अब नहीं दिखेगी संगीत जगत में साजिद-वाजिद की जोड़ी
डॉ0 अखिलेश चन्द्र
भारतीय फ़िल्म जगत में साजिद वाजिद खान के नाम से अपना सिक्का जमाने वाले मशहूर संगीतकार की जोड़ी आज सुबह हमेशा के लिए टूट गयी। इस मशहूर जोड़ी के पिलर 42 वर्षीय वाजिद खान का कोरोना से पॉजीटिव होने के कारण निधन हो गया। अभी कुछ दिनों पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। वो अभी इससे मुक्त ही हो रहे थे कि कोरोना पॉजीटिव हो गये। यह कोरोना पूरे विश्व पर कहर बरपा रहा है। इधर पूरा देश कोरोना के संकट से जूझ रहा है, उसी की एक मार भारत के इस मशहूर जोड़ी पर भी भारी पड़ गयी और हमसे हमारा यह सितारा हमेशा के लिये दूर चला गया।
भारतीय फ़िल्म उद्योग इस समय गहरे सदमे में है। अभी कुछ दिनों पहले इरफ़ान खान, फिर ऋषि कपूर के सदमे से फ़िल्म उद्योग अभी उबर भी नही पाया था, तब तक वाजिद खान का जाना जैसे कहर बन कर टूटा है। भारतीय फ़िल्म उद्योग में संगीतकार की जोड़ी का चलन शुरुआत से चला आ रहा है। दो संगीतकार की अपनी पुरानी परम्परा से अनेकों जोड़ियों ने अपना सिक्का बनाकर रखा पर जब भी ये जोड़ियां टूटी भारतीय फ़िल्म उद्योग के साथ-साथ भारतीय संगीत जगत का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।
इन जोड़ियों में -शंकर जयकिशन, कल्याण जी आनन्द जी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, की जोड़ी के गानों के लोग दीवाने हैं, पर अफ़सोस जब भी इनमें से एक नही रहा वो एक जो बचा भी कुछ विशेष नही कर पाया। एक उदाहरण नदीम श्रवण के भी जोड़ी का है, हांलाकि ईश्वर की कृपा से ये दोनों अभी इस दुनियां में हैं पर नदीम के भारत से जाने के कारण इनका भी दौर खत्म हो गया।
भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है। यह जोड़ी पति और पत्नी की होती है, पर जिस जोड़ी का हम यहाँ जिक्र कर रहे हैं वो जोड़ी संगीतकारों की जोड़ी है। जब एक घर में रहकर पति और पत्नी में भी नोक-झोंक हो जाती हैं तो एक प्रोफेशन में रहते हुये इनमें अनबन प्रायः कम होती है क्योंकि दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं।
एक सिक्के के दो पहलू की तरह इनकी जोड़ियां वो कमाल करती रहीं हैं कि वो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाती हैं। भारतीय मानव सभ्यता में संगीत तो हमें प्रकृति ने दिया है। सुबह जब चिड़ियों की कलरव कानों में पड़ती है तो मन को कितना सुकून मिलता है। इसी को ध्यान में रखकर संगीत का जन्म हुआ होगा। पहाड़ों से झरनों का गिरना संगीत के सात सुर का बोध कराते हैं। साजिद वाजिद खान की भारतीय फ़िल्म उद्योग को अनमोल देन यह देश कभी भी भूल नही सकता।
सलमान खान की ब्लॉक बस्टर फिल्में जो 100 करोड़ के व्यापार को पार करके 500 से 600 करोड़ का कारोबार करती रही हैं, उसमे उनका स्टारडम तो है ही पर साजिद और वाजिद खान के योगदान भी उतना ही है, जितना सलमान खान का। पर अफ़सोस हमें स्टार तो याद रहते हैं पर उस फ़िल्म को सुपर हिट बनाने वाले संगीतकार परदे के पीछे ही रह जाते है। सलमान खान की सुपर ब्लॉक बस्टर फिल्में जो साजिद वाजिद के कारण सुपरहिट रही वो हैं-मैंने प्यार क्यों किया, गॉड तुस्सी ग्रेट हो, दबंग, दबंग 2 वीर, गर्व, हेलो ब्रदर, पार्टनर, मुझसे शादी करोगी, वांटेड, तेरे नाम, एक था टाइगर जो साजिद वाजिद के संगीत के जादू का उदाहरण हैं।
