इतिहास के सुनहरे पन्ने लिखने वाले मुगलसराय जंक्शन के उपरिगामी पुल का अस्तित्व हुआ समाप्त


इतिहास काल से जुड़ा सेन्ट्रल कालोनी ओवर ब्रिज की कटाई कर हटाया गया

जनसंदेश न्यूज़
डीडीयू नगर/चंदौली। अंग्रेजों के जमाने का बना पैदल पुल जो सेंट्रल कॉलोनी पावर हाउस से सीधे बाजार की तरफ निकल जाता था। अब वह अतीत बन जाएगा। ये वही पैदल पुल है जो कई महापुरुषों की याद दिलाती है। कभी किसी जमाने में इसी पैदल पुल से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी कभी आवागमन किया करते थे। 
अंग्रेजों के कार्यकाल में पहली ट्रेन सन् 1853 में मुंबई से ठाणे चली थी उसके बाद भारत में तीव्र गति से रेलवे का विकास कार्य शुरू हो गया था। जब मुगलसराय रेलवे स्टेशन का विकास हुआ। उसी समय लगभग डेढ़ सौ साल पहले इस पैदल पुल ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया था। यह ओवर ब्रिज कई रेलवे कॉलोनी, रेल अस्पताल व आसपास के कई गांवों को जोड़ता है। हजारों लोग शॉर्टकट रास्ते के रूप में बाजार जाने के लिए इस पुल का इस्तेमाल किया करते थे। यह पुल लोगों के लिए रामसेतु की तरह काम करता था। तीज त्योहारों व मेले में तो इस पुल पर दिन-रात 24 घंटे आवागमन बना रहता था। यह पुल 24 घंटे गुलजार रहता था। 
धीरे-धीरे वक्त बदलता चला गया। अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए। इस पुल ने कस्बे से नगर, नगर को शहर बनता देखा। मुगलसराय का नाम बदलते देखा। इसी पुल के सीढ़ियों से प्लेटफार्म नंबर 2 से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का पार्थिव शव भी बाहर लाया गया होगा। आज इसी पैदल पुल के आधे भाग को अंतिम चरण में काटा गया। सूत्रों की माने तो जल्द ही एक नया ओवर ब्रिज लोको रनिंग रूम के पास से उस पार के लिए बनाया जाएगा। आज उसी पैदल पुल ने भारी मन से लोगों से अंतिम विदा ली।


 


 


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