श्री काशी विश्वनाथ धाम के सीईओ विशाल सिंह की चार लाइनों के एक संदेश से काशी में तहलका

"बड़ा अच्छा रहा अब तक कार्यकाल, बाकी जानें महाकाल...!"



नया बवाल-------------


धर्मार्ध कार्य के अधीन आने वाले मंदिर में जांच करने पहुंचे स्टांप एवं निबंधन मंत्री रविंद्र जायसवाल


मुख्य कार्यपालक अधिकारी को दिया क्लीनचिट, कहा-सुनियोजित ढंग से फैलाई गई थीं अफवाहें


जनसंदेश टाइम्स की खबरों को किया पुष्ट, कहा-न कैलाश मंदिर का गुंबद टूटा और न ही आरती रुकी


विजय विनीत


वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विशाल सिंह के एक संदेश ने सोमवार को तहलका मचा दिया। सीईओ ने अपने ट्वीटर व फेसबुक पर चार लाइनों का संदेश डाला है, जिसमें उन्होंने कहा है-बड़ा अच्छा रहा अब तक कार्यकाल, बाकी जानें महाकाल...!


श्री विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने जब से चार लाइनों का ये संदेश अपने ट्यूटर हैंडल पर डाला है, तब से बनारस शहर में भूचाल सा आ गया है। हर कोई पूछ रहा,-अब क्या होगा श्री काशी विश्वनाथ धाम का? फिर तो भ्रष्टाचारी घोंट जाएंगे कारिडोर का धन? विशाल सिंह ने सोमवार को तड़के अपने ट्यूटर और फेसबुक पर काशीवासियों के नाम मैसेज डाला। इसका मजमून इस तरह है-



काशीवासियों का शत-शत नमन। बड़ा अच्छा रहा अब तक का कार्यकाल, बाकी जाने महाकाल। ना मेरा कुछ था, ना मेरा कुछ है, ना मेरा कुछ होगा। हर-हर महादेव...।


इस संदेश से बाबा की नगरी में तूफान सा आ गया। पूरे दिन लोग कयास लगाते रहे और इस मजमून का निहितार्थ निकालते रहे। कुछ का कहना था कि पिछले दिनों हुए विवाद के मुद्दे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें हटाने जा रहे हैं...। हालांकि सीएम कार्यालय और गृह विभाग ने उन्हें बनारस से हटाए जाने अथवा श्री काशी विश्वनाथ धाम के सीईओ का पद छोड़ने की पुष्टि नहीं की है। फिर भी सियासी हलकों में इस मैसेज को लेकर तरह-तरह की चर्चा है। शहर के उन लोगों में आक्रोश है जिन्हें मंदिर के सीईओ विशाल सिंह की ईमानदारी पर पुख्ता भरोसा है।


सोशल मीडिया पर जैसे ही विशाल सिंह का मैसेज ट्रेंड करना शुरू हुआ, तभी बनारस शहर की सियासत गरमाने लगी। इन्हें हटाए जाने के बाबत जिस सफेदपोश ने अंदरखाने मोर्चा खोल रखा है, उसे लेकर नाराजगी बढ़ने लगी। सूबे के स्टांप एवं निबंधन मंत्री रविंद्र जायसवाल सोमवार को दोपहर में मौके पर पहुंचे तो मंदिर प्रकरण ने एक बार फिर तमाम नए अटकलों को जन्म दे दिया। मंत्री ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का मुआयना किया। साथ ही उन स्थानों को भी देखा जिसे तथाकथित महंत तूल देने की कोशिश कर रहे थे। मंत्री ने कैलाश मंदिर  का भी जायजा लिया और पाया कि वो पूरी तरह से सुरक्षित है। जो खबरें सुनियोजित ढंग से फैलाई गई थीं वो पूरी तरह भ्रामक और मनगढ़ंत हैं।  



बाद में मंत्री रविंद्र जायसवाल ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के चेयरमैन एवं कमिश्नर दीपक अग्रवाल से मंदिर के दफ्तर में बैठक कर मंदिर के विवाद पर विस्तार से चर्चा की। करीब तीन बजे मंत्री रविंद्र जायसवाल ने अपने फेसबुक पर दो तस्वीरें पोस्ट कीं। इनमें एक तस्वीर उस कैलाश मंदिर के सामने की है जिसके गुंबदों को तोड़ने की अफवाह फैलाकर सनसनी पैदा करने की कोशिश की गई थी। मंत्री की एक तस्वीर कैलाश मंदिर के बाहर की और दूसरी विश्वनाथ मंदिर के दफ्तर से उतरते हुए फेसबुक पर पोस्ट की गई है। फेसबुक पर मंत्री रविंद्र जायसवाल ने जनसंदेश टाइम्स में छपी खबरों की पुष्टि की है। कहा है कि शिखर तोड़ने की बातें पूरी तरह गलत हैं। न गुंबद टूटा, न आरती रूकी। मैने खुद मुआयना किया है। मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है।  कमिश्नर व सीओ के साथ सोमवार को बैठक की। मंत्री ने भी फेसबुक पर साफ-साफ कहा है कि इस मामले में विरोधी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं, जबकि सच्चाई कुछ और बयां कर रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि विद्वान अर्चकों द्वारा मंदिर में सप्तर्षि आरती रोजाना की जा रही है। जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं वो निर्रथक हैं। बाबा के इस पावनधाम की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।


