संकट में अन्नदाता: मौसम की मार, किसान लाचार, असमय की बारिश और आंधी के कारण गेहूं की कटाई व मड़ाई कार्य ठप
- सब्जी की फसलों को भी भारी नुकसान, टमाटर, भिंडी व खीरा भी बर्बाद
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। मौसम ने एकबार फिर पटली मार दी। बीते रविवार के बाद मंगलवार की शाम से लेकर रात तक जनपद के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में हुई झमाझम बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। पहले ही फसलों में रोग लगने और ओलों के प्रहार से अन्नदाता नुकसान उठा चुके हैं। अब गेहूं की तैयार फसल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बरसात के कारण बुधवार को गेहूं की कटाई-मड़ाई का कार्य ठप रहा। वहीं, सब्जियों को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
चिरईगांव प्रतिनिधि के अनुसार गेहूं के साथ ही शाक-सब्जियों पर भी बेमौसम बारिश का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गयी है। विशेषज्ञों के मुताबिक सब्जियों पर फफूद जनित रोगों का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय ब्लाक के किसान मानिक चंद्र त्रिपाठी, रामचंदीपुर के बद्री नारायण यादव, गिरधरपुर के विनीत चौबे, जाल्हूपुर के भग्गू यादव ने कहा कि मंगलवार की बरसात से मड़ाई का रोकना पड़ा।
दूसरी ओर, लॉक डाउन के चलते हरी सब्जियों का भाव काफी कम हो गये हैं। यदि यही हाल रहा तो फायदे की बात दूर फसल की लागत निकालना भी मुश्किल होगा। मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए किसान जल्दबाजी में अपनी फसल रूपी पूंजी को बचाने में जुटे है लेकिन मौसम का यह बदलाव उनकी समझ से परे है। बाबतपुर प्रतिनिधि के मुताबिक बीते तीन-चार दिनों से मौसम में हो रहे बदलाव ने अन्नदाताओं की नींद उड़ा दी है। वह गेहूं की मड़ाई को लेकर चिंतित हैं। तेज आंधी और बारिश से खेतों में खड़ी गेहूं की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। उसकी कटाई-मड़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं मिल रहे हैं। फलस्वरूप समस्या और भी बढ़ चुकी है।
इस इलाके में बेमौसम की तेज बारिश से खेतों में गेहंू की फसल भींग गयी है। कुछ किसानों की फसल खेतों में खड़ी और कुछ की फसल आधी कटी खेतों में बिखरी पड़ी है। खेतों में बारिश का पानी जमा होने के चलते भी संकट गहरा गया है। बंधे हुए गेहूं के बोझ के निचले हिस्से पर दीमक का प्रकोप शुरु हो चुका है। बड़ागांव क्षेत्र के किसान राजेंद्र ने बताया कि लॉक डाउन में शासन-प्रशासन की ओर से खेती-बाड़ी के लिए मिली छूट के बावजूद मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इस कारण गेहूं की कटाई देर शुरु हुई। किसान गया राम ने कहा कि मजदूर न मिलने से परिवार के सदस्यों संग फसल काटने में जुटे थे लेकिन बारिश ने मेहनत पर पानी फेर दिया।
वहीं, तेज आंधी ने भी सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। टमाटर, भिंडी और खीरा जैसी फसलें उलट-पुलट हो गई हैं। दानगंज प्रतिनिधि के अनुसार इलाके के विभिन्न गांवों में गेहूं की कटाई-मड़ाई लगभग 15 से 20 प्रतिशत ही रह गयी थी लेकिन तेज आंधी व बारिश से थ्रेसरिंग कार्य रुक गया। गेहूं के बोझ बारिश से भींग गये। अब इंतजार तेज धूप व पछुआ हवाओं का है। किसान महेन्द्र यादव, अवधेश सिंह आदि के अनुसार लॉक डाउन के कारण कृषि यंत्रों को दुरुस्त करने और खरीद के लिए देर से मिली छूट का प्रभाव भी पड़ा है। गेहूं की फसल भींगने दाने काले पड़ने की आशंका है। वहीं, भूसा भी खराब, कड़ा और गांठदार होगा। फलस्वरूप किसानों को लाखों रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
सब्जी की पैदावार पर पड़ा असर
चोलापुर। स्थानीय क्षेत्र के किसान बेमौसम की बारिश और आंधी से परेशान हैं। मजदूरों की कमी और मौसम के लगातार बदलते मिजाज के कारण गेहूं की मड़ाई करीब दस दिन के लिए टल गई है। वहीं, भिंडी, बोड़ा, तरुई, नेनुआ, करैला, लौकी की क्योरियों में पानी भर जाने से उनके फल खराब होने के चलते पैदावार में बहुत कमी आ गई है। ताड़ी गांव के रमेश पटेल, रामदुलार पटेल, डाक्टर पटेल, जगदेव पाल, रौना गांव के रमेश मौर्य, संजय व हीरालाल ने कहा कि इस बार सब्जियों के भाव अच्छे नहीं मिल पा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल टेकारी, तेवर, रामगांव, गोसाईंपुर, बेला आदि गांवों के किसानों की है।
गट्ठर सूखाकर करें मड़ाई
- कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एनके सिंह ने किसानों को सुझाव दिया है कि मौसम के मिजाज को भांपते हुए ही फसलों की कटाई या मड़ाई करें। कोशिश यह हो कि फसल की कटाई के बाद जल्द से जल्द मड़ाई का कार्य कर लिया जाय। बीते मंगलवार को हुई बरसात से खेत में काटकर रखी गयी फसल को अधिक नुकसान पहुंचेगा। बारिश से भीग चुकी गेहूं की फसल के दाने काले पड़ सकते हैं। ऐसे में फसलों के गट्ठर को सुखाने के बाद ही मड़ाई करें।