टिक टाक के फेर में गंगा में समा गए पांच किशोर, युवाओं व किशोरों की दीवानगी भुना रही सोशल साइट

 

पांचों थे जिगरी दोस्त, एक-दूसरे को बचाने में चली गयी सभी की जान

 

इस दर्दनाक हादसे से रामनगर में पसरा सन्नाटा, परिवार में कोहराम

 

प्रशासनिक अफसरों संग पुलिस फोर्स पहुंची, गोताखोरों ने निकाला शव

 

सांस की आस में दो को लेकर पहुंचे शास्त्री चिकित्सालय पर मृत घोषित


जनसंदेश न्यूज 

रामनगर/वाराणसी। मोबाइल से टिक टाक का शौक रखना शुक्रवार को वाराणसी के पांच किशोरों को भारी पड़ गया। एक दर्दनाक हादसे में पांच दोस्तों की वाराणसी स्थित रामनगर के सिपहिया घाट पर शुक्रवार को पूर्वाह्न गंगा में स्नान करते वक्त डूबने से मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के कारण रामनगर में सन्नाटा छा गया। घटना की जानकारी मिलते ही किशोरों के परिवार में कोहराम मच गया। सूचना पर प्रशासनिक अफसरों के साथ पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंची। गोताखारों के मदद से सभी किशोरों के शव को बाहर निकाला गया। 

पुराने रामनगर के वारीगढही और वाजिदपुर के छह किशोर रोज की तरह गंगा स्नान करने के लिए शुक्रवार को पूर्वाह्न लगभग साढ़े नौ बजे सिपहिया घाट पहुंचे। इनमें वारीगढही निवासी तौफीक (20), रिजवान (15), फरदीन खान (16), मोहम्मद कैफ (12), साहिल और वाजिदपुर निवासी रेहान (15) थे। साहिल के अनुसार, सिपाहिया घाट किनारे बैठ कर वह मोबाइल पर तौफीक, रिजवान, फरदीन, मोहम्मद कैफ व रेहान का गंगा में स्नान करने का  वीडियो शूट करने लगा। सभी एक साथ ही स्नान कर रहे थे। तभी इनमें से एक किशोर डूबने लगा। उसी को बचाने के चक्कर में दूसरे ने हाथ बढ़ाया, तो वह भी डूबने लगा। इस प्रकार, स्नान कर रहे सभी दोस्त एक-दूसरे को बचाने के चक्कर में हाथ पकड़ लिया और देखते ही देखते पांचों गंगा की गहराई में समाते चले गए। उन्हें डूबता देख साहिल चिल्लाने लगा, लेकिन सूनसान रेत में इनकी आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। क्योंकि, इन लोगों के अलवा वहां इनको बचाने वाला कोई मौजूद ही नही था। 


इस पर घबड़ाया साहिल भागते-भागते घर पहुंचा और सारी जानकारी दी। इसके बाद तो जैसे पूरे वारीगढही क्षेत्र में कोहराम मच गया। जो जैसे था, वैसे ही बदहवास हालत में दौड़ते हुए घाट पर पहुंच गया। सूचना मिलने पर रामनगर पुलिस, सीओ कोतवाली प्रदीप सिंह चंदेल भी मौके पर पहुंच गए। रामनगर से गोताखोरों की टीम को बुलाया गया। गोताखोरों ने लगभग डेढ़ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सभी का शव खोज निकाला। दो युवकों की सांस चलने के भ्रम में लोग बाइक से ही उनको लेकर स्थानीय लाल बहादुर शास्त्री चिकित्साल्य पहुंच गये, लेकिन चिकित्सकों की टीम ने सभी को मृत घोषित कर दिया। चिकित्सालय परिसर में सभी के परिजनों के पहुंचने के बाद माहौल गमगीन हो गया। मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट, एडीएम चतुर्थ, लंका थानाध्यक्ष और आदमपुर पुलिस सहित एक प्लाटून पीएसी भी पहुंच गई। हालांकि लोग पंचनामा करके ही शव देने की बात कह रहे थे, लेकिन पुलिस ने समझा-बुझाकर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। परिजनों के मुताबिक सभी आपस में जिगरी दोस्त थे और ईद के दिन से लगातार गंगा स्नान करने जा रहे थे। मृतकों में तौफीक नाम के युवक का पिछले दिनों का टिक टाक बनाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। हालांकि परिजनों का कहना है कि टिक टाक बनाने की बात सिर्फ अपवाह है। सभी गंगा में स्नान करने गए थे।

 


हमेशा के लिए बुझ गए दो घरों के चिराग

 

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, गमों का पहाड़ टूट पड़ा इन पर

 

रेहान के दादा की आंखे जैसे पथरा गई, सिर्फ निहारते रहे आसमान

 

रामनगर। शुक्रवार को गंगा में डूबने से हुए दर्दनाक हादसे में दो घरों के इकलौते चिराग हमेशा के लिए बुझ गए। घरों में दिखा मातमी क्रंदन इस बात की गवाही दे रहा था कि परिवारों ने जैसे सब कुछ खो दिया है। 

