झमाझम बारिश से किसानों की बल्ले-बल्ले, भारी वर्षा से झूमे अन्नदाता, धान की नर्सरियों को मिली संजीवनी

- मेड़बंदी और रोपाई कार्य में जुट गये हैं किसान


- खेतों रोपे गये संडा के लिए रामबाण यह पानी


- अबकी धान की उपज हो सकती है बहुत अच्छी


- शाकभाजी के किसान करें फफूंदनाश के उपाय



जनसंदेश न्यूज


वाराणसी। जनपद के अन्नदाताओं को उनकी मुंह मांगी मुराद मिल गया है। बीते तीन दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश से वह प्रफुल्लित हैं। शुक्रवार को कहीं झमाझम तो कहीं हल्की फुहार ने जहां वातावरण को सुहावना बना दिया वहीं, किसानों की मानो बल्ले-बल्ले हो गयी। वह फूले नहीं समा रहे हैं। खरीफ के इस सीजन में हो रही बरसात से धान की नर्सरियों को संजीवनी मिली है। दूसरी ओर, शाक-भाजी की फसलों के लिए यह बरसात प्रतिकूल मानी जा रही है। सब्जी आदि की खेती करने वालों को सलाह दी गयी है कि मौसम कुछ बेहतर होने पर फसल में फफूंदनाशी दवा का छिड़काव करें।


चिरईगांव प्रतिनिधि के अनुसार बीते मई माह के अंत में और जून महीने की शुरुआत में डाली गयी धान की नर्सरियां तेज धूप एवं गर्मी के प्रभाव में थे। उनके पौधे सफेद व पीले पड़ने लगे। फलस्वरूप उनका विकास बाधित हो रहा था। वर्तमान में मौसम अनुकूल होते ही धान की नर्सरियां हरी-भरी दिखने लगी हैं। वहीं, संडा की रोपाई लिए काफी अनुकूल मौसम हो के चलते किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।


जिले के अधिकांश किसान संडा की रोपाई कर चुके हैं। रोपे गए संडा के लिए भी बारिश का यह पानी रामबाण है। इसके अलावा हरा चारा, ज्वार, बाजरा आदि के लिए यह मौसम लाभकर साबित हो रहा है। जबकि शाक-भाजी के लिए यह स्थिति प्रतिकूल बतायी जा रही है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह बरसात होती रही तो नेनुआ, भिंडी, लौकी, कोहड़ा इत्यादि हरी सब्जियों में फंफूदजनित रोगों का प्रभाव बढ़ेगा। ऐसी स्थिति में मौसम साफ होने के बाद किसानों फंफूदनाशक दवाओं का छिड़काव करें।



पिंडरा प्रतिनिधि के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही बारिश देखते हुए किसान धान के नर्सरी लगाने और रोपाई में तेजी से जुट गये हैं। समय से मानसून आने के कारण अन्नदाता प्रसन्न हैं। राजपुर निवासी अजित पटेल ने बताया कि इस बार धान की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। कुछ किसान नर्सरी तैयार न होने के कारण दो दिन बाद रोपाई करेंगे। बाबतपुर प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय क्षेत्र के लोगों को भीषण गर्मी और उमस से राहत मिली।


आसपास के ग्रामीण इलाकों में खरीफ की बोआई ने गति पकड़ ली। इस बरसात को किसान धान की रोपाई के लिए अमृत मान रहे हैं। अन्नदाता खेतों में मेड़बंदी के साथ वर्षा जल जमाव की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। सगुनहा के किसान रामबली मिश्र ने बताया कि कई साल बाद मानसून का ऐसा अच्छा तेवर दिख रहा है। बड़ागांव निवासी किसान ज्ञानेंद्र पुन्नू ने कहा कि यह वर्षा सोने में सुहागा साबित होगा।


जक्खिनी प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय क्षेत्र के कई गांवों में हल्की तो कहीं भारी बारिश हुई। जहां अधिक वर्षा हुई वहां बरसात के पानी ने खेत-खलिहान एक कर दिया। किसान मेड़बंदी में लगे रहे ताकि खेतों का पानी बाहर न निकल सके। वहीं, ट्रैक्टरों के पहियों में लोहे का चेन लगाने की कवायद भी शुरु हो गयी। जिससे खेतों में लेव काटकर धान की रोपाई करना संभव हो। संसारपुर के किसान कप्तान, राजकुमार पाल, धरणीधर सिंह पटेल, मुकेश आदि ने इस बरसात को लाभकारी बताया।


इलाके के पनियरा निवासी लल्लन दुबे, कमलापति दुबे, जितेंद्र, ज्ञान प्रकाश ने बताया कि जहां नर्सरी तैयार है वहां धान की रोपाई आरंभ होगी। वीरसिंहपुर के राजेश सिंह पगड़ी, ढढोरपुर के नीरज पांडेय, राजेंद्र राजभर ने कहा कि अब अषाढ़ी खेती हो सकेगी। किसान पशुओं के लिए हरे चारे की बोआई कर सकते हैं। मूंग, उड़द, तिल, अरहर और मक्का की बोआई भी आसान रहेगी। चोलापुर प्रतिनिधि के मुताबिक किसान अजय यादव, अमरजीत, रमेश पटेल, फौजदार, हंसराज ने बताया कि 20-25 दिन के बाद धान कि रोपाई हो जाएगी ।



साधनविहीन किसानों को राहत


दानगंज। स्थानीय क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह से देर तक हुई मूसलाधार बरसात से किसान गदगद हैं। अन्नदाता शैलेंद्र सिंह, रामजीत मौर्य, बड़क सिंह और भानु प्रताप सिंह ने उम्मीद जतायी कि इस बार धान की पैदावार बढ़ेगी। जबकि ज्वार, बाजरा, मक्का, उतैला तथा सब्जियों को नुकसान हो सकता है। कहीं-कहीं अधिक नमी के चलते खेत कच्चे हो गये हैं। इस बार धान की रोपाई में नलकूप या पंप सेट की जरूरत कम ही पड़ेगी। चूंकि नदियों से कैनाल के जरिये नहर में लंबे समय से पानी नहीं मिल पा रहा है इसलिए अब भविष्य में भी पर्याप्त पानी मिलने की संभावना है। साधनविहीन किसानों के लिए यह बारिश राहत देने वाली है।



दलहनी-तिहलनी फसलों के लिए लाभकारी वर्षा


बड़ागांव। शुक्रवार को हुई बारिश से स्थानीय क्षेत्र के अन्नदाताओं ने चैन की सांस ली है। किसान आशीष मिश्रा ने बताया इस बार कृषि इकाई केंद्र से बासमती चावल का बीज लिए हैं। बेहन तैयार हो गया था। आज उसकी रोपाई शुरु हो गयी। इसी प्रकार बरसात जारी रही तो पैदावार भी अच्छी होगी। विकास दत्त मिश्र ने कहा की इस वर्षा ने खेती में जान फूंक दी है। मानसून जल्दी आने से रोपाई भी जल्द ही आरंभ हो गयी। सकलदेव सिंह ने बताया धान की फसल के साथ ही दलहनी-तिलहनी फसलों के लिए भी यह पानी बहुत फायदेमंद है।


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