उल्लेखनीय है कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर धर्मार्थ कार्य विभाग के अधीन है। इस इस महकमे के मंत्री हैं नीलकंठ तिवारी। इस मुद्दे पर वो चुप हैं। उनकी चुप्पी के भी कई निहिरार्थ निकाले जा रहे हैं। दूसरी ओर, धर्मार्थ कार्य विभाग वाले श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के विवादित मामले में रविंद्र जायसवाल का पहुंचना और मौके का मुआयना करना,  साथ ही सभी आरोपों को सिरे से खारिज करना एक बड़ा सियासी संदेश दे रहा है।



सीएम के निर्देश पर बाबा धाम पहुंचे थे मंत्री रविंद्र


योगी ने हियुवा के जरिए भी कराई पड़ताल


वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के विवादित मामले में सूबे के स्टांप एवं निबंधन राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल यूं ही नहीं कूदे। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उन्हें वहां मौका मुआयना कर स्थिति की जानकारी देने का निर्देश दिया था।


सूत्र बताते हैं कि श्री काशी विश्वनाथ धाम के सीईओ विशाल सिंह ने उच्चाधिकारियों को संदेश दे दिया था कि अगर उन पर दबाव बनाया गया तो वो बाबा धाम का अहम पद छोड़ सकते हैं। अपने ट्यूटर और फेसबुक पर उन्होंने जो संदेश लिखा था वो उनके संभावित इस्तीफे की अगली कड़ी थी। सूचना सीएम को मिली तो सियासी हलकों में हड़कंप मच गया। श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट में सरकार किसी तरह का अड़चन नहीं चाहती है। यही वजह  है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंत्री रविंद्र जायसवाल को मौके पर भेजकर समूचे प्रकरण की जांच कराई।


खबर है कि मंत्री रविंद्र ने सीएम को पूरी जांच रिपोर्ट भेज दी है। दूसरे विभाग के मंत्री के इस मामले में कूदने से सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। सीएम की नजर में रविंद्र की इमेज काफी अच्छी है। सूबे के ये पहले मंत्री हैं जिन पर किसी तरह का कोई आरोप चस्पा नहीं है। रविवार को बाबा धाम की जनसंदेश टाइम्स में पड़ताल छपने के बाद विरोधी गुट बौखला गया था। सूत्र बताते हैं कि रविवार की शाम बीबीसी में एक रपट छपने के बाद विशाल सिंह ने रुख कड़े करते हुए इस कारिडोर से खुद को अलग करने का मन बना लिया था। लेकिन सीएम ने उन्हें कोई भी ऐसा कदम न उठाने का सख्त निर्देश दिया। इसी के बाद बनारस में सियासी हलचल तेज हो गई थी।


यहां बताया जाना यह भी जरूरी है कि योगी ने सिर्फ मंत्री रविंद्र जायसवाल को ही नहीं, बल्कि अपनी हिन्दू युवा वाहिनी के सीनियर पदाधाधिकारियों को भी मौके पर भेजा था। इन पदाधिकारियों ने गहन पड़ताल की और सीएम को अपनी विस्तृत रपट भेज दी है। हियुवा के पदाधिकारी मंदिर में तब पहुंचे थे जब सड़क पर आरती करने वालों ने यह मैसेज ट्रेंड कराना शुरू कर दिया था कि हिन्दुत्व खतरे में है।



विवादित अर्चकों व पुजारियों के आय की अब होगी जांच


वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम से जुड़ रहे उन अर्चकों और पुजारियों की संपत्ति की जांच कराई जाएगी, जो अवैध उगाही करके करोड़पति बन गए हैं। सूत्र बताते हैं कि इस बाबत मंडल के एक बड़े अफसर ने शासन के अलावा आयकर विभाग को सूचना देकर कालाधन जमा करने वालों की जांच-पड़ताल कराने का आग्रह किया है। बताया जाता है कि मंदिर का धन अवैध तरीके से घोंटकर कुछ लोगों ने बड़ी इमारतें खड़ी कर ली हैं। कुछ ने तो बनारस समेत कई जनपदों में जमीनें अपने नाम लिखवा रखी हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने आज तक आयकर विभाग को टैक्स के रूप में फूट कौड़ी जमा नहीं की है। ऐसे लोगों की संख्या करीब एक दर्जन से ज्यादा बताई जा रही है। साल 1983 में सोना चोरी के बाद सरकार ने इस मंदिर को अपने अधीन कर लिया था। तब से लेकर अब तक 17 मर्तबा विवाद हो चुका है। सूत्र बताते हैं विवाद की जड़ में वो धन है जो अवैध तरीके से कुछ लोग लूटते आ रहे हैं।


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