चर्चित युवा पत्रकार को न्याय दिलाने में सुसाइड के चार शब्द ही काफी
चर्चित युवा पत्रकार की मौत के मामले ने पकड़ा तूल, एनएचआरसी में शिकायत दर्ज
किसान-मजदूर, गांव और जंगलों के आदमी के हितों पर चिंतित रहती थीं तबस्सुम
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। रिजवाना तबस्सुम की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में राट्रीय मानवाधिकार आयोग के यहां भी शिकायत दर्ज करा दी गई है। इस मामले में अभियुक्त शमीम नोमानी के खिलाफ धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अभियुक्त को दस साल की सजा दिलाने के लिए रिजवाना का चार शब्दों का सुसाइड नोट ही काफी है।
रविवार की रात रिजवाना ने न्यूज क्लिक के लिए आखिरी रिपोर्ट लिखी थी। रिजवाना भले ही बेहद कमजोर तबके से आती थी, लेकिन उसका कद काफी ऊंचा था। बीबीसी, द वायर, न्यू लांड्र, न्यूज क्लिक, द प्रिंट समेत मीडिया जगत के दिग्गज संस्थान रिजवाना की रपटों को विशेष अहमियत देते थे। इस युवा पत्रकार की मौत ने ढेर सारे सवाल छोड़ दिए हैं। पुलिस के लिए अब यह जानकारी जुटाना जरूरी हो गया है कि वो कौन सी बात थी, जिसके लिए नोमानी को आधी रात में उससे बात करनी पड़ी। वो कौन से शब्द थे, जिसकी तल्खी उसे फांसी पर लटकने पर विवश कर दिया? लोहता पुलिस को अभी तक इन सवालों का सही जवाब नहीं ढूंढ पाई है।
रिजवाना लोहता इलाके के हरपालपुर गांव की एक मामूली बस्ती की लड़की थी। लेकिन उसकी कलम और निडरता ने उसे वो मुकाम दिला दिया था, जिसके लिए बड़े-बड़े पत्रकारों को सालों मेहनत करनी पड़ती है। रिजवाना की चिंता के बड़े विषय से गांव के आदमी, जंगलों के आदमी और किसान-मजदूर। सोनभद्र के उभ्भा नरसंहार कांड की उसने कई मीडिया हाउसों के लिए लाइव रिपोर्टिंग की थी। इससे पहले वो दिल्ली में महिलाओं के न्यूज पोर्टल लहर खबरिया के लिए काम करती थी। उसके अब्बू की तबीयत खराब हुई तो वो घर लौट आई। बनारस में पत्रकारिता शुरू की तो कुछ ही दिनों में छा गई। दरअसल वो जुनूनी पत्रकार थी और निडरता से ज्वलंत मुद्दों को कवर करती थी।
घटना की रात करीब एक बजे अभियुक्त शमीम नोमानी ने रिजवाना को फोन किया था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि शमीम ने उसके चरित्र पर ओछे इल्जाम लगाए और उका चरित्र हनन करने की कोशिश की। अभियुक्त ने उसके ऊपर बदचलनी के आरोप लगाए और कई लोगों के साथ नाम जोड़ दिया। इससे वो विचलित हो उठी। आनन-आनन फानन में उसने चार शब्दों का सुसाइड नोट लिखा और फांसी पर झूल गई। इस मामले में वीपीसीएचआर के निदेशक डा.लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करा दी है। आयोग ने यह शिकायत अपने यहां दर्ज कर ली है।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने जनसंदेश टाइम्स से कहा कि देश के महान पत्रकार पी.साईनाथ भी रिजवाना की कलम से प्रभावित थे। वो जब बनारस आए थे, तब रिजवाना ने ही उनका स्पेशल इंटरव्यू छापा था। उन्होंने कहा कि वो ऐसी पत्रकार थी जिसकी रपटें कोई मीडिया हाउस नहीं लौटाता था। वो जो भी लिखती वो छपता था। उसे मालूम था कि किस मीडिया हाउस को क्या चाहिए और वो उसके लिए कितना खरा उतर सकती है। यह वजह है कि वो कुछ ही दिनों में दिल्ली की मीडिया में पापुलर हो गई थी। वह स्वतंत्र पत्रकार जरूर थी, लेकिन उसके पास असाइनमेंट की कमी कभी नहीं रहती थी। उन्होंने कहा कि रिजवाना का जाना बड़े मीडिया हाउसों के लिए अपूरणीय क्षति है।
क्या है आईपीसी की धारा 306
अगर कोई शख्स किसी को आत्महत्या के लिए उकसाता है तो उसके खिलाफ 306 के तहत मुकदमा चलता है। आईपीसी की धारा 306 के तहद अगर कोई शख्स दोषी पाया जाता है तो उसे दस साल तक की सजा हो सकती है।