किसानों को नहीं मिल रहे पसंद के बीज, सरकारी कृषि बीज भंडारों पर बिक्री है सुस्त


अनुदान के बावजूद नहीं मिल रहे खरीदार


इस बार भी स्टाफ को जेब से न भरना पड़े पैसा

जनसंदेश न्यूज
चिरईगांव। धान के बीजों के लिए किसान इस बार भी सरकारी कृषि बीज भंडारों का रुख नहीं कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि कृषकों की पसंद का बीज राजकीय बीज भंडारों में नहीं है। किसानों की इस समस्या के कारण इस बीज भंडारों पर धान के बीजों की बिक्री बेहद धीमी गति से चल रही है।
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की विभिन्न प्रजातियों के बीज कृषि विभाग ने सरकारी बीज गोदामों पर उपलब्ध कराए हैं। उन प्रजातियों को किसान पसंद नहीं कर रहे हैं। खास यह कि महकमा धान के प्रदर्शन करने वाले किसानों के लिए इन बीजों पर 90 फीसदी तक का अनुदान दे रहा है और सामान्य बिक्री पर भी 50 प्रतिशत की सब्सिडी की व्यवस्था है। अनुदान पर बीज की सुविधा होने के बावजूद किसानों ने राजकीय बीज भंडारों के प्रति उदासीन रवैया अपना रखा है।
धान के बीज न बिकने से सरकारी बीज भंडारों पर तैनात कर्मचारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच आयी हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि यदि धान के बीज नहीं बिके तो लक्ष्य पूर्ण नहीं होगा और उन्हें गत वर्ष की तरह इस बार भी अपने वेतन से पैसा जमा करना पड़ सकता है। कर्मचारियों की मानें तो बीते साल कुछ ऐसी ही स्थिति से उन्हें दो-चार होना पड़ा था। गत वर्ष धान के बीज की बिक्री का टार्गेट पूरा न होने पर तमाम कर्मचारियों को अपने वेतन से पैसा जमा करना पड़ा था।
स्थानीय चिरईगांव विकास खंड के किसानों का कहना है कि इस इलाके में धान की प्रजातियों में मोती, धनरेखा, रुपाली, दामिनी, वसुंधरा, अमन, नाटी मंसूरी आदि बीज अधिक पसंद किये जाते हैं। इन प्रजातियों के बीज सरकारी बीज भंडारों पर नहीं हैं। ब्लाक के दो बीज गोदामों पर विभाग की ओर से एचयूआर-917, शीएट्स धान-1 एवं 4, एचयूआर-105, सीओ-51, पीआर-121, एचयूआर-10 तथा 9 आदि प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराए गये हैं।


नहीं सुनते अफसर
ग्राम पंचायत जाल्हूपुर के किसान लालजी यादव, रमना के राजदेव, विष्णुपुरा के नंदलाल तिवारी, मुस्तफाबाद के राघवेंद्र सिंह, कमौली के अनिल सिंह बरियासनपुर के बालकिशुन पटेल, नरपतपुर के सीताराम यादव आदि ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभागीय कृषि गोष्ठियों समेत ब्लाक स्तर पर बैठकों में मन-पसंद बीजों की मांग लगातार की जाती है। उसके बावजूद अफसर इस ओर ध्यान नहीं देते। फलस्वरूप किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।


अच्छी प्रजाति की अनदेखी न करें किसान: सुभाष मौर्य
धान के बीज की प्रजातियों को लेकर उत्पन्न समस्या के बारे में पूछे जाने पर जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य कहते हैं कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान मे रखकर बीज गोदामों पर बीज भेजे जाते हैं। किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती नहीं करते हैं। इसलिए उन्हें न तो इन प्रजातियों का लाभ नहीं मिल पाता है और न ही पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इसलिए किसानों को सलाह है कि वह अच्छी प्रजाति के बीजों को नजरअंदाज न करें।


पसंद से उलट आपूर्ति
विभागीय सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष धान के बीज की प्रजातियों की मांग कृषि विभाग लेता है लेकिन गोदामों पर डिमांड के विपरीत प्रजातियों के धान के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। फलस्वरूप किसानों को उनकी पसंद का बीज नहीं मिल पता। इस बार भी वही स्थिति है। वर्तमान में भी कृषि विभाग में मनमाने ढंग से बीज की आपूर्ति करायी है। सो, किसान सरकारी बीज गोदामों का रुख नहीं कर रहे हैं।


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