डीएम ने दुग्ध समितियों के सदस्यों को सात दिन में केसीसी देने का दिया निर्देश, एक ही विभाग के 967 आवेदन बैंकों में महीनों से है लंबित 


सिर्फ पशुपालन विभाग का ही 967 आवेदन बैंकों में महीनों से है लंबित


जिलाधिकारी ने की संबंधित किसान क्रेडिट कार्ड की समीक्षा


खेती के साथ पशुपालन को जोड़ने की सरकार ने की है पहल


इसमें लोन को नहीं देनी कोई गारंटी, ब्याज सिर्फ चार फीसदी


लोन का इंटररेस्ट कम होने के कारण बैंक नहीं दिखा रहे रुचि


कई विभागों संग समितियों के करीब 2000 केसीसी का लक्ष्य

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने निर्देश दिया है कि पंजीकृत 42 दुग्ध समितियों में से जिन समिति के सदस्यों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है, उनके आवेदन-पत्र भरवाकर केसीसी उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने यह कार्य एक सप्ताह के भीतर करने लेने को कहा है। डीएम शनिवार को कैंप कार्यालय सभागार में दुग्ध उत्पादकों के लिए बनाये जा रहे किसान क्रेडिट कार्ड संबंधी प्रगति की समीक्षा बैठक कर रहे थे।
उन्होंने केसीसी बनवाने के लिए प्रत्येक पंजीकृत दुग्ध समिति को ग्राम पंचायतों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दुग्ध उत्पादक सदस्यों की बैठक कराने पर बल दिया। इस मौके पर विभागीय अफसरों ने बताया कि विकास खंड सेवापुरी में कुल 28 पंजीकृत दुग्ध समितियों में से 12 कार्यरत हैं। इस पर श्री शर्मा ने शेष 16 समितियों को इसी माह सक्रिय करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादक समितियों के पुर्नगठन और संचालन के लिए आवश्यक धनराशि संबंधी मांग-पत्र शासन को भेजें। इधर, जानकारी के मुताबिक दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने और इसके लिए पशुपालन को किसानी से जोड़ने के उद्देश्य से शासन ने दुग्ध उत्पादकों या पशुपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है। इसी वर्ष गत फरवरी माह से लागू इस नयी व्यवस्था में यदि पशुपालक केसीसी के जरिये बैंक से लोन लेना चाहता है तो निर्धारित धनराशि की सीमा में उसे अपनी ओर से कोई गारंटर उपलब्ध नहीं कराना है।
इस स्कीम में लिये गये ऋण पर ब्याज महज चार फीसदी है। सरकार की इस पहल को लेकर बैंक परेशान हैं। क्योंकि अन्य योजना में केसीसी पर बैंक 12 प्रतिशत का ब्याज वसूलता है। फिलहाल स्थिति यह है कि दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने में बैंक ही अनाकानी कर रहे हैं। कुछ माह पूर्व शासन ने दुग्ध उत्पादकों को केसीसी उपलब्ध कराने का प्रावधान किया था। जिसके तहत पशुपालन व मत्स्य आदि विभागों के लक्ष्य भी निर्धारित रहे।
जनपद में सिर्फ पशुपालन विभाग को देखें तो उसे वर्तमान में लगभग 967 दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराना है। बैंककर्मियों की आनाकानी के चलते पशुपालन विभाग की ओर से करीब इतने की आवेदन-पत्र बैंकों में कई महीनों फाइलों में दबा दिये गये हैं। जबकि सभी दुग्ध समितियों को मिलाकर लगभग दो हजार केसीसी जारी करने का लक्ष्य है। इस बारे में पूछे जाने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. वीबी सिंह ने बताया कि इस योजना में दो लाख रुपये तक की सीमा में लोन लेने पर पशुपालक को गारंटर नहीं देना पड़ता। वर्तमान में केसीसी जारी न होने की समस्या का समाधान कराने के लिए बीते शुक्रवार को एलडीएम और नाबार्ड के अधिकारी के साथ बैठक हुई है।


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