टिड्डियों के हमले से उड़ी किसानों की नींद, छोटा झुण्‍ड एकबार में 10 हाथी की खुराक व हजारों लोगों का भोजन चट कर जाने की रखते हैं क्षमता


एक बार में 150 किमी तक लगातार उड़ने की है इनकी क्षमता


पाकिस्तान से भारत में 15 करोड़ की संख्या में हुई है इन कीटों की इंट्री


शुक्रवार की सुबह सोनभद्र से मध्य प्रदेश की ओर रुख कर गये है टिड्डे


राजस्थान में अच्छे प्रयासों का कारण कई दलों में बंट चुके हैं यह कीट


वाराणसी में दिनभर अलर्ट मोड पर रहे अधिकारी, ग्राम प्रधान और टीमें


हवा का रूख बनारस की ओर मुड़ा तो बढ़ जायेगा इनके हमले का खतरा


सुरोजीत चैटर्जी


जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। कोविड-19 महामारी से संघर्ष कर रहे भारत में अब टिड्डियों की घुसपैठ और उनके हमले ने चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन को लेकर किसान जहां परेशान रहे, वहीं अब पाकिस्तान की ओर से देश में करोड़ों की संख्या में आये टिड्डियों के दल ने हरियाली से भरी हुई फसलों को बर्बाद करने और भारी आर्थिक क्षति की आशंका बढ़ायी है। टिड्डियों के दल इस अटैक से निबटने के लिए व्यापक स्तर पर कोशिशें जारी हैं।
वाराणसी जनपद को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। किसानों को सचेत रहने की हिदायत देते हुए दवा का छिड़काव करने, थाली आदि पीटने और तेज आवाज में डीजे आदि बजाने के निर्देश दिये गये हैं। डीएम कौशल राज शर्मा के निर्देश पर शुक्रवार को कृषि विभाग के अफसर, तहसील स्टाफ समेत ग्राम प्रधान और लेखपाल व अन्य टीमें दिनभर बैठकें और भागदाैड़़ करते रहेे। हालांकि सुबह 9.30 बजे तक जनपद को सूचना मिल गयी थी कि राजस्थान होकर यूपी में टिड्डियों का दल मीरजापुर व सोनभद्र होकर मध्य प्रदेश के रीवां जिले का रुख कर गया है।
यह सूचना मिलने के बावजूद अधिकारी आशंकित थे कि हवा की दिशा में उड़ने की प्रकृति रखने वाले टिड्डियों का दल कहीं हवा का रूख बनारस की ओर मुड़ गया तो वो कीट इस ओर न आ जायं। क्योंकि शुक्रवार की सुबह तापमान में कमी के साथ तेज हवा चलने और प्रत्येक 20-25 मिनट बाद हवा की दिशा बदलने के कारण वाराणसी में टिड्डियों के हमले की आशंका बनी हुई थी। मौसम विभाग से प्राप्त अनुमान और सूचनाओं के आधार पर हवा का रुख देखते हुए जनपद में आराजी लाइन, सेवापुरी और काशी विद्यापीठ विकास खंड क्षेत्र में टिड्डियों के दल के इंट्री करने का अंदाजा लगाया गया था।इस बार देश में हुए टिड्डियों के हमले में कुछ राहत की बात यह है कि राजस्थान के विभिन्न शहरों में पर्याप्त प्रयासों के चलते टिड्डियों का दल कई झुंडों में बिखर गया। विशेषज्ञों के मुताबिक टिड्डियों के दल जितने अधिक अलग-अलग समूह में होंगे, उनका ग्रुप भी छोटा होता जाएगा और फसलों को नुकसान का खतरा भी अपेक्षाकृत कम रहेगा। एक वर्ग किमी दायरे में एकसाथ उड़ने वाले और एक बार में 150 किमी तक के सफर की क्षमता रखने वाले यह कीट 20-25 मिनट के भीतर अपने दायरे की पूरी फसल चट कर जाते हैं। सिर्फ 90 दिन के जीवनकाल वाले यह टिड्डे यह एक दिन में अपने वजन के बराबर (2 ग्राम) 35 हजार लोगों का भोजन चट करने की क्षमता रखते हैं।
वर्तमान में यूपी में गेहूं की फसलें कट चुकी हैं लेकिन हरियाली वाले आम आदि के पेड़ और सब्जियां खेतों में हैं। जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य के अनुसार आगामी मानसून तक इन कीटों के हमलों की आशंका बनी रहेगी। रेगिस्तानी इलाकों में पैदा होने वाले हरियाली का पीछा करने वाले इन कीटों इनका हमला जारी रहा तो हजारों करोड़ रुपये की फसलों को क्षति पहुंच सकती है।



