भुखमरी से बचाने को शहद उत्पादन बढ़ाने की जरूरत, सेवापुरी ब्लाक के दौलतिया ग्राम पंचायत में शुरू हुआ मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण 

देश में रोजाना प्रति व्यक्ति दस ग्राम मधु प्रोडक्शन को 50 ग्राम तक पहुंचाने की है आवश्यकता


जनपद में फिलहाल छोटे और बड़े स्तर पर 46 किसान ही कर रहे चार हजार किलो प्रोड्क्शन



सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। विश्व के शहद उत्पादक देशों में भारत चौथा देश है। यहां रोजाना प्रति व्यक्ति दस ग्राम शहद की ही उपलब्धता है। जबकि स्वस्थ रहने के लिए 50 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से शहद की उपलब्धता होनी चाहिए। इसलिए मधुमक्खी या मौन पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। वाराणसी जनपद में फिलहाल 46 किसान छोटे-बड़े स्तर पर मौनपालन कर रहे हैं। उनके माध्यम से चार हजार किलो शहद का प्रोडक्शन है। इन किसानों के पास मधुमक्थी पालन के लिए 12 सौ बॉक्स हैं। 
सेवापुरी विकास खंड को मॉडल ब्लाक बनाने के लिए शामिल कार्ययोजना में मौनपालन को भी सम्मिलित किया गया है। उद्यान विभाग की ओर से ब्लाक में मधुमक्खी पावन को बढ़ावा देने और तय लक्ष्य में किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बुधवार को आरंभ प्रशिक्षण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी। वर्कशॉप में किास खंड सात गांवों से चयनित 25 किसानों को यह ट्रेनिंग दी जा रही है।
दौलतिया ग्राम पंचायत के प्रेमचंद इंटरमीडिएट कॉलेज में यह कार्यक्रम है। कार्यशाला के उद्घाटन करते हुए बीडीओ दिवाकर सिंह ने नीति आयोग की ओर से सेवापुरी को मॉडल ब्लाक के लिए चयनित किये जाने की जानकारी दी। उन्होंने मौनपालन समेत मछली और कुक्कुट पालन अपनाने का सुझाव दिया। वक्ताओं ने शहद की स्वीट रिवॉल्यूशन को पीली क्रांति के तौर पर लेने की अपील की।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आत्मानंद त्रिपाठी ने मौनपालन के वैश्विक परिदृष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने मधुमक्खी पालन के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ की जानकारी देते हुए कहा कि 50 मौन बॉक्स रखने पर तीन लाख रुपये से लेकर चार लाख तक के आय में बढ़ोतरी संभव है। आईसीएआर पूसा के वैज्ञानिक डॉ. आर. सिंह पूर्व ने बताया कि मधुमक्खी पालन करने का समय सितंबर से उपयुक्त होता है।
उन्होंने कहा कि यदि मधुमक्खियां विश्व में न हों तो उत्पादन आधे से भी कम हो जाएगा। फलस्वरूप भुखमरी की स्थिति हो सकती है। झारखंड के करंज क्षेत्र का मधु औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसी प्रकार वाराणसी में सरसों तथा यूकेलिप्टस आदि फसलों से शहद उत्पादन की व्यापक संभावनाएं है। तकनीकी सत्र के बाद किसानों को गांव में मौनपालन कर रहे किसानों के संबंधित स्थल पर ले जाकर प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
इस अवसर पर जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने उद्यान विभाग नेशनल बी बोर्ड और भारत सरकार से प्रस्तावित नई योजनाओं की जानकारी दी। उद्यान निरीक्षक ज्योति कुमार सिंह के संचालन में मौनपालन योजना प्रभारी गोरखनाथ सिंह आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बचाऊ लाल, उद्यान निरीक्षक सुनील कुमार भास्कर आदि भी थे।


कराएं पंजीकरण, लें लाभ
जनपद में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना में अनारक्षित 100, अनुसूचित जाति के लिए 200 बाक्स वितरित करने का लक्ष्य है। प्रति बाक्स चार हजार रुपये की लागत पर 40 फीसदी अनुदान के रूप में 16 सौ रुपये सब्सिडी का प्रावधान है। मॉडल ब्लाक के तौर पर विकसित किये जा रहे सेवापुरी विकास खंड के दौलतिया ग्राम पंचायत में बुधवार ट्रेनिंग प्रोग्राम 30 जून चलेगा। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण में आईआईवीआर, आईसीएआर, केवीके के वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। यह ट्रेनिंग प्राप्त करने के इच्छुक किसान पंजीकरण आदि के बारे में श्री गुप्त से उनके मोबाइल फोन नंबर 9415262566 पर संपर्क कर सकते हैं।



मौनपालन में रखें इसका ध्यान----
- मौनवंशों को ऊंचे स्थान पर रखें और मौन स्टैंग के नीचे रखी चींटी अवरोधक प्यालियों में पानी भर दें। वह पानी प्रतिदिन बदलते रहें।
- मधुमक्खियों को चींटों, छिपकलियों, बर्रे, मोमी पतिंगा, गिरगिट, मेंढक, ड्रैगन फ्लाई से मौनगृहों को बचाने के लिए बॉक्स में छेद न रखें।
- मौनगृहों का प्रवेशद्वार छोटा कर दें। मौनवंशो में माइट का प्रकोप पर 2-3 ग्राम तंबाखू या नीम पत्ती का धुआं सप्ताह में तीन बार करें।
- माइक का प्रकोप यदि अधिक हो जाय तो उस स्थिति में 85 फीसदी फार्मिक एसिड इंजेक्शन की शीशी में रखकर सायंकाल देते रहें।
- खाली छत्तों को पॉलीथिन बैग में पैक कर ड्रम में रखें और उसे एयर टाइट कर दें। जिससे उन छत्तों में मोमी पतिंगे का प्रकोप न हो सके।
- हर साल 25-30 फीसदी पुराने-काले पड़े छत्तों को नष्ट कर उन फ्रेमों पर पोटैशियम परमैगनेट दवा डालकर कर छत्ताधार से नये छत्ते बनाएं।


 


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