वारीगढही निवासी बुनकर मोहम्मद रईस को दो लड़कियां और एक बेटा रिजवान था। रिजवान पीएन कॉलेज में कक्षा आठ का छात्र था। रेहान भी अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसकी एक बहन है। उसके पिता नियाज सऊदी अरब में काम करते है। उसके दादा रियाज की तो आंखे जैसे पथरा गई थीं। न शब्द फूटे और न आंखों से आंसू निकले। बस सुनी आंखों से आसमान निहारते रहे। फरदीन दो बहन और दो भाई में सबसे छोटा था। उसके पिता मुमताज बुनकर हैं। फरदीन भी कक्षा आठ का छात्र था। पांचों में सबसे ज्यादा उम्र का 20 वर्षीय तौफीक था। वह चार भाई और दो बहनों में तीसरे नंबर पर था। उसके पिता मोहम्मद रफीक आॅटो चलाकर घर संभालते हैं। वहीं मोहम्मद सैफ 10 भाई और बहनों में सबसे छोटा था। इसलिए सबका दुलरुआ था। पिता इब्राहिम की तो बदहवास स्थिति हो गई थी। उंन्हे यकीन ही नही हो रहा था कि सैफ अब दुनिया में नही रहा। वही इस घटना की सभी को जानकारी देने वाला साहिल इतना हदस गया था कि घर में दुबक कर बैठ गया है। उसने किसी से बात ही नही की। वैसे आसपास के लोगों का कहना था कि सभी की सुबह-शाम एक साथ ही होती थी। ईद के दिन से ही सब नहाने की बात कह कर घर से निकलते थे। लेकिन इतनी दूर जाते थे, इस बात का किसी को भी आभास नही था। सिर्फ रेहान को छोड़ दे तो सभी के घर भी आसपास ही थे। परिजन बस यही कहते रहे कि क्या पता था कि रोज निकलने वाले आज कभी वापस न आने के लिए निकल रहे हैं।


रामनगर के गोताखोरों ने दिखाया जज्बा

रामनगर। वैसे तो रामनगर के गोताखोरों या नाविकों के जज्बें की खबरें अक्सर लोगों को बचाने के बाबत मिलती रहती हैं। लेकिन शुक्रवार को हुए हादसे के बाद उन्होंने काफी जज्बा दिखाया। जब पता चला कि बड़ा हादसा हो गया तो बड़ी संख्या में वे सिपहिया घाट पहुंचे और एक क्षण गंवाए बिना ही गंगा में छलांग लगा दी। सभी ने डेढ़ घंटे में सारे शवों को बाहर निकाल लिया। इनमें पूर्व सभासद अशोक साहनी, सुरेश साहनी, गोरख साहनी, बाबू साहनी, राहुल, बबलू, रोहित , मोनू और जोखू साहनी शामिल थे। 




...काश मान लिया होता कहना

रामनगर। सिपहिया घाट पर शुक्रवार को हुआ दर्दनाक हादसा लोगों के जेहन से उतर नहीं पा रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि लगभग डेढ़ दर्जन के ग्रुप में लड़कों का यहां रोज आना और गंगा में उछल-कूद करना आम बात हो गयी थी। सुबह-सुबह घाट पर मौजूद जब लोग ऐसे लड़कों को उछल-कूद करने से मना करते थे तो वे और ज्यादा सक्रिय हो जाते थे। सिपहिया घाट पर गंगा में गहराई बेतरतीब है। दूर-दूर तक कहीं गंगा की मिट्टी समतल है तो कहीं-कहीं आठ से दस फीट तक गहराई है। संभवत: इसी असामान्य गहराई की चपेट में पांचों किशोर आ गये और मौत की जाल में फंस गए। लोगों का यह भी कहना था कि काश इन किशोरों ने उनकी बात मान ली होती तो ये हादसा नही हुआ होता।



पिछले साल भी इसी जगह डूबे थे रामनगर के तीन किशोर

रामनगर। रामनगर का सिपहिया घाट शायद अभिशप्त है। यहां अक्सर डूब कर मरने की मनहूस खबरें मिलती रहती हैं। इसी घाट और इसी जगह पर पिछले साल भी तीन किशोरों की डूबने से मौत हो गई थी। तारीख थी 19 मई। इस तारीख को लोग लोकसभा चुनाव में वोट देने में व्यस्त थे, तभी यह घटना हुई। उस समय डीएवी पब्लिक स्कूल के सूर्य प्रताप सिंह, पीयूष मिश्रा, प्रियांशु पटेल सिपहिया घाट पर स्नान करने पहुंचे थे। स्नान के दौरान ही गहरे पानी में जाने से तीनों मौत की आगोश में हमेशा के लिए सो गए। जिस जगह यह घाट है, वहां एकदम वीराने जैसी स्थिति है। दूर-दूर तक कोई नजर नही आता। यहीं कारण है कि यहां गंगा में समाने वालों को बचाने में कोई पहुंच नहीं पाता।

Popular posts from this blog

'चिंटू जिया' पर लहालोट हुए पूर्वांचल के किसान

लाइनमैन की खुबसूरत बीबी को भगा ले गया जेई, शिकायत के बाद से ही आ रहे है धमकी भरे फोन

चकिया प्रीमियर लीग के फाइनल में केजीएन क्लब ने धनावल को दी शिकस्त, यह रहे मैच के हीरो