बाबा का न गुंबद टूटा, न आरती रुकी...!,श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के ईमानदार अफसरों को बदनाम करने के लिए रची गई थीं जहरीली साजिशें

लाकडाउन में योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को चोट देने के लिए एक सफेदपोश ने रची थी खतरनाक साजिश 


प्रशासन के निशाने पर शहर के दो तथाकथित पत्रकार, जिनमें एक है समीप के नामी मंदिर का प्रबंधक


अफवाह फैलाने की साजिश में शामिल थे डेढ़ दर्जन से अधिक लोग, जिनमें से नौ लोगों ने मांगी माफी


धन उगाही के लिए गुंबद तोड़े जाने की फैलाई अफवाह और सड़क पर योजनाबद्ध ढंग से कराई आरती



विजय विनीत के साथ जितेंद्र श्रीवास्तव व संतोष तिवारी बिंदास


वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर चोट पहुंचाने के लिए लाकडाउन में बड़ा खेल हुआ। साजिशें रचीं गईं। ईमानदार अफसरों को बदनाम करने की भरपूर कोशिशें हुई, मगर खिलाड़ियों के मंसूबे पूरे नहीं हुए। अब वो लोग शिकंजे में हैं, जिन्होंने धर्म की आड़ लेकर गंदा खेल खेला। मगर इस खेल में वो सफेदपोश बच निकले हैं जिनके इशारे पर दोनों घटनाओं की पटकथा लिखी गई। खबर है कि सीएम योगी भी सफेदपोशों के कुकृत्यों से वाकिफ हो गए हैं। 
पहली घटना सात मई को हुई। शहर के दो बड़े अखबारों ने झूठी कहानियां छापीं। इन कहानियों को गढ़ने वाले वो लोग थे जिनका हित प्रभावित हो रहा था। दरअसल, खेल अखबारों के जरिए हुआ। झूठी खबर प्रसारित की गई कि बाबा विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित पुरातन मंदिर कैलाश महादेव के गुंबद क्षतिग्रस्त कर दिए गए हैं। शिखर को पूरी तरह ध्वस्त करने की कपोरकल्पित कहानी उछाली गई। जबकि न तो मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ है और न ही उसका गुंबद। कैलाश महादेव वो मंदिर है, जहां भगवान शिव कैलाश पर्वत से आने के बाद रुके थे। इस मंदिर के सेवइत भी वही लोग हैं जिन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर के गेट स्थित सड़क पर बैठकर सप्तऋषि आरती करने का नाटक किया। 



हमने कैलाश महादेव मंदिर की पड़ताल की। न मंदिर टूटा है, न गुंबद क्षतिग्रस्त हुआ है। इतना जरूर हुआ है कि मंदिर के गुंबद से सटकर जो मकान था, उसे तोड़ा गया है। साथ ही उस शौचालय को धराशायी किया गया है जो गैर-कानूनी ढंग से बनाया गया था। मंदिर के गुंबद हमें चमचमाते दिखे। इन गुंबदों को तनिक भी खरोंच तक नहींआई है। दरअसल, शासन ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के सुंदरीकरण का काम बंद न करने का निर्देश दिया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की देखरेख में काम चल रहा है। अधिग्रहित मकान में कैलाश मंदिर का शिखर छिपा था। मकान के मलबे को हटाया गया और मंदिर को संरक्षित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ धाम का प्रोजेक्ट 365 करोड़ का है। अच्छी बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में अभी भ्रष्टाचार के घुन नहीं लगे हैं। लेकिन कतिपय लोग राल टपका रहे हैं, उनकी दाल नहीं गल रही है। 
दूसरी घटना सप्तऋषि आरती को लेकर हुई। अफवाह फैलाई गई। मंदिर प्रशासन पर झूठा आरोप मढ़ा गया। कपोलकल्पित कहानी सुनाई गई। बताया गया कि सप्तऋषि आरती की तीन सौ साल पुरानी परंपरा टूट गई। हमने पड़ताल की तो पता चला कि मंदिर प्रशासन ने कोई परंपरा तोड़ी ही नहीं। मंदिर में तय समय पर आरती हुई थी। अच्छी बात यह रही कि जिस जगह अवैधानिक तरीके से सड़क पर सप्तऋषि आरती का नाटक हुआ, उसके ठीक सामने मस्जिद है। दूसरे संप्रदाय के लोगों ने धैर्य का परिचय दिया और प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की। 
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सप्तर्षि आरती के विवाद के बाद मंदिर प्रशासन ने पूर्व महंत परिवार को नोटिस जारी कर दी है। इसमें महंत परिवार से पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस बीच प्रशासन ने सात मई की रात्रि में सार्वजनिक स्थल पर लॉक डाउन में बिना अधिकार पत्र इकट्ठे होने और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में शशि भूषण तिवारी उर्फ गुड्डू महाराज समेत करीब बीस लोगों के खिलाफ स्पेशल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 के अंतर्गत चालानी रिपोर्ट प्रेषित की है। 



