#BYCOTT_MADE_IN_CHINA : अब इंडिया चाहे "चीनी सामानों का बहिष्कार"


आयुषी तिवारी

 

अनवरत कई वर्षों से मांग हो रही चीनी सामानों के बहिष्कार की।भारत की जनता ने चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान चला रखा है,जरुरत है तो अब सभी के समर्थन की।

भारत के सामने चीन लगातार बाधाएं खड़ी कर रहा है।चीन को सबक सिखाने के भारत में चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम लगातार चल रही है "इन गतिविधियों से बौखलाकर चीनी मीडिया ने लिखा है कि भारत भौंक तो सकता है लेकिन कुछ कर नही सकता ,चीन के सामान और तकनीक के सामने भारत का सामान और तकनीक टिक नही सकता है।अब चीन को आभास कराना होगा और साबित करना होगा की हम भारतीय अगर तय कर ले तो कुछ भी मुश्किल नही।

चीन के बने उत्पाद कम लागत के कारण सस्ते होते है,इसी कम कीमत के कारण चीन का सामान भारत सही पूरी दुनिया में छाया हुआ है।इसकी गुणवक्ता इसका कारण नही है।

 

चीन ने भारत के किस क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है ?

 

चीन के द्वारा सबसे ज्यादा नुकसान भारत के खिलौना उद्योग को हुआ है | चाइनीज खिलौनों की लागत इतनी कम है कि कोई भी भारतीय कम्पनी चीन की प्रतियोगिता का मुकाबला करने में असमर्थ है | पिछले साल भारतीय खिलौनों के केवल 20% बाजार पर भारतीय कंपनियों का अधिकार था बाकी के 80% बाजार पर चीन और इटली का कब्ज़ा था |एसोचैम के एक अध्ययन के अनुसार पिछले 5 साल में 40% भारतीय खिलौना बनाने वाली कम्पनियां बंद हो चुकी है और 20% बंद होने के कगार पर है। हमें इस बारे में गंभीर चिंतन करना होगा।

चीन ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की भी कमर तोड़ दी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिवाली के मौके पर घर- घर में इस्तेमाल होने वाली “बिजली की लड़ी” है | इसके अलावा बिजली का लगभग हर सामान भारत के बाजारों में भरा पड़ा है |

 

विचारणीय बिंदु

 

यहाँ पर यह बात भी ध्यान दिलाने योग्य है कि,भारत अपने कुल निर्यात का 8% चीन को भेजता है जबकि चीन अपने कुल निर्यात का केवल 2% भारत को भेजता है | इस प्रकार यदि भारत चीन के उत्पादों को बंद करता है तो चीन भी ऐसा ही करेगा जिससे ज्यादा नुकसान चीन का ना होकर भारत का और उसके निवासियों का होगा |चीन के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बंद करना भी भारत के हित में नही होगा क्योंकि भारत में इलेक्ट्रॉनिक की ज्यादातर चीजें चीन से ही आती है जो कि सस्ती होती है| यदि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर रोक लगा भी दी तो भी इतनी जल्दी इन चीजों का उत्पादन भारत में शुरू नही हो सकता क्योंकि इसमें अधिक समय और अधिक निवेश की जरुरत होती है |


(Ayushi Tiwari)

खुद को बनाना होगा "मैन्युफैक्चरिंग हब"

 

मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी सप्लाई चेन का रिस्क कम करने के लिए भी चीन के बजाय भारत जैसे ठिकानों की तलाश में हैं। पिछले तीन-चार साल में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और खासतौर पर अपैरल, लेदर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेगमेंट में बेहतर नीतियों से भी मैन्युफक्चरिंग को लेकर भारत का आकर्षण बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कार्यकाल में ‘मेक इन इंडिया’ और इंडस्ट्री को तैयार कामगार मुहैया कराने के लिए ‘स्किल इंडिया’ जैसी पहल शुरू की थी, लेकिन अब तक इनका उम्मीद के मुताबिक नतीजा नहीं निकला है।अब इस दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा।

कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 1000 कंपनियां भारत में अपना यूनिट लगाने के लिए सरकार से संपर्क में हैं। भारत इस मौके को जाने नहीं देना चाहता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय उस सेक्टर की पहचान करने में जुटा है, जिसमें भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जा सके। लघु-कुटीर उद्योग को भी बढ़ाना होगा। मध्यम, सूक्ष्म, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग और घरेलू उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं,हमें इस रीढ़ को मजबूत करना होगा। हर दिशा में खुद का वजूद बनाना होगा ,चाहे वो कोई दिशा हो कोई सोशल मीडिया हो या कोई सामान।

 

महात्मा गांधी ने कहा था, कि हमें विदेशी वस्तुओं के उपयोग से मुक्त होने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा तभी होगा, जब हम खुद अपनी चीजें बनाएंगे।

 

भारतीय बाजार में जितनी बड़ी मात्रा में चाइनीज सामान मिलता है उससे तो सिर्फ यह लगता है कि चीन के उद्योगपतियों ने भारत में मनाये जाने वाले हर त्यौहार, उत्सव, समाज, आयु वर्ग, विभिन्न प्रदेशों में इस्तेमाल होने वालों समानों की लिस्ट बनायी होगी फिर उत्पादन शुरू किया होगा तभी तो हमारे शादी समारोह से लेकर जन्मदिन, होली, दिवाली, रक्षाबंधन सभी अवसरों के लिए ‘मेड इन चाइना’ सामान सस्ते दामों पर हर दुकान और नुक्कड़ पर मिलता है|

 

अब हालातों को देखते हुए इतना अवश्य कहा जा सकता है कि चीन के उत्पादों को भारत में घुसने से भारत सरकार नही बल्कि भारत के लोग अवश्य ही रोक सकते हैं | हम भारतीयों को “Think Globally and Act Locally” वाली विचारधारा को अपनाना ही होगा तभी हमारे देश के हाथ मजबूत होंगे।

हम भारत का मान बढ़ाएंगे

हम भारत की शान बढ़ाएंगे

 

आयुुुुषी तिवारी

शिक्षार्थी , महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ

 

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