चंदौली में मासूम रितेश ने दी मां की चिता को मुखाग्नि, नीम-हकीम की लापरवाही से प्रसव के दौरान चली गई थी बसंती की जान

लाॅॅकडाउन में परदेश में फंसा पति भुवर नहीं देख पाया अपनी पत्नी का चेहरा


मां की मौत से गुमसुम और उदास हैं भुवर के दोनों बच्चे, नहीं खा रहे खाना



सत्य प्रकाश सोनिया


बबुरी (चंदौली)। रितेश-उम्र फकत पांच साल। अचानक मां चल बसी। शव अर्थी पर लिटाया जाने लगा, तभी वो फफक-फफक कर रोने लगा,-कहां ले जा रहे हो मेरी मां को। लाख ढांढस बंधाने के बावजूद उसके आंसू नहीं थमे। श्मशान घाट पर जब इस नन्हें बच्चे ने अपनी मां को मुखाग्नि दी तो वहां उपस्थित लोग आंसू नहीं रोक पाए।  


नीम-हकीम डाक्टर की लापरवाही से बसंती की मौत हो गई थी। मीरजापुर के डंवक गांव में बसंती की ससुराल थी। पति भुवर मजूरी करने बंगलुरू गया था। लौटने को था, तभी लाकडाउन हो गया। पत्नी गर्भवती थी। घर में बसंती के अलावा उसकी बूढ़ी सास थी। बच्चा पैदा होने वाला था। किसी ने सलाह दी तो पास-पड़ोस के लोग नीम-हकीम के यहां पहुंच गए। डाक्टर ने ठीक से इलाज नहीं किया और बसंती की हालत बिगड़ती चली गई। सोमावर की रात उसने दम तोड़ दिया।


बसंती को दो बच्चे पहले से थे। एक बेटी छाया, और दूसरा बेटा रितेश। अचानक रितेश और छाया के सिर से उसकी मां का साया उठ गया। हैरत की बात यह है कि पति भुवर अपनी पत्नी का मुंह तक नहीं देख सका। बसंती की मौत की खबर जब उसे मिली तो वो रोता-बिलखता रह गया। घर लौटने का कोई चारा ही नहीं बचा था। लाकडाउन के चलते वो परदेश में फंसा था। चाहकर भी वो घर नहीं आ सका।


लाकडाऊन के कारण बंगलुरू में फंसे पति ने जब वीडियो काल पर पत्नी का चेहरा देखने की इच्छा जताई, लोग कांप गए। आखिरी समय परिवार के लोगों ने भुवर को अपनी पत्नी का ठंडा हो चुके शरीर को वीडियो काल के जरिए दिखाया। उस वक्त पत्नी चिरनिद्रा में जमीन पर लिटाई गई थी। पास में रितेश और छाया गुमसुम से बैठे हुए थे। भुवर रोता-विलखता रहा और पास-पड़ोस के लोग उसे ढांढस बंधते रहे।


परिजनों को मुताबिक बसंती को लेकर जब उसकी सास और मां अस्पताल जा रही थीं उस वक्त अबोध रितेश ने साथ चलने के लिए जिद की थी। मगर रितेश की मां घर नहीं लौटी। लौटी तो सिर्फ उसकी लाश। बसंती की अर्थी के साथ रितेश को भी श्मशान घाट ले जाया गया। उसी ने अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दी। घाट से लौटने के बाद से वो गुमसुम और उदास है। उसने तीन दिनों से खाना तक नहीं खाया है। बार-बार वो मां-मां की आवाज लगाकर विलखने लगता है।


 


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