सिर पर गठरी, उम्मीदें और अपनों के इंजतार में चले मीलों, चौकाघाट से पूर्वांचल से लगायत विभिन्न प्रदेशों में भेजे गये कामगार 



सब्र दिया जवाब साहब तब निकले घरों के लिए 



रवि प्रकाश सिंह /शंकर चतुर्वेदी
वाराणसी। दर्द का सफर आखिर कब थमेगा। सब कूछ खोकर घर लौट रहे मजदूर, बच्चे और सड़क पर संघर्ष करती जिंगदी। लॉकडाउन में उम्मीद और इंतजार का सब्र टूटा तो अपने घरों के लिए निलक पड़े मजूदर। हां वहीं, मजदूर जो भारतीय अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने में दिन रात काम करते हैं। महाराष्ट्र, झारखंड, कोलकाता, दिल्ली, पंजाब समेत ना जाने कहां-कहां से ये मजदूर अपनों के बीच जमापूंजी के नाम पर एक गठरी लेकिन निकले थे। 



वाराणसी में रविवार को कई प्रदेशों का सफर कर। तीन से चार दिन संघर्ष और उम्मीदों में बीतने के बाद सैकड़ों की संख्या में कामगार वाराणसी पहुंचे यहां से उन्हें ट्रैफिक पुलिस सीओ अवधेश पांडेय की देखरेख में उनके गंतव्य तक वाहनों से भेजा गया। इतना ही नहीं सैकड़ों की संख्या में यहां जुटे मजदूरों को पानी,खाद्य समाग्री आदि का प्रबंधन जितना हो सका सीओ अवधेश पांडेय और उनकी टीम ने किया। सफर में ज्यादातर पूर्वांचल के लोग थे, जिन्हें रोडवेज की बस में बैठकार रवाना किया गया। अच्छी बात ये रही कि जो लोग महाराष्ट्र या दूसरे प्रदेशों से आये थे उनके पास मेडिकल था। 



 चौकाघाट पर हमे सुनील मिले। ये महाराष्ट्र से साइकिल से निकले थे लगभग सात दिन का सफर पूरा कर वाराणसी पहुंचे। इन्हें झारखंड जाना था। अपने सात दिनों के सफर को याद कर उनकी आंखे झलक उठी। कहा बड़ा ही कष्टदायक रहा सफर, अब किसी तरह  बस मिले और घर पहुंच जाऊं। 
अरुण तीन दिन का सफर बस में बिताने के बाद वाराणसी पहुंचे,इसने साथ गांव गिरावं के भी कुछ लोग थे। बताते हैं भैया.. तीन दिन लगे कभी मध्यप्रदेश में उतारा गया तो कभी उत्तर प्रदेश बार्डर पर। तीन दिन के बाद वाराणसी पहुंचा हूं। किसी  कोलकाता जाना है अब उपर वाला जाने कैसे जाऊंगा। बस यहीं से मिलेगी न? मनोज जो पूणे से आये.. छत्तिसगढ़ के लिए निकला था, बस का इंतगार कर रहे थे। पूछने पर बताया कोरबा जाना है। किसी ने बताया कि यहीं से सोनभद्र की बस मिलेगी और  छत्तिसगढ़ निकल जाना। इसी उम्मीद में सुबह से बैठा हूं देखता कब बस मिलेगी।



सीओ ट्रैफिक अवधेश पांडेय ने बताया कि दोपहर दो बजे तक 30 से ज्यादा बसों में पूर्वांचल के विभिन्न जगहों पर लोगों को उनके घर भेजा गया। जितने भी बचे लोग हैं उन्हें भी साधनों की उपलब्धता को देखते हुए भेज दिया जायेगा। 


 


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