ग्राम प्रधान की चाल लिख रही थी खूनी संघर्ष की पटकथा, प्रशासन नहीं हुआ सक्रिय तो घट सकता था उम्भा जैसी घटना



जनसंदेश न्यूज़
राजगढ़/मीरजापुर। राजनीति एक ऐसी चीज होती है, जहां न लोगों की जान की कीमत होती है न संविधान की। इस फायदे के लिए प्रतिनिधि कुछ भी करने को तैयार हो जाता है, नियम और कानून को ताक पर रखकर। जनपद के अहरौरा थानान्तर्गत खोराडीह गांव में आदिवासियों ने गुरुवार को गांव के ही कुछ ब्राह्मण लोगों की जमीन को निशाना बनाया, वहीं अचानक से उस जमीन पर पहुंचकर झोपड़ी बनाने लगे। 
आदिवासियों के द्वारा जबरदस्ती झोपड़ी बनाए जाने पर लोगों ने विरोध किया, और पूरी जानकारी राजस्व अधिकारियों सहित प्रशासनिक अमले को दिया। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कानूनी का पाठ पढ़ाया और मामले को शांत किया, लेकिन इस पूरे प्रकरण के पीछे गांव की राजनीति का पर्दाफाश हो गया। वहीं कब्जा करने गए आदिवासियों ने इसके लिए गांव के वर्तमान प्रधान को जिम्मेदार ठहराया। ऐसे में यदि प्रशासनिक अमला सक्रिय नही हुआ होता तो गांव के यह जमीनी विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाता। हाल फिलहाल में सोनभद्र के उम्भा में जमीन को लेकर कुछ इसी तरह की घटना घटी थी। 
मामला यह है कि गुरुवार को खोराडीह गांव निवासी ब्राह्मण समुदाय की जमीन पर कुछ आदिवासी कब्जा करने आ गए, जमीन पर अचानक झोपड़ी लगता देख जमीन के मालिक ने इसकी सूचना पुलिस को दिया, आनन फानन में सक्रिय हुई पुलिस मौके पर पहुंचकर कुछ लोगों को पकड़कर थाने लाया, वहीं पूरे विवाद को ठंडा कराया। लेकिन सवाल यह है कि मामले में पुलिस कठोर कानूनी कार्रवाई करने की बजाय कोरमपूर्ति क्यो कर रही है। आखिरकार इस पूरे मामले के पठकथा लिख रहे ग्राम प्रधान पर कार्यवाही क्यों नही हुई। इस मामले में ग्राम प्रधान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके ऊपर लगाये गए सारे आरोप निराधार है।
राजनैतिक फायदा के लिए प्रधान ने रचा था पूरा साजिश
राजगढ़ के खोराडीह में गुरुवार की घटना ने यह साबित कर दिया कि राजनीति की रसाकस्सी में वो सबकुछ जायज है, जो न कानून के पन्ने में न जनहित में है। वर्तमान प्रधान ने राजनैतिक फायदा के लिए गांव के आदिवासियों को उकसाकर पूर्व प्रधान पर अन्य लोगों की जमीन पर कब्जा करवाने का प्रयास आखिर यही साबित करता है कि राजनीति में सबकुछ जायज है, जो संविधान में नही है। बहरहाल अब मामले में प्रधान द्वारा रची जा रही इस खूनी पठकथा पर उसके ऊपर कोई कार्यवाही होती है, यह देखना होगा। 
इस संबंध में थानाध्यक्ष राजेश चौबे ने बताया कि गुरुवार को सूचना मिला था कि खोराडीह में कुछ आदिवासी जमीन पर झोपड़ी लगा रहे है। सूचना पर मौके पर पहुंचकर कुछ लोगों का 151 में चालान किया गया। आदिवासियों ने बताया था कि गांव के प्रधान के कहने पर को जमीन कब्जा करने गए थे। 


 


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