‘नन्हा’ ने खोल दी गाेशालाओं की व्‍यवस्‍था की पोल, पंचकोसी क्षेत्र में मुहल्ले का दुलरुआ बछड़ा खोजने निकले दंपति ने देखी हकीकत

- हरहुआ और काशी विद्यापीठ ब्लाक के दो गोवंश आश्रय स्थलों की खुली गयी पोल


- कई दिनों से मरे पड़े गोवंशों को नोंच-नोंचकर अपना निवाला बनाते दिखे भूखे कुत्ते


- पशुबंदी गाड़ी से ले जाए गये ‘नन्हा’ का नया पता नहीं बता पा रहे हैं विभागीय स्टाफ


- पशु प्रेमी सिंह दंपति ने बछड़े को चोरी-छुपे बेच दिये जाने के खेल की जतायी आशंका


- गोवंशों की खुराक के लिए मिलने वाले पैसे से इन पशुओं के लिए भोजन है अपर्याप्त



सुरोजीत चैटर्जी


जनसंदेश न्यूज


वाराणसी। वह बछड़ा घर से सामने एक अखाड़े की छांव में दिनभर बैठा रहता था। मुहल्ले के पशु प्रेमी उसे प्यार से ‘नन्हा’ कहकर पुकारते और प्रतिदिन जिस तरह आवारा कुत्तों और छुट्टा गायों को रोज खाना देते थे उसी तरह ‘नन्हा’ को भी भोजन दिया जाता था। एकदिन नगर निगम की गाड़ी आयी। उसके कर्मचारियों ने बछड़े को गोद में उठाया और लादकर कर जाने लगे। इलाके के लोगों ने एतराज जताया लेकिन नगर निगम वाले नहीं माने। उसे जबरन ले गये। फिर मुहल्ले वालों ने उस निरीह ‘नन्हा’ की तलाश के लिए दौड़धूप शुरु की तो सीएम योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल गोवंश आश्रय स्थलों का हृदयविदारक दृश्य देखकर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं।


उन लोगों ने देखा कि एक गोवंश आश्रय स्थल पर देखभाल के लिए कोई नहीं है। परिसर की दीवार ध्वस्त। टिन शेड गायब। वहां कई दिनों से मरे पड़े तीन पशुओं के कारण भारी दुर्गंध उठ रही थी। मृत पशुओं को नोंच रहे कुत्तों ने एक गाय के गले की हड्डी को छोड़कर पूरे हिस्से को अपना आहार बना लिया था। दूसरे गोवंश आश्रय स्थल जमीन पर अचेत पड़ी एक गाय को किसी प्रकार उठाकर बैठाया जा सका। घर के सामने का बछड़ा ढूंढ़ने निकले लोगों को अबतक उनका ‘नन्हा’ अबतक नहीं मिल सका है। नगर निगम वाले उन्हें इधर-उधर दौड़ा रहे हैं।


मामला पंचकोसी रोड स्थित बजरंग अखाड़े का है। उसके सामने स्थित भवन में रहने वाले निक्की सिंह और उनकी पत्नी समेत मुहल्ले के कई लोग क्षेत्र के आवारा पशुओं को नियमित रूप से खाना खिलाते हैं। उन्हीं पशुओं में वह बछड़ा ‘नन्हा’ भी था जिसकी तलाश में श्री सिंह दंपति निकले तो गोवंश आश्रय स्थलों की हकीकत से रूबरू हुए। बीते 12 मई की शाम नगर निगम की पहुंची पशुबंदी गाड़ी मुहल्ले वालों के हस्तक्षेप के बावजूद उस बछड़े को उठाकर ले गयी। दूसरे दिन से श्री सिंह दंपति ने ‘नन्हा’ की तलाश शुरु की। भोजूबीर में नगर निगमकर्मी भरत की सूचना वह वह काशी विद्यापीठ ब्लाक के कोटवां स्थित गोवंश आश्रय स्थल पहुंचे तो गेट बंद था। बुलवाये जाने पर एक घंटे बाद एक व्यक्ति पहुंचा और गेट खोला। अंदर का दृश्य देखकर सिंह दंपति हैरान रह गये।


मौके पर अधिकांश गोवंश बेहद कमजोर और बीमार दिख रहे थे। परिसर की दीवार का एक हिस्सा ध्वस्त था। पेड़ गिरे हुए थे। वहीं मरे पड़े गोवंशों को भूखे कुत्ते नोंच-नोंचकर अपना निवाला बनाने में व्यस्त थे। मौके पर बछड़ा ‘नन्हा’ नहीं था। दो दिन भटकने के बाद वह हरहुआ विकास खंड के खजुहीं स्थित गोवंश आश्रय स्थल पहुंचे तो गेट पर ही सिंह दंपति का मोबाइल फोन जबरन रखवा लिया गया। ताकि भीतर की वास्तिविकता रिकॉर्ड न कर ली जाय। तर्क दिया गया कि यहां की यही नियम है। वहां एक अचेत पड़े गोवंश की किसी प्रकार बैठाया गया। वहां भी उनका ‘नन्हा’ नहीं था।



