पंडिताई डिजिटल,व्हाट्सएप पूजा और जूम पर पाठ, हाय कोरोना तूने सब पर डाली गांठ 


लॉकडाउन के दौरान मोबाइल इंटनरेट बना सहारा


कोई ऑनलाइन गेम खेल रहा तो कोई कॉल कर रहा



(DEMO PIC)


रवि प्रकाश सिंह 
वाराणसी। लॉक डाउन ने सबको घरों में ऐसे समेटा है जैसे धोबी कपड़ों को समेट कर गट्ठर में लपेट देता है। आवारगी के पैर टूट जाने से लोगों ने टीवी को मन बहलाव का साधन बनाया। इंटरनेट से काम निबटाने लगे, पर कितने दिन। यहां भी बोरियत से काम चला रहे हैं। रिश्तेदारों से गप लड़ाने की विंडो खुल गई। कोई आॅनलाइन गेम तो कहीं वीडियो कॉलिंग से टॉक टाइम खपाने लगे। कोई लूडो तो कोई चेस का मास्टर बनने में लगा है। लेकिन लाकडाउन ने पंडिताई पर भी असर डाला है। लाइव प्रवचन और पूजा में महारत रखने वाले पंडित जी को डिजिटल होना पड़ा। जरुरतमंद यजमान से आॅनलाइन जुड़े हुए हैं। मंत्र उधर पढ़ रहे हैं जबकि यजमान दूसरी ओर देवी देवताओं को हाथ जोड़ उनके निर्देश भी सुन रहा है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ साई मंदिर के पुजारी तो नवरात्र में ऑनलाइन ही पूजा पाठ संपन्न करा बैठे। उनका कहना है कि लॉक डाउन में कहीं जा नहीं सकते तो डिजिटली ही जुड़ने का जुगाड़. कॉम अमल में लाएं। जाहिर है कि सोशल मीडिया और मोबाइल पर डिपेंडेंसी बढ़ गई है। पंडित जी बताते हैं कि लॉकडाउन ने कई घरों में चैत नवरात्र की पूजा भी आनलाइन हुई। ये अजीब तो लगा, पर लगता है कि आगे इक राह खुलेगी। जब मौके पर न पहूुंच सकें तो यजमान की पूजा तो करा ही दी जाएगी। पूजा के सामान की लिस्ट व्हाट्सएप से भेजकर लगा, जैसे कुछ अलग हुआ। अब तो प्रतीत होता है कि भविष्य में यजमानी का स्वरूप ऐसा ही रहने वाला है, क्योंकि जानकार तो कहते है कि कोरोना हमेशा हमारे इर्द गिर्द बना रहेगा। 


 ऑनलाइन निपटाए जा रहे हैं कई कामकाज
चाहे गैस सिलेंडर की बुकिंग हो या पेमेंट करनी हो। आॅफिस-दुकान का काम निपटाना हो या घर का राशन मंगवाना है। आने जाने से बचने को लेकर मेल आदि के जरिए कई काम किए जा रहे हैं। अब तो बच्चों के स्कूल बंद होने से आॅनलाइन पढ़ाई भी हो रही है। 


नेटफ्लिक्स, जूम और गूगल हैंगआउट बने जीवन का अहम अंग
ऑनलाइन गतिविधियों के बढ़ने का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि लॉकडाउन में नेटफ्लिक्स से 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े। वाराणसी के बड़े साइबर एक्सपर्ट राजीव सिंह, जो बंगलुरु गूगल से जुड़े हैं, का मानना है कि नेटसर्फिंग और आनलाइन का बेस मार्च में लाकडाउन होते ही बढ़ने लगा था। इसी दौरान सरकारी और प्राइवेट कंपनियों की मीटिंग जूम और गूगल हैंगआउट पर होने लगीं।  


 


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