कागजों पर हरियाली, सूख गये पौधे, चर गयी बकरी, गत वर्ष रोपे गये 27 लाख पौधों में से अधिकांश हैं गायब
- ग्राम प्रधान ही नहीं दिखा पा रहे हैं रोपे गये पौधों का स्थल
- इस बार लगभग 15 लाख पौधरोपण का रखा गया है लक्ष्य
सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण और जल संचयन पर अत्यधिक जोर दिया है। लेकिन उनके ही संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सरकारी स्तर पर पौधरोपण की का हाल हमेशा की तरह बेहाल है। जिले में हरियाली जमीनी पर कम और कागजों पर अधिक है। प्रत्येक वर्ष लाखों पौधे रोपे जाते हैं लेकिन वह कहां गायब हो जाते हैं, इसकी खोज-खबर लेने की जरूरत नहीं समझी जाती।
गत वर्ष ही तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह ने सवाल उठाया था कि जब हर साल यहां लाखों पौधरोपण होता है तो इस शहर के तो जंगल में तब्दील हो जाना चाहिए था। सिर्फ बीते साल की ही बात करें तो व्यापक स्तर पर चलाए गये ‘वृक्ष कुंभ’ में 27 लाख से अधिक पौधे बनारस में रोपे गये। उनकी रक्षा की शपथ भी ली गयी। वर्तमान में उसका रिजल्ट नहीं दिख रहा है। जबकि प्रदेश स्तर पर वह आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर हुआ था।
सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर पौधे रोपते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवा चुके लोग अपनी जिम्मेदारियों को भूल चुके हैं। उन्हें रोपे गये उन पौधों की कोई फिक्र नहीं। पौधों संग फोटो सेशन कराने वाले नदारद हैं। कागजों पर हरियाली है। बीते साल रोपे गये तमाम पौधे देखभाल के अभाव में या तो सूख गये या बकरी अथवा अन्य जानवर चर गये। हद तो यह भी कि पौधों की सुरक्षा के लिए बांस के ट्री-गार्ड की पहल हुई थी, जिन्हें जाड़े के मौसम में लोगों से ठंड से बचने के लिए आग तापने का साधन बना लिया।
एकबार फिर हरियाली बढ़ाने के नाम पर ‘फोटो सेशन’ का सीजन दस्तक दे रहा है। पौधों के लिए गड्ढे खोदे जाएंगे। उनका ब्योरा दर्ज होगा। फिर पौधरोपण की मुहिम चलेगी। अगले क्रम में पूरे अभियान को लोग भूल जाएंगे। गत वर्ष की तुलना में इस बार जनपद में कुल 14 लाख 70 हजार 720 पौधे रोपने का लक्ष्य है। बीते साल अब बीते साल ‘वृक्ष महाकुंभ’ में रोपे गये पौधों का हाल लेते हैं।
सड़क के किनारे पटरीविहीन शहर इलाके में रोड डिवाइडरों पर भी पौधे लगाये गये थे। उनकी स्थिति किसी से छुपी नहीं है। रोड की पटरियों पर पौधरोपण किये जाने का दावा था लेकिन वह पौधे कहां हैं, यह बताने वाला कोई नहीं। खास यह कि गत वर्ष पौधरोपण अभियान में सभी पौधे प्रत्येक व्यक्ति को मुफ्त उपलब्ध कराया गया था। विभागावार लक्ष्य निर्धारित करते हुए मुहिम में समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी तय हुई थी। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो उस अभियान में प्रत्येक किसान को अनिवार्य रूप से कम से कम दस पौधे रोपने थे।
‘जनसंदेश टाइम्स’ की पड़ताल में कई ग्राम प्रधान ऐसे मिले जो गत वर्ष के पौधरोपण स्थल पर तो ले गये लेकिन मौके पर पौधे का अस्तित्व नहीं दिखा सके। ऐसी नहीं है कि रोपे गये सभी पौधे अब गायब हैं। पौधे हैं लेकिन वह बहुत कम संख्या में बचे हुए हैं। बीते साल के पौधरोपण की वर्तमान स्थिति को लेकर अफसर कन्नी काट गये। प्रभागीय वनाधिकारी महावीर कौजलगी फोन पर जल्दबाजी में बोले, ‘मैं बस्ती में हूं’।
इस बार जिले में पौधरोपण का लक्ष्य
- वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-2021 में कुल 14 लाख 79 हजार 720 पौधे रोपने का टार्गेट है। उसमें से वन विभाग का 523300, पर्यावरण विभाग का 26200, उद्यान विभाग का 37100, पंचायती राज विभाग के 6100, ग्राम्य विकास विभाग का 535900, सिंचाई विभाग का 4600, कृषि विभाग 102480, पशुपालन विभाग का 3500, पुलिस विभाग का 4000, माध्यमिक शिक्षा विभाग का 1220, बेसिक विभाग का 1220, रेलवे विभाग 7400, रक्षा विभाग का 2800, लोनिवि का 4600, उच्च शिक्षा विभाग का 8700, प्राविधिक शिक्षा विभाग का 2300, परिवहन विभाग का 1100 आदि का लक्ष्य है।
बीते साल पौधरोपण पर एक नजर
गत वर्ष जनपद में पौधरोपण का कुल लक्ष्य 27.56 लाख था। जिसके तहत ब्लाकों मनरेगा के जरिये पौधरोपण का कुल टार्गेट 12 लाख 92 हजार था। जिसमें आराजी लाइन का 225000, बड़ागांव का 155000, चिरईगांव का 134000, चोलापुर का 173000, हरहुआ का 142000, काशी विद्यापीठ का 92000, पिंडरा का 202000 और सेवापुरी विकास खंड का 169000 लक्ष्य रहा।