भारतीय फ़िल्म उद्योग में 2011 में आयी फ़िल्म दबंग के लिये इस जोड़ी को फ़िल्म फेयर अवार्ड भी मिला। साजिद वाजिद की जोड़ी ने जिन और फिल्मों में अपना संगीत का जादू बिखेरा उनकी एक लम्बी फेहरिस्त हैं, वे हैं-प्यार किया तो डरना क्या, खौफ, बागी, मिट्टी, माँ तुझे सलाम, ये जिंदगी का सफर, तुमको न भूल पाएंगे, क्या यही प्यार है, हम तुम्हारे हैं सनम, शरारत, गुनाह, चोरी-चोरी, ड्रीम्स ‘सपने सच होंगे, माशूका, सावन -द लव सीजन, जवानी दीवानी, द किलर, शादी करके फश गया यार, जाने क्या होगा, वेलकम, हीरोज, खलबली, जिंदगी तेरे नाम, गाड तू सी ग्रेट हो, कल किसने देखा, ढ़ुढ़ते रह जाओगे, पेइंग गेस्ट, मै और मिसेज खन्ना, जाने कहा से आयी है, नो प्राब्लम, टेल मी वो खुदा, मिले न मिले हम, तेज, हाउसफुल 2, राउड़ी राठौर, तेरी मेरी कहानी, कमाल धमाल मालामाल, अजब गजब लव, सन ऑफ़ सरदार, रंगरेज, हिम्मतवाला, चश्मेबद्दूर, इश्क इन पेरिस, बुलेटराजा, जय हो, मै तेरा हीरो, हिरोपंती, दावते इश्क, तेवर, सिंग इज किंग, क्या कूल हैं हम, तूतक तूतक तूतिया, क्या कूल हैं हम 3, डैडी, जुड़वां 2, उनकी यादगार फिल्में हैं।
इन फिल्मों में बहुत ही नही तकरीबन सभी अपने अपने रूप में लम्बी कामयाबी पा सकी इनमें उनका योगदान कभी भी भुलाया नही जा सकता।
इस जोड़ी का बनाया गाना ‘दुपट्टा तेरा नौ रंग दा’ कौन भूल सकता है। गानों की अगर श्रृंखला बनायी जायेगी तो ये बहुत बड़ी होगी। जिस जोड़ी की फिल्मों में दिए गए संगीत के नाम ही इतने हैं उनके गानों की कितनी बड़ी कतार होगी। इस जोड़ी ने भारत के लोगों पर राज किया है। इन दोनों महान संगीतकारों ने कितनों की जिंदगी मालामाल कर दी, कितनों को सुपर स्टार बनाया ये अलग बात है हम सभी तो इनके गानों के दीवाने हैं। यह जोड़ी फिल्मों में न सिर्फ संगीत देती थी बल्कि फिल्मों के गाने भी कई फिल्मों में लिखती थी। इनके गाये कौव्वाली भी काफी मशहूर हैं।
साजिद के भाई वाजिद खान का जाना उन्हें कितना खल रहा होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि जो भाई दिन भर, रात भर 24 घण्टे साथ रहता रहा हो, घर पर, काम पर स्टूडियो में फ़िल्म के गाने के निर्माण में, एडिटिंग में, डबिंग में ये तो सिर्फ वही बयां कर सकते है। जब हम उनके संगीत से इतना प्यार करते हैं तो साजिद का तो भाई ही चला गया।
दुनियां में अच्छे लोगों की जरूरत हैं तो शायद ऊपरवाला भी अच्छे लोगों की तलाश में लगा रहता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग भी ऐसे बहुत से नामचीन लोगों से भरा पड़ा है, जिन्होंने स्टारडम तो कीर्तिमान स्तर का प्राप्त किया पर अपने जीवन में 50 बसन्त नही देख पाएं। दिल पर राज करने वाले ये भारतीय फ़िल्म उद्योग के सितारे जाने कहां उस अंजान जगह चले जाते है जहां का पता आजतक कोई नही लगा सका। संगीत के इस महान सितारे को मुकेश के गाये एक गीत से ही मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूँगा। जाने चले जाते हैं कहाँ, दुनियां से जाने वाले, कैसे ढूंढे कोई उनको, नहीं कदमों के भी निशां, जाने चले जाते हैं कहाँ, दुनियां से जाने वाले।
शत शत नमन! वाजिद खान भाई हमेशा आप याद आओगे जब जब कोई आपका संगीत सुनेगा तब तब आप याद आओगे।
डॉ0 अखिलेश चन्द्र, आजमगढ़