनी और विद्युत विभाग की लड़ाई में अटका ताड़ीघाट-मऊ रेल खंड विस्तार परियोजना, कंपनी व सरकार को भारी नुकसान, कोर्ट ने दिया यह निर्देश 


प्रयागराज उच्च न्यायालय ने संबन्धित विभाग एवं सरकार को दस दिन में अपना पक्ष रखने का दिया निर्देश 

जनसंदेश न्यूज़
सुहवल/गाजीपुर। सरकार जहां पूंजी निवेश को बढावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के निर्माण में लगी कंपनियों को आकर्षित करने में लगी है, ताकि जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिल सके तथा इसके साथ ही  सरकार के राजस्व में बढोत्तरी हो सके, लेकिन अधिकारियों एवं संबन्धित विभागों की लापरवाही के कारण सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है, ताजा मामला केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी 1766 करोड़ की लागत से ताड़ीघाट मऊ रेल खंड के विस्तारिकरण को लेकर चल रही परियोजना से सामने आया है। सदर कोतवाली क्षेत्र स्थित घाट स्टेशन के बगल में इस परियोजना के फेब्रिकेशन एवं निर्माण में लगी देश की अग्रणी पीएनडार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के वर्कशाप के अधिकारियों ने बताया कि पिछले करीब एक वर्ष पहले विद्युत विभाग ने अवैध तरीके से विद्युत का उपयोग करने का बेेेेवजह आरोप लगाते हुए कनेेक्शन काट दिया। यह सरासर गलत है, जबकि कंम्पनी के ऊपर विभाग का कोई बकाया नहीं है। 
कम्पनी को जहाँ करोडों का भारी भरकम नुकसान उठाना पड रहा है, वहीं सरकार को भी अब तक करीब करोड़ों के राजस्व की भारी क्षति हो चुकी है। इस वजह से  दर्जनों लोग बेरोजगारी के मुहाने पर खडे हो चुके है। हालांकि विद्युत विभाग की इस लापरवाही से परियोजना को तय समय में पूरा होना असंभव लगने लगा है। इस मामले को लेकर कंम्पनी के अधिकारियों, इंजीनियरों में विद्युत विभाग के प्रति खासी नाराजगी व्याप्त है। कंम्पनी के अधिकारियों के मुताबिक परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए चौबीसों घंटे इंजीनियर एवं मजदूर जुटे थे, लेकिन विभाग द्वारा कनेक्शन विच्छेद कर देने से मंहगाईं को देखते मात्र एक शिफ्ट ही कंपनी चल रही है। ऐसे में मजबूरी वश इनकी छटाईं करनी पड़ रही है, जबकि पहले इस कार्य में चार सौ लोग लगे थे। इसको लेकर कंम्पनी के आलाधिकारी इंजीनियरों ने तत्कालीन जिलाधिकारी को पिछले वर्ष 10 अगस्त एवं विद्युत विभाग के एमडी को 9 नवम्बर को लिखित शिकायत की थी। विद्युत विभाग के जनपद स्तर अधिकारियों से लगायत पूर्वांचल विद्यमान वितरण निगम के एम डी से कनेक्शन देने की गुहार लगाई लेकिन निराशा हाथ लगी। कंम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि शासन एवं आलाधिकारियों से किए गये शिकायत से नाराज हो विद्युत विभाग ने कंम्पनी को उल्टे 60 लाख की बकाया नोटिस थमा दी, जो गैरवाजिब है। 



थक हारकर कंम्पनी के अधिकारियों ने प्रदेश के उर्जा मंत्री तक गुहार लगाई लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। अन्त में कंपनी ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली। इस मामलें में कंपनी की याचिका स्वीकार करते हुए प्रयागराज उच्च न्यायालय ने संबन्धित विभाग एवं सरकार को दस दिन में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। कंपनी के अनुसार पूर्व में आवश्यक लिखा-पढी एवं कागजी कोरम को पूरा करने के बाद नियमों का पालन करते हुए वैध कनेक्शन लिया गया, जो विभाग को पहले प्रति महीने करीब दस लाख रूपये राजस्व के रूप में अदा करता था, लेकिन विभाग ने बेवजह चोरी का आरोप लगाते हुए कनेक्शन को काट दिया, जबकि पूर्व का करीब चालीस लाख का बकाया पहले ही चुकता कंपनी के द्वारा  किया जा चुका है। कंम्पनी के मुताबिक अगर विद्युत विभाग एवं सरकार का इसी तरह असहयोग रहा तो यह परियोजना समय से पूरी हो सकेगी। इसमें पूरा संदेह है। फिलहाल लाइट न होने से कंपनी डीजल चालित जनरेटर से फेब्रिकेशन के काम में जुटी है। प्रतिदिन करीब एक हजार लीटर डीजल खर्च होता है। इस मामलें में पीएन डार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के जीएम अफरोज कापरा ने कहा कि विद्युत विभाग का कंम्पनी के ऊपर कोई बकाया नहीं है, जो आरोप लगाए गये है वह पूरी तरह से बेबुनियाद है।


 
इधर इसी मामले में विद्युत वितरण खंड द्वितीय के अधिशासी अभियंता आदित्य पांडेय ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि घाट पर स्थित पी एन डार इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड रेलवे की कंम्पनी को विद्युत चोरी करते हुए पाए गये थे, जिसमें उनके ऊपर विभागीय कार्यवाई की गई थी। उनका आरोप सरासर गलत है, फिलहाल अभी माननीय कोर्ट के तरफ से उनके पक्ष में कोई आदेश नहीं आया है, कंपनी को हर हाल में जुर्माना भरना होगा। उन्होंने कहा कि चाहे वह कोई भी हो चोरी करते पाए जाने पर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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