मातृ दिवस विशेष: माँ परमात्मा की सबसे सुंदर और दिव्य स्वरुप


 

~ ब्रह्मप्रिया नम्रता कमलिनी जी

 

माँ परमात्मा की सबसे सुंदर और दिव्य स्वरुप जो अपने सद्गुण से, अपने ममता, करुणा, प्रेम, भावना से सर्व जगत को सिंचित करती है | माँ एक ऐसा सुखद एहसास जिसका वर्णन शब्दों में समाहित करना अत्यंत कठिन प्रतीत होता है | जितना उसे जानने का प्रयत्न करो उतना ही रहस्यमयी सी हो जाती है, कभी दुलार-प्यार तो कभी उसका प्रहार | माँ के प्रहार में भी अपने बच्चे के लिए प्यार समाहित होता है | एक माँ ही है, जो अपने बच्चे का पोषण कर स्वयं में पोषित होती है, अपने अंश से बच्चे का सृजन और अपने अंश से बच्चे का पोषण कोई करता है इस धरा पर तो वो सिर्फ माँ है | 

 

माँ तेजस्विता ओजस्विता से पूर्ण सहज, सरल, समरसता को धारण किये हुए, हर पल अपने सुख को विस्मृत कर अपने संतति को सुख प्रदान करने की एक कोशिश और ऐसा कर वो अपने को सुख आनंद से सम्पूर्ण समझती है | खुद सारे समस्याओं के बीच जूझती हुई भी अपने बेटे-बेटियों के लिए सुख की कामना लिए हुए अपने जीवन को जीती है | उसकी हर मांग में, उसकी हर एक प्रार्थना में अपना अंश जिसे वो अपने जान से ज्यादा चाहती है, उसके सुन्दर निर्माण के लिए अपने सुख दुःख को भुला देती है | स्त्री के सारे स्वरूपों में बहुत ही सुन्दर और सम्पूर्ण स्वरुप है माँ | माँ के इस त्याग को, माँ के इस प्यार को हर बेटे-बेटियों को समझना चाहिए और जितना उसने दिया हमें उससे कहीं ज्यादा उसे देने का प्रयास करना चाहिए | तुम्हारी माँ एहसास करती है कि तुम्हारा रोम-रोम उससे निर्मित है इसीलिए तुम्हारे प्रति उसके ह्रदय की धारा फूट पड़ती है, वो तुम्हारे लिए हर पल प्रेममय होती है | 

 

तुम भी तो इस बात का एहसास करो कि तुम भी अपने माँ के रोम रोम से हो | तुम्हारा निर्माण किया है, तुम्हारा पोषण किया है, अपने जीवन की बलि चढ़ा तुम्हारा सम्पूर्ण निर्माण करने का प्रयास किया है उसने, अर्थात माँ ने अपना कर्तव्य पूरा की है | कभी उसने बेईमानी नहीं की है तुम्हारा पोषण करने में तुम भी उससे ज्यादा नहीं तो उसके जैसे तो उसे प्यार करो, तुम्हारा सहारा कभी थी वो तुम भी तो उसका सहारा बनो उसने खुद को भुलाकर तुम्हारी सेवा की, तुम भी तो उसकी तरह उसको प्यार करने की सोचो, उसने तुम्हारी हर गलतियों को, हर कमियों को माफ़ किया तुम भी तो उसकी तरह विशाल ह्रदय से भर जाओ और उसे अपनी माँ को जो उसका अधिकार है बिना कुछ सोचे निश्छल ह्रदय से पूरी तरह प्यार करो, अपनी जिम्मेदारियां निभाओ | यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे अन्दर बैठा हुआ परमात्मा तुम्हे धन्य करेगा और तुम सुख और समृद्धि प्राप्त करोगे | सेवा एक शक्ति है जो तम्हें पूर्ण करती है ऐसे सद्विचार स्वयं में धारण करें और समाज में ऐसी धारा को प्रवहित करें |  

 

~ ब्रह्मप्रिया नम्रता कमलिनी जी

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