बनारस के चर्चित नितेश सिंह हत्याकांड के नौ महीने बाद हुई हत्यारे की पहचान, पुलिस ने रखा 50 हजार का इनाम


गिरधारी उर्फ डॉक्टर ने की थी नितेश सिंह की हत्या?



रवि प्रकाश सिंह
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। ठेकेदार नितेश सिंह उर्फ बबलू हत्याकांड में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस के लिए गुत्थी बन चुका ठेकेदार नितेश सिंह उर्फ बबलू हत्याकांड में पहला नाम जो उजागर हुआ है वो गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ ‘डॉक्टर’ का है। पुलिस ने अब इसके ऊपर 50 हजार का इनाम घोषित किया है। गिरधारी को गिरफ्तार करने, बंदी बनाने के लिए कोई सूचना देता है या उसे मुठभेड़ में मारा जाता है तो उक्त व्यक्ति या पुलिस टीम को इनाम दिया जायेगा। वहीं सूत्र बताते हैं कि आरोपी गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर तक पहुंचने के लिए पुलिस ने पुख्ता जाल बिछा रखा है। गिरधारी उर्फ डॉक्टर लखनपुर चोलापुर वाराणसी का निवासी है। बबलू सिंह हत्याकांड में अज्ञात के खिलाफ 302 का मामला दर्ज हुआ था।  
वाराणसी पुलिस को ये सफलता हत्या के लगभग नौ महीने बाद लगी, जब इस हत्याकांड में कोई पहला नाम उभर कर सामने आया। हत्याकांड में शामिल अन्य की तलाश में पुलिस ने अपने सूत्र बैठा रखे हैं। पहली बन चुके इस हत्याकांड की गुत्थी वह सुलझाने में जुट गई है। डॉक्टर का नाम सामने आने पर ये बातें की छन कर आ रही है कि इसका संबन्ध राजनेताओं और रसूखजादों  से हैं। 


पिछले साल 30 सितंबर को सदर तहसील में मारी गई गोली 
सदर तहसील में 30 सितंबर 2019 की सुबह सारनाथ निवासी बबलू सिंह की उसके ही फार्च्यूनर में हत्या कर दी गई थी। बाइक सवार बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर बबलू को मौत के घाट उतार दिया था। घटना के बाद दो शूटरों के फुटेज जारी किये गये थे। गिरधारी पर हत्या के आधा दर्जन मामले आसपास के जिलोें में दर्ज है।  


पूर्व क्राइम प्रभारी विक्रम सिंह होते गिरफ्त में होता गिरधारी 
बबलू सिंह हत्याकांड में वाराणसी के पूर्व क्राइम प्रभारी विक्रम सिंह ने कड़ी मेहनत की थी। सूत्र बताते हैं कि अगर उनका यहां से तबादला नहीं हुआ होता तो गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर अब तक पुलिस की गिरफ्त में होता। हत्याकांड के बाद विक्रम सिंह ने मामले का पर्दाफाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सूत्र ये भी बताते हैं कि उनके हाथ इस हत्याकांड में शामिल लोगों तक पहुंच गए थे। लेकिन ये इत्तेफाक है कि उनका तबादला वाराणसी से कर दिया गया। विक्रम सिंह का तबादला वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के अन्य जिलों में काफी चर्चा का विषय बना। ईमानदार और तेज तर्रार इस्पेक्टरों में उनकी गिनती होती थी। 


 


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