प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद उन पुजारियों में हड़कंप मच गया है जिन्होंने गुड्डू महाराज के भरोसे पर सड़क पर आरती की थी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने उन लोगों को अब आरती कार्यक्रम से हटा दिया है, जिन्होंने लाकडाउन में शहर की शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश की थी। 
उधर, पूर्व महंत कुलपति तिवारी अब भी अपने दावे पर अड़ा हुए हैं। वो कहते हैं कि मंदिर प्रशासन ने पूर्वजों की तीन सौ साल पुरानी परंपरा तोड़ी है। हम इसके लिए बाबा विश्वनाथ से क्षमाप्रार्थी हैं। हालांकि हमारी पड़ताल में महंत परिवार की तरफ से लगाए गए सभी आरोप निराधार मिले। फिलहाल मंदिर के अंदर और बाहर सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं। सिर्फ उन्हीं लोगों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है जो आरती और पूजा-अर्चना कार्य से जुड़े हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह बताते हैं कि मंदिर के विद्वान अर्चकों की देखरेख में आरती कराई जा रही है। विश्वनाथ मंदिर की किसी भी परंपरा को न तोड़ा गया है और न ही रोका गया है। मंदिर के अर्चकों ने भी पुष्टि की कि कभी परंपरा नहीं टूटी। आरती रोज होती रही।



स्टेट के पुजारियों ने मांगी माफी 


वाराणसी। अवैध तरीके से बाबा की सप्तर्षि आरती कराने वाले स्टेट के पुजारियों ने मंदिर प्रशासन को खत भेजकर माफी मांगी है। खत में कहा है कि उनका पूर्व महंत परिवार और उनकी संपत्ति से कोई संबंध नहीं है। हम लोग राजाओं द्वारा वंशानुगत रूप से बाबा श्री काशी विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती करते चले आ रहे हैं। उन्होंने भूलवश काम किया है। उन्हें क्षमा किया जाए। साथ ही सप्तऋषि आरती की अनुमति दी जाए। माफीनामा देने वालों में सिंधिया स्टेट के राजीव प्रकाश मिश्र, जाम नगर स्टेट के रामानंद दुबे, राजस्थान स्टेट के शिवजी मिश्र, मुंशी माधव स्टेट के संतोष दुबे, जूना अखाड़ा के अभिषेक कुमार चौबे, सुनील दुबे, ग्वालियर स्टेट के लक्ष्मीकांत भट्ट, नागौर स्टेट के अनिल चौबे, विकास चौबे, दयानंद दुबे शामिल हैं।  



  


विशाल की मां ने क्यों छोड़ दिया था अन्न-जल?


बेईमानों ने उड़ाई थी सीओ के भ्रष्टाचारी होने की बात...! 


वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में सप्तऋषि आरती भंग करने और मंदिर के गुंबदों को तोड़ने की अफवाह उड़ाने वालों ने ऐसा खेल खेला कि सीईओ विशाल सिंह की मां श्रीमती विद्या सिंह ने अन्न-जल ही छोड़ दिया। बात सात मई की है। किसी ने फेसबुक पर विशाल सिंह की नीयत पर सवालिया निशान लगाते हुए कमेंट लिखा। वो कमेंट इनकी मां ने पढ़ लिया। फिर क्या था, वो आग-बबूला हो गईं। उन्होंने मान लिया कि उनका बेटा नालायक हो गया है। उन्होंने अन्न-जल छोड़ दिया। किसी की कोई बात नहीं सुनी। बाद में उन्होंने साक्ष्य मांगा। तब उन्हें अखबारों के कतरनें दिखाई गईं। बताया गया कि न गुंबद तोड़ गया और न ही आरती रोकी गई। साजिश का भंडाफोड़ हुआ तो उन्होंने विशाल सिंह के हाथ से पानी पिया और खाना भी खाया।
मंदिर के सीओ ने शनिवार को ‘जनसंदेश टाइम्स’ से बातचीत में कहा कि मंदिर की परंपराओं में उन्होंने कोई बदलाव नहीं किया है। अगर कोई उन्हें बेईमान साबित कर दे तो वो सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे देंगे। यह भी कहा कि सोची-समझी साजिश के तहत अफवाह फैलाई गई। इस साजिश में कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनका हित उनके रहते सध नहीं पा रहा है। 


बाबा धाम में बवाल और बवंडर करने वालों के खिलाफ थाने में तहरीर

दो कथित पत्रकारों समेत नौ लोग निशाने पर


पुलिस ने अभी दर्ज नहीं किया है मुकदमा, उच्चाधिकारियों की संस्तुति मिलते ही दर्ज होगी रपट


वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के ठेकेदार अतुल पाठक ने दो तथाकथित पत्रकारों और सप्तऋषि आरती के पुजारियों के खिलाफ रपट दर्ज करने के लिए दशाश्वमेध थाने में तहरीर दी है। पुलिस को उच्चाधिकारियों के निर्देश की प्रतीक्षा है। फिलहाल अभी रपट दर्ज नहीं की गई है। 
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के सुंदरीकरण के ठेकेदार अतुल पाठक ने सात मई को दशाश्वमेध थानाध्यक्ष को दो कथित पत्रकारों समेत नौ लोगों के खिलाफ अफवाह फैलाने के मामले में तहरीर दी है। तहरीर में जिन दो तथाकथित पत्रकारों का नाम लिखा गया है उनमें एक विश्वनाथ मंदिर के समीपवर्ती मंदिर का प्रबंधक है। इनके अलावा श्री विश्वनाथ मंदिर सप्तऋषि मंदिर के पुजारी शशि भूषण तिवारी उर्फ गुड्डू महराज, विनोद महराज, जयशंकर त्रिपाठी, हिमांशु त्रिपाठी, इंद्रभूषण त्रिपाठी और राजेंद्र त्रिपाठी उर्फ बबलू त्रिपाठी पर साजिशन अफवाह फैलाने और उसमें फंसाने की बात कही गई है। तहरीर में एक पत्रकार पर लेनदेन कर झूठी खबर छापने का भी आरोप लगाया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि उन्होंने लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है। कोरोना महामारी में लाकडाउन के बावजूद अफवाह फैलाने वालों ने निषेधाज्ञा तोड़कर हिंसा फैलाने का कुप्रयास किया है। 
इसी तरह की एक दूसरी तहरीर मंदिर के अर्चक अभिषेक मिश्रा उर्फ गोलू की ओर से दी गई है। इस तहरीर में कहा गया है कि दुष्प्रचार करने, कर्मचारियों को बदनाम करने और मंदिर की छवि प्रभावित करने के लिए सोची समझी साजिश के तहत लाकडाउन में जानबूझकर कुकृत्य किया गया है। यह भी कहा गया है कि पूर्व में अपने घरों के टूटे हुए पत्थरों और दीवारों का मलबा जुटाकर दुष्प्रचार करने की साजिश रची गई। अभिषेक ने तहरीर में कहा है कि छह मई को अपराह्न डेढ़ बजे वो सफाई कर रहे थे तभी गुड्डू महराज के नेतृत्व में आठ-दस लोग आए और ठेकादर व मुझे गालियां दीं। जान से मारने की धमकी भी दी। इस साजिश में दोनों पत्रकारों की भूमिका को अहम बताया गया है। 
दोनों तहरीरों के बारे में पूछे जाने पर दशाश्वमेध के थाना प्रभारी सिद्धार्थ मिश्र ने इस बात की पुष्टि कि उनके थाने में दोनों तहरीरें मौजूद हैं। उच्चाधिकारियों की संस्तुति मिलने पर रपट दर्ज कर ली जाएगी। 


 


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