गाय-भैंस की टैगिंग नहीं तो सरकारी लाभ भी नहीं,  जिले में हैं लगभग पांच लाख गाय और भैंस, प्रत्येक की टैंगिंग हुई अनिवार्य

 


- प्रक्रिया पूरी न की तो किसान-पशुपालक को स्कीमों का नहीं मिलेगा फायदा


- डीएम ने ने संबंधित विभागों, अफसरों, ग्राम प्रधानों के लिए जारी किये निर्देश



जनसंदेश न्यूज


वाराणसी। गाय-भैंस पालने वाले प्रत्येक पशुपालक को अपने जानवर की टैगिंग कराना अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रक्रिया नहीं की तो पशुपालक को अपने मवेशी के लिए मुफ्त में मिलने वाली शासन की योजना का लाभ नहीं मिलेगा। टैगिंग कराने का एक फायदा यह भी है कि उस पशु के बारे में सरकारी स्तर पर सभी ब्योरा दर्ज रहेगा।


जनपद में शहर क्षेत्र और गांवों को मिलाकर लगभग पांच लाख गाय-भैंस होने का अनुमान है। किसी पशुपालक के पास एक या दो तो किसी के पास बड़ी संख्या में गाय-भैंस हैं। किसान भी गाय-भैंस पालते हैं। अब खेती-बाड़ी के साथ अन्नदाताओं की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य से पशुपालन बढ़ावा भी दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनएडीसीपी) संचालित हो रही है।


उस स्कीम का उद्देश्य है कि पशुओं को खुरपका-मुंहपका व गलाघोंटू समेत पीपीआरएस ब्रुसेलिसिस आदि बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन किया जाय। टीकाकरण होने से पशु इन बीमारियों के बचे रहते हैं। शासन के निर्देश पर पशुओं की टैगिंग पहले से ही चल रही है। अब गाय-भैंसों की टैगिंग करने के बाद उनका विवरण भारत सरकार के निर्धारित पोर्टल पर भी दर्ज करना जरूरी है।


सरकार की नयी नीति के अनुसार अब आगामी टीकाकरण अभियान में गाय-भैंसों की टैगिंग कराने के बाद ही उनका वैक्सीनेशन किया जाएगा। साथ ही पशुपालन विभाग की ओर से कराये जाने वाले गाय-भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान, चिकित्सा, टीकाकरण आदि का ब्योरा मवेशी को लगाए गये टैग नंबर के अनुसार आॅनलाइन फीड करेंगे। उसी आधार पर पशुपालक को पशुपालन विभाग या अन्य महकमों की संबंधित योजनाओं का लाभ मिलेगा।


जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इस बारे में गुरुवार को सभी निकायों के अधिशासी अधिकारियों, बीडीओ, ग्राम प्रधानों को निर्देश जारी किये। ताकि उनके क्षेत्र के पशुपालकों और किसानों को मवेशी की टैगिंग की अनिवार्यता के बारे में जानकारी दी जा सके।


मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. वीबी सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व से जारी टैंगिंग अभियान के तहत अबतक लगभग 72 हजार गाय-भैंसों को टैग किया जा चुका है। उनमें से करीब 40 हजार मवेशियों का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया है। अब टैगिंग अनिवार्य है। इससे किसान या पशुपालक के अपने मवेशी का टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, पेट की कीड़े मारने की दवा का अपडेट आदि मुफ्त करना संभव होगा।


उन्होंने बताया कि वर्तमान में नीति आयोग के निर्देश पर मॉडल ब्लाक के रूप में विकसित किये जा रहे सेवापुरी विकास खंड के कुल 45 हजार 186 गाय और 29 हजार 861 भैंसों की टैगिंग का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पूर्व में गोकुल मिशन के तहत 17 हजार गोवंशों की टैगिंग हो चुकी है।


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