कागज पर ओडीएफ लेकिन धरातल पर बद्दतर है इस गांव की स्थिति, अधूरे शौचालय बनें गोदाम!


बदहाली के आंसू रो रहा है तिरछी गांव

जनसंदेश न्यूज 
दुल्लहपुर/गाजीपुर। क्षेत्र के तिरछी गांव अपने आप के बदहाली पर आंसू बहाने के लिए मजबूर है। गांव की आबादी लगभग 3000 के आसपास है। गांव में विकास के लिए प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना शौचालय पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। गांव के सारे शौचालय चारों तरफ से दीवार जोड़ी गई है। शौचालय निर्माण में अनियमितता इतनी है कि ना ही गड्ढे बनाए गए और ना ही छत डाले गए। इतना ही नहीं दरवाजा लगाने की भी जरूरत नहीं समझी गई है। 
गांव में निर्माणाधीन शौचालय में लोग उपली या लकड़ी रखने में प्रयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय खुद प्रधान, ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से बनाई गई है। लेकिन अधूरे शौचालय की वजह से आज भी लोगों को सिवान और सड़कों पर जाने पड़ता हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है। 
जानकारी के अनुसार गांव में 2019 और 2020 में 276 शौचालय आई है। लेकिन शौचालय खालिसपुर कादीपुर के मौजों में सफेद बालू से जर्जर हालात में आधे अधूरे बनाकर छोड़ी गई है। यही नहीं गांव में जाने के लिए आज भी सही रास्ते नहीं है। नाली तो पूर्ण रूप से नदारद है। लोगों के घरों के पानी चकरोड पर ही एकत्र होती है। ग्रामीण चकरोड पर लगे पानी में प्रवेश करके आने जाने को मजबूर है, बहुत से पढ़ने लिखने वाले बच्चे आए दिन गिरकर चोटिल हो जाते हैं।  
गांव में लगे हैंडपंप भी 2 सालों से खराब पड़ी है। जबकि शासन के कागज में तिरछी गांव को ओडीएफ घोषित किया गया है। लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है। इस मामले में खंड विकास अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि अगर शौचालय में कोई लापरवाही हुई है। इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएंगी।


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