कुएं से अज्ञात लाशों के मिलने का नहीं थम रहा सिलसिला, पुलिसिया कार्यशैली भी सवालों के घेरे में!



जनसंदेश न्यूज़
कौशांबी/प्रयागराज। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सुनसान स्थान पर पड़े कुओं से अज्ञात लाशों के मिलने का सिलसिला बहुत पुराना है। शातिर अपराधी लोगों की हत्या कर लाश को सुनसान स्थान के कुएं में फेंक कर फरार हो जाते हैं और पुलिस अज्ञात लाशों से पीछा छुड़ाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाती है। जिसमें कुछ लाश के मामले तो खुल जाते है और कुछ लाश के मामले पुलिसिया कार्यशैली के चलते ठंडे बस्ते में दफन हो जाते है। 
वर्ष 2005 में तत्कालीन पूरा मुफ़्ती थानेदार अशोक कुमार सिंह ने कुएं में मिली लाश के आधार पर 40 लाख रुपये की डकैती की घटना का खुलासा किया था। तत्कालीन थानेदार की सक्रियता के चलते कुएं की लाश के आधार पर अपराधियों की खोज हुई और अपराधियों की निशानदेही पर मध्यप्रदेश के ट्रक ड्राइवर की हत्या कर 40 लाख रुपए कीमत की ट्रक और उसमें लदे सामान लूट की घटना का खुलासा कर ट्रक और सामान की बरामदगी भी पूरा मुफ़्ती पुलिस ने की थी।
पुलिस टीम के खुलासे से पुलिस का सीना भी गर्व से ऊंचा हुआ था। आम जनता ने भी पुलिस के कार्यों की खूब सराहना की थी। लेकिन इसी पूरा मुफ़्ती थाना क्षेत्र के मीरपुर में कुएं में मिली लाश को थाना पुलिस ने कुएं से बाहर निकालना उचित नहीं समझा है। इस घटना का खुलासा कैसे होगा, यह तो राम ही जानें। 
पूरा मुफ़्ती थाना क्षेत्र के मीरपुर गांव के बाहर सुनसान स्थान में एक कुएं में लाश पड़ी होने के बाद जब दुर्गंध तेजी से उठने लगी तो ग्रामीणों ने मामले की जानकारी पूरा मुफ़्ती पुलिस को दी। ग्रामीणों से जानकारी पर फोर्स के साथ पूरा मुफ़्ती थानेदार कुएं के पास पहुंचे और डोरी में मोबाइल को बांधकर कुएं के अंदर डाला और मोबाइल के सहारे लाश की फुटेज बनाई मोबाइल में बनाई गई वीडियो फुटेज में जो लाश की सीन आई है। उसमें मनुष्य का एक कटा हुआ पैर साफ दिख रहा है, लेकिन पूरा मुफ़्ती पुलिस ने वीडियो फुटेज को नकारते हुए साफ शब्दों में घोषित कर दिया कि यह लाश पशुओं की है। और कुएं से बिना लाश निकाले पुलिस वापस लौट आई। लेकिन ग्रामीण पुलिस की बात मानने को तैयार नहीं थे मामला अखबार और सोशल मीडिया की सुर्खियों में भी आया मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, राज्यपाल, डीजीपी तक ग्रामीणों ने की। लेकिन लगातार पूरा मुफ़्ती पुलिस इस मामले में अधिकारियों को गुमराह करती रही।
इसी बीच अचानक कुएं में एक सप्ताह से पड़ी लाश गायब हो गई। आखिर लाश गायब करने का जोखिम क्यों कोई उठाएगा और जब यह लाश किसी पशु की होगी तो फिर कुएं में उतर कर कुएं से कोई व्यक्ति गुपचुप तरीके से लाश को बाहर क्यों निकाल कर गायब करेगा। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल छोड़ गया है। और यदि कुएं के अंदर मनुष्य की लाश थी तो फिर अपराध करने वाले अपराधी कुएं में लाश को फेंकने के बाद दुबारा लाश को कुएं से बाहर निकाल कर कही दूर बाहर फेंकने का जोखिम क्यों उठाएंगे? क्या यह काम किसी खास लोगों ने किया है? यह एक बड़ा सवाल है। 
पूरा मुफ़्ती पुलिस कुएं से लाश को निकलवा कर घटना की वास्तविकता सार्वजनिक करने से क्यों बार-बार किनारा कर रही थी। यह प्रश्न पुलिस के वर्दी पर बदनुमा दाग लगा रहा है। वही मीरपुर गांव के बाहर कुएं में लाश की बाबत उठे विवाद में पुलिस अधिकारियों का चुप्पी साधना भी मामले में बहुत कुछ कह रहा है। आमजनता इस कुएं की लाश के मामले में पुलिस अधिकारियों से सच्चाई उजागर करने की उम्मीद में है लेकिन क्या योगी राज में इस अपराध का खुलासा कर अपराधियों तक पुलिस पहुंचने का प्रयास करेगी या फिर बिना वास्तविकता उजागर हुए मामला ठंडे बस्ते में दफन हो जाएगा। 


 


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