पिंडरा के थाना गांव की मुसहर बस्ती में वर्ग संघर्ष के बाद पुलिस बूटों की धमक तोड़ रही मरघटी सन्नाटा

खास बातें.....


पिटती रही फूलपुर पुलिस, लेकिन नहीं की कोई जवाबी कार्रवाई, पलायन कर रहे लोगों को बुलाया घर


बुझे चूल्हे-बिखरे बर्तन..,  भोजन की आस में मायूस बैठीं भेंड़-बकरियां....हर ओर दहशत और खौफ


 प्रधानी के चुनाव के चलते कई खेमों में बंटे निरक्षर और नासमझ मुसहर