खुशखबरी: सब्जी और बागवानी के किसानों के लिए खुला अनुदान का पिटारा, घोषित विशेष पैकेज को लेकर तैयारियां शुरू


केंद्र से घोषित विशेष आर्थिक पैकेज में कृषकों के लिए भी तैयारियां शुरु


सूबे के निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ने वीडियो एप के जरिये की बैठक


बागवानी, शाक-सब्जी और सिंचाई समेत प्याज भंडारण के लिए मिलेगी सब्सिडी


फूलों की बेकार पंखुड़ियों से तैयार होने वाली सामग्री में लगाए जाएंगे प्रवासी श्रमिक


 खाद्य प्रसंस्करण की ट्रेनिंग देकर छोटी इकाइयां स्थापित करने को देंगे आर्थिक मदद


मसालों में प्याज का भंडारण गृह बनाने पर 88 हजार रुपये तक दी जाएगी सहायता

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। वर्तमान में चल रहे लॉक डाउन के कारण समस्याओं से घिरे सब्जी-मसाला उत्पाद व बागवानी आदि से जुड़े किसानों के लिए शासन ने अनुदान का पिटारा खोल दिया है। केंद्र की गत दिनों घोषित विशेष आर्थिक पैकेज में किसानों के लिए भी विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारियां आरंभ हुई हैं। जिसके तहत सब्जी, फूल, खाद्य प्रसंस्करण वगैरह में सब्सिडी देकर प्रोत्साहित करेंगे। अनुपयोगी फूलों से बनने वाली सामग्री निर्माण में प्रवासी श्रमिकों को भी रोजगार मिलेगा। फलों से तैयार होने वाले प्रोडक्ट्स की दिशा में भी पहल हो रही है।
सूबे में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डॉ. एसबी शर्मा ने एक वीडियो एप के जरिये कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग में जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त को इस बारे में कई स्तर पर तैयारियों के निर्देश दिये। जिसके तहत एकीकृत बागवानी विकास मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में सब्जियों की खेती, मसाला की खेती पर फसलवार 12 हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक में 50 फीसदी का अनुदान मिलेगा।
पूरे प्रदेश में दस हजार हे. से अधिक क्षेत्रफल में योजना को मूर्त रूप देने का खाका खींचा गया है। उसकी मंजूरी मिलते ही खरीफ सीजन में इन कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। मौन पालन कार्यक्रम में मधुमक्खी के 50 बॉक्स खरीदने पर 80 हजार रुपये तक की मदद मिलेगी। औषधीय उत्पादों की खेती में फसलों की लागत अनुसार उनके निवेश पर 50 हजार रुपये प्रति हे. की दर से सब्सिडी देंगे।
इसी प्रकार फूलों की खेती करने वाले किसानों को फूलों की अनुपयोगी पंखुड़ियों से अगरबत्ती, इत्र, गुलकंद बनाने जैसे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देकर स्वयं सहायता समूहों और प्रवासी मजदूरों को शामिल कर खादी ग्रामोद्योग विभाग एवं अन्य विभागों से तालमेल कर ट्रेनिंग देंगे। खाद्य प्रसंस्करण विभाग ग्रामस्तर पर प्रशिक्षण देगा। ताकि ट्रेनिंग लेकर लोग अचार, मुरब्बा, जैम, जेली, केचप, चटनी, सिरका आदि की छोटी इकाइयां स्थापित कर सकें। उन इकाइयों पर लागत का 50 प्रतिशत (एक लाख रुपये तक) अनुदान मिलेगा।
दूसरी ओर, मसाला श्रेणी में 25 एमटी तक प्याज भंडारण के लिए भंडारण गृह बनाने पर भी 88 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। श्री गुप्त ने बताया कि किसान इस बारे में जिला मुख्यालय स्थित विभागीय कार्यालय से विस्तृत जानकारी लेकर ब्लाक स्तर पर उद्यान निरीक्षक से संपर्क कर अपना आवेदन दे सकते हैं। साथ ही ऑनलाइन ‘यूपीएग्रीकल्चर.कॉम’ पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा है।
ड्रिप-स्प्रिंकलर सिंचाई का लक्ष्य तय
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई का लाभ दिलाकर खेती की लागत में कमी संग पानी जल की बचत कराने की तैयारी भी है। शासन ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में वाराणसी इस प्रकार की सिंचाई के लिए लक्ष्य तय किया है। जिसमें ड्रिप सिंचाई स्थापना में बागवानी, सब्जी, गन्ना आदि फसलों के लिए 486 हे. और स्प्रिंकलर सिंचाई के पोर्टेबल, मिनी, माइक्रो स्प्रिंकलर वगैरह श्रेणी में 1425 हे. का टार्गेट है। इसके लिए डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला सूक्ष्म सिंचाई समिति के अनुमोदन पर लाभार्थियों का चयन और पंजीकरण होगा।
...ताकि किसानों की मुश्किलें हों खत्म
कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए जनपद में सभी व्यावसायिक गतिविधियां ठप हैं। उनमें शामिल होटल भी बंद हैं। फलस्वरूप सब्जी और फूल उत्पादक किसान भारी संकट में पड़ गये हैं। उनकी इस आर्थिक समस्या को देखते हुए भारत सरकार एवं राज्य सरकार ने विभिन्न स्तर पर अनुदान देकर किसानों को प्रोत्साहित करने की यह कवायद शुरु की है। शाकभाजी किसानों के उत्पादों में शामिल आलू, गाजर, चुकंदर एवं अन्य भंडारण योग्य सब्जियों के शीतगृहों में भंडारण के लिए डीएम के निर्देश पर कार्यवाही आरंभ हुई है।
सेतु का काम करेंगे ‘टीम लीडर’
इस वर्ष सब्जी किसानों का समूह (क्लस्टर) बनाकर समग्र रूप से विभिन्न स्कीम में अनुदान देंगे। प्रत्येक समूह में एक नेतृत्वकर्ता (लीडर) होगा। जिले में गठित फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (कृषक उत्पादक संगठन) को नाबार्ड मदद देता है। उद्यान विभाग इस संगठन से अलग प्रत्येक गांव में एक टीम लीडर तैयार करेगा। फिलहाल वाराणसी में फूलों के लगभग 100 किसान और सब्जी के 50 किसानों को महकमे ने पहले से ही चिह्नित कर रखा है, जो टीम लीडर बनने लायक हैं। उन्हें सामूहिक रूप से योजनाओं से जोड़कर विपणन प्रक्रिया को आसान बनाएंगे। यह किसान सरकार और किसानों के बीच सेतु की भूमिका में रहेंगे।


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