दुखद यह कि नगर निगम की गाड़ी ही उस बछड़े को उठाकर ले गयी और अब विभाग के स्टाफ नहीं बता पा रहे हैं कि ‘नन्हा’ को आखिर किस गोवंश आश्रय स्थल पर रखा गया है। पूरे प्रकरण को लेकर निक्की सिंह ने आशंका व्यक्त की कि आश्रय स्थल पर रखने के बहाने ‘नन्हा’ को चोरी छुपे कहीं बेच दिया गया है। इसी कारण नगर निगम कर्मी बछड़े की जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। श्री सिंह ने यह आशंका भी व्यक्त की कि पशुबंदी वाहनों में लादकर पशुओं को ले जाने के पीछे कुछ  गोलमाल से इंकार नहीं किया जा सकता।


इस बारे में ‘जनसंदेश टाइम्स’ ने पड़ताल की तो दोनों गोवंश आश्रय स्थलों से जुड़े लोगों ने बताया कि पशुओं के प्रतिदिन की खुराक के लिए शासन से दी जाने वाली धनराशि इतनी कम है कि गोवंशों को सेहतमंद रखना संभव नहीं। दानदाताओं की ओर से खली-चूना का इंतजाम होने पर कुछ राहत रहती है। वहीं, जिला विकास अधिकारी रमाकांत तिवारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल मौका-मुआयना कराया।


स्वाभाविक प्रक्रिया है पशुओं की मृत्यु : सीवीओ


- मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. वीबी सिंह कहते हैं कि पशुओं का मरना स्वाभाविक प्रक्रिया है। ग्राम पंचायतों में अधिकांश गोवंश आश्रय स्थल पशु पालन विभाग की देखरेख में हैं। उनके संचालन के लिए गठित प्रबंध समिति में खंड विकास अधिकारी, सचिव और ग्राम प्रधान आदि हैं। प्रत्येक गोवंश आश्रय स्थलों के लिए पशु चिकित्सक भी हैं। नगर निगम की ओर से संचालित एक गोवंश आश्रय स्थल हरहुआ ब्लाक के खजुहीं गांव में संचालित है। वहां नगर निगम की ओर से केयर टेकर तैनात है। सभी गोवंश आश्रय स्थलों पर पूरी गंभीरता के पशुओं की देखभाल होती।



आंधी में पेड़ गिरने से पशु मरे : प्रभारी बीडीओ


- काशी विद्यापीठ ब्लाक के प्रभारी खंड विकास अधिकारी रामकृपाल द्विवेदी के मुताबिक गत दिनों आए आंधी-तूफान के कारण कोटवां स्थित गोवंश आश्रय स्थल परिसर में पेड़ गिर गये। फलस्वरूप उसमें दबकर तीन पशुओं की मौत हो गयी। मजदूर न मिलने के कारण पेड़ की डाल काटकर हटाने और उनके नीचे दबे मृत पशुओं को निकालने में देर हुई। उसके बाद पशु चिकित्सक ने पोस्टमार्टम आदि की प्रक्रिया पूरी की। इस कार्य में दो दिन लग जाने के चलते दुर्गंध उठने लगी थी। आंधी-तूफान से आश्रय स्थल का टिन शेड और बाउंड्री क्षतिग्रस्त हो गये हैं। इस स्थल पर गत दिनों तीन पशुओं की मृत्यु के बाद फिलहाल 107 गोवंश हैं।



कम है दाना-पानी का पैसा : केयर टेकर


हरहुआ विकास खंड के खजुहीं स्थित नगर निगम की ओर से संचालित गोवंश आश्रय स्थल के केयर टेकर शिवम ने स्वीकार किया कि वह मौके पर नहीं हैं। इस स्थल पर वर्तमान में 750 गोवंश हैं। उन्होंने कहा कि यहां लाये जाने वाले अधिकांश छुट्टा पशु कमजोर ही होते हैं। यहां प्रति पशु प्रतिदिन 50 रुपये की लागत में चारा आदि देना संभव नहीं हो पाता। प्रति पशु कम से कम 100 रुपये प्रतिदिन की दर से मिले तो ही गोवंशों को कुछ बेहतर ढंग से दाना-पानी देना संभव है। बीमार पशुओं की मौत पर होने वाले पोस्टमार्टम में उनके पेट से अधिकांश पॉलीथिन ही निकलते हैं। उनके बछड़ों की भी वही स्थिति है।


 


 


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