हरियाली हो तो दिखे पतझड़
- प्राइमरी स्कूल बेलवरिया में समारोहपूर्वक स्थापित पंचवटी अब नदारद
- उंदी गांव में अब नहीं वह पौधा जिसे केंद्र के नोडल अफसर ने रोपा था
- औरा गांव में अब दिख रहा उपसचिव भारत सरकार द्वारा लगाया पौधा
- किसी भी महकमे ने मुजफ्फरपुर मॉडल पर नहीं लगाया ‘ट्री गार्जियन’
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। पौधों की सुरक्षा के लिए सरकार के प्रत्येक विभाग को जिम्मेदारी दी है कि जहां पौधे रोपे जाएं, वहां उनकी देखभाल के लिए एक वृक्ष अभिभावक तय हो। इसके एवज में उस ‘ट्री गार्जियन’ को या तो मनरेगा मद ये अथवा प्रशासनिक मद के एक निश्चित मानदेय दिया जाना था। यदि मनरेगा से भुगतान हो तो प्रत्येक 100 दिन पर ‘वृक्ष अभिभावक’ में बलदाव आवश्यक है। और यदि किसी अन्य महकमे से ऐसे गार्जियन निर्धारित किये जाएं तो प्रशासनिक मद से पेमेंट करना है। ऐसे वृक्ष मित्र के अभाव में पौधों को सुरक्षित रख पाना मुश्किल होता है। इस प्रकार की लापरवाही एक एक ग्रामीण ने कहा कि जब हरियाली दिखेगी तभी पतझड़ भी दिखेगा। पौधे पेड़ का आकार ले ही नहीं पा रहे तो हरियाली कहां से आएगी।
पौधों की बढ़त के अनुसार भुगतान भी तय है। शासन ने ‘मुजफ्फरपुर मॉडल’ के आधार पर यह व्यवस्था तो दी लेकिन हकीकत में कहीं भी ऐसे ‘वृक्ष मित्र’ नहीं हैं। फलस्वरूप सुरक्षा के अभाव में पौधे या तो दम तोड़ देते हैं अथवा जानवर का निवाला बन जाते हैं। बीते साल 30 जुलाई को समारोहपूर्वक हरहुआ ब्लाक के प्राइमरी स्कूल बेलवरिया में पंचवटी स्थापित कर उनकी देखभाल की कसम खायी। वर्तमान में मौके पर न तो पंचवटी है और न ही वहां रोपे गये बरगद, पीपल, आंवला, बेल और अशोक के पौधे।
उसी साल केंद्र से वाराणसी के नोडल अफसर बनाए गये संयुक्त सचिव सुनील शर्मा ने पंचायत भवन के निकट मंदिर परिसर और गुरवट विद्यालय में जो पौधा लगाए थे, उनका अब कोई नामोनिशान नहीं है। केंद्र से भेजे गये ब्लाकों के नोडल उप सचिव जिले सिंह विकल ने पिछले साल औरा गांव में पंचायत भवन के निकट जो पौधा लगाया था, अब नदारद है। जब खास लोगों के रोपे गये पौधों को ही नहीं बचा पा रहे हैं तो आमलोगों द्वारा लगाए गये पौधों का हाल समझा जा सकता है।
ऐढ़े के ग्राम प्रधान पदुम पांडेय के मुताबिक ट्री गार्जियन नहीं रखे गये। आयर के ग्राम प्रधान की ओर से बताया गया कि मनरेगा से भुगतान की प्रक्रिया काफी लंबी होने के चलते वृक्ष अभिभावक तय नहीं हो सके। दूसरी ओर, बीते साल सितंबर में नमामि गंगे के तहत एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन में चिरईगांव ब्लाक क्षेत्र के चांदपुर में वन विभाग के दो बोर्ड लगे हैं। उनमें से एक पर चांदपुर में दस हे. में 8250 पौधे लगाए जाने का दावा है। जबकि दूसरे बोर्ड पर मुस्तफाबाद में छह हे. में 4950 पौधे लगाने की बात कही गयी है। लेकिन वास्तविकता यह है कि मुस्तफाबाद रेता पर पंचवटी के निकट हजारों की संख्या में रखे पौधे जो सूख चुके हैं।
वहीं, वृक्ष अभिभावक न होने से रोपे गये पौधे सुरक्षित नहीं रह पाते। वन क्षेत्राधकारी एनपी सिंह ने दो टूक कहा कि प्लांटेशन के बाद सुरक्षा प्रहरी तैनात होंगे। वह नहीं बता सके कि पूर्व में कितने सुरक्षा प्रहरी लगाए गये थे। उधर, चोलापुर ब्लाक क्षेत्र में गत वर्ष हुए पौधरोपण की के बारे में बीडीओ स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता सके। दानगंज इलाके में कपिसा के प्रधानपति अमरनाथ यादव के मुताबिक 18 बिस्वा में रोपे गये 200 पौधों को नहीं बचाया जा सका। वहीं, हरहुआ क्षेत्र में जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने नवग्रह वाटिका का शुभारंभ पौधरोपण के साथ किया था, उस परिसर की स्थिति देखभाल के अभाव में खराब हो रही है। बाबतपुर क्षेत्र में सगुनहा की ग्राम प्रधान शुभावती देवी ने बताया कि पिछले साल रोपे गये पौधों में से अधिकांश सूख गये। पंचायत भवन में लगाए 100 पौधों में से अधिकतर बकरियां चर गईं और शेष पानी के अभाव में सूख चुकी हैं।
प्रस्तुति- रामदुलार यादव, इरफान हाशमी, प्यारेलाल यादव, अरविंद मिश्र, इंद्र बहादुर सिंह, अभय यादव