गजब: जो कटघरे में थे, वो बने न्यायाधीश, पढ़िएं क्या है पूरा मामला


पहड़िया मंडी में बगैर कार्य कराये भुगतान कराने के आरोपी है संयुक्त निदेशक निर्माण


फर्जी तरीके से किये गये भुगतान मामले में उप निदेशक निर्माण ने कराया है एफआईआर


अब एफआईआर कराने वाले पर ही लग गया घोटाले का आरोप, जांच कर रहे पीसी जैन



जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। सरकारी धन का दुरुपयोग हर विभाग में बराबर होता चला आ रहा है, जो समय-समय पर खबरों की सुर्खियां भी बनती रही है। फर्जीवाड़ा पकड़ में आया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई अन्यथा मजे ही मजे। लेकिन पहड़िया मंडी में अपने आप में एक अनूठा मामला सामने आया है। यह मामला अनूठा ही नहीं है, बल्कि दिलचस्प भी है। दिलचस्प इसलिए है कि जिस अधिकारी ने फर्जी भुगतान के मामले में जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है। अब उसी अधिकारी पर घोटाले का आरोप लग गया है और उसके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गयी है। मजेदार बात यह है कि जांच का जिम्मा उसी को सौंप गया है, जिस अधिकारी पर फर्जी तरीके से भुगतान का आरोप है और उसके खिलाफ कैंट थाने में एफआईआर तक दर्ज करायी है।
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद उत्तर प्रदेश नवीन मंडी पहड़िया परिसर में मंडी विस्तारीकरण योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2032.36 लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी थी। जिसके क्रम में नियमानुसार विभागीय प्रक्रिया के तहत निविदा आदि आमंत्रित कर अनुबंधों का गइन किया गया था। इस धनराशि से होने वाले कार्यों की निगरानी के लिए अभियंताओं की तैनाती भी की गयी थी। लेकिन पर्यवेक्षकीय अभियंताओं ने ठेकेदारों से साठ-गांठ कर बिना कार्य कराये ही करीब 2.73 करोड़ रुपये का फर्जी तरीके से भुगतान करा दिया। जबकि 31 दिसम्बर 2019 तक दर्जनों नोटिस दिये जाने और करीब तीन साल बीत जाने के पश्चात भी संबंधित ठेकेदार ने कोई कार्य पूर्ण नहीं किया। इस मामले की हुई जांच के पश्चात मंडी परिषद निदेशक ने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश उप निदेशक निर्माण राम नरेश सोनकर दी। इस पर उप निदेशक निर्माण ने 22 जनवरी 2020 को कैंट थाने में 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी है, उनमें से एक प्रकाश चंद्र जैन (पीसी जैन) भी है, जो संयुक्त निदेशक (निर्माण) जोन-फोर, गोरखपुर में तैनात है।
मंडी परिषद सूत्रों की मानें तो एफआईआर दर्ज होते ही आरोपियों ने बवाव के लिए रास्ते की तलाश शुरू कर दी। ऐसे लोगों ने एक ठेकेदार के माध्यम से मुख्यमंत्री पोर्टल पर उप निदेशक निर्माण राम नरेश सोनकर के खिलाफ 35.69 लाख रुपये के घोटाले का आरोप लगा दिया। चूंकि मामला मुख्यमंत्री पोर्टल पर चलाया गया, सो इसकी जांच भी शुरू कर दी गयी। दिलचस्प बात यह है कि जांच अधिकारी संयुक्त निदेशक (निर्माण) जोन-फोर, गोरखपुर पीसी जैन को ही बना दिया गया। जांच अधिकारी बनते ही पीसी जैन ने उप निदेशक निर्माण राम नरेश सोनकर 21 मई 2020 को पत्र जारी किया। पत्र में उल्लेख किया कि गड्ढामुक्तिकरण की 16 मार्गों की निविदाओं में अनियमितता बरतने एवं हॉट-पैठ में बिना प्रतिस्पर्धा कराये दो-तीन प्रतिशत कमीशन लेकर निविदा दिये जाने आदि की शिकायती पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से मिला है। इस मामले में अपना स्पष्टीकरण भिजवाने का कष्ट करें। पहड़िया सूत्रों की मानें तो करोड़ों के घोटाले में फंसे किसी आरोपी को नियमानुसार जांच अधिकारी बनाया ही नहीं जा सकता है। ऐसा लगता है कि पेशबंदी के तहत यह खेल खेला गया है, ताकि उप निदेशक निर्माण को स्थानान्तरित करा दिया जाए और पूर्व में हुए घोटाले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए। 
‘पहड़िया मंडी में होने वाले कार्यों के बाबत निविदाओं में हेराफेरी को लेकर उप निदेशक निर्माण के खिलाफ मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की गयी शिकायत की जांच की जा रही है। उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। अभी तक उन्होंने जवाब नहीं दिया है। रहीं बात मेरे ऊपर लगे आरोपों की तो यह सब तो चलता रहता है। इससे विकास कार्य बाधित नहीं होगा। वैसे भी अभी लॉकडाउन चलने से काम ठप है।’-पीसी जैन, संयुक्त निदेशक (निर्माण) जोन-फोर
‘पहड़िया मंडी के ठेकेदारों को मिलाकर पेशबंदी की गयी है। जिस ठेकेदार ने मेरे खिलाफ मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराया है, वह बिना निविदा के काम मांग रहे थे। बदले में कमीशन देने की बात कह रहे थे। लेकिन मैंने स्पष्ट रूप से इंकार दिया और कह दिया कि कोई भी काम नियमानुसार निविदा के माध्यम से ही दिया जाएगा। मेरे ऊपर फर्जी आरोप लगाये गये हैं। इस मामले में मैंने जिलाधिकारी के माध्यम से अपना जवाब मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भेज दिया है।’-राम नरेश सोनकर, उप निदेशक (निर्माण)-पहड़िया मंडी


 


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