(टिड्डी  दल  के  हमलों  से  निबटने के लिए  एसडीएम राजातालाब ने शुक्रवार को कृृषि विभाग के अफसरों को लेकर ग्राम प्रधानों के साथ बैठक की)


टिड्डियों की कुछ खास बातें
- ‘राजस्थानी टिड्डे’ प्रजाति के कीट लाखों की संख्या में तेजी से बढ़ते हैं और मादा टिड्डी एकबार में 150 तक अंडे देती सकती है।
- विश्व में प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति की जिंदगी को टिड्डे प्रभावित करते हैं। सो, इन्हें खतरनाक कीट की श्रेणी में रखा गया है।
- हरियाली या बारिश के समय टिड्डों के दिमाग में सेरेटॉनिन नामक रसायन बदलाव लाता है। जिससे वह प्रजनन करने लगते हैं।
- देश में सामान्यतया टिड्डियों का हमला राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में होता है। प्रजनन के लिए इन्हें रेतीला क्षेत्र पसंद है। 
- विशेषज्ञों के अनुसार इन टिड्डियों का प्रजनन काल जून माह के लेकर जुलाई से होकर अक्टूबर और नवंबर माह तक रहता है।
- भारी संख्या में अंडे देने से इनकी पहली पीढ़ी 16 गुना, दूसरी पीढ़ी 400 गुना और तीसरी पीढ़ी 16 हजार गुना से बढ़ जाती है।
- किसी भी टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट अथवा हजारों आदमियों के बराबर खाना खा सकता है।


 


सन 1812 से हो रहे हैं हमले


- कृषि मंत्रालय में डायरेक्टोरेट ऑफ प्लांट प्रोटेक्शन, क्वारेंटाइन एंड स्टोरेज के अनुसार सन 1812 से भारत में टिड्डियों के हमले हो रहे हैं। सन 1923 से सन 1931 के दौरान ऐसे हमलों से दस करोड़ रुपये की फसलें तबाह हो गयी थीं। उसके बाद सन 1940 से सन 1946 तक और सन 1949 से सन 1955 के बीच ऐसे हमलों में 2-2 करोड़ रुपये के फसलों की क्षति दर्ज की गयी। उसी क्रम में सन् 1959 से सन 1962 के बीच टिड्डी दल ने अपेक्षाकृत छोटे हमलों में 50 लाख रुपये की फसलें बर्बाद कर दीं। सन् 1978 में 167 झुंड और सन 1993 में 172 झुंडों ने हमला किया था। सन 1993 में 7.18 लाख रुपये की फसलें तबाह हुईं। उसके बाद सन 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी टिड्डियों के छोटे हमले हो चुके हैं। अबकी बार का हमला बहुत बड़ा है। 
यूएन की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक इस बार टिड्डियों की संख्या 15 करोड़ से अधिक है। उधर, वर्ल्ड बैंक ने इस साल के अंत तक टिड्डियों के हमले से केन्या को 63 हजार 750 करोड़ रुपये (8.5 अरब डॉलर) का नुकसान होने का अनुमान लगाया है। केन्या के अलावा इस साल इथियोपिया और सोमालिया में भी टिड्डियों का 25 साल का सबसे खतरनाक हमला हुआ है। इस बार टिड्डियों का एक झुंड एक किमी के दायरे से लेकर सैकड़ों किमी के दायरे तक फैला हुआ हो सकता है। सन 1875 में अमेरिका में पांचलाख 12 हजार 817 वर्ग किमी का झुंड था। मतलब इतना बड़ा कि उसमें यूपी जैसा दो राज्य समा जाय। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल करीब दोलाख 43 हजार 286 वर्ग किमी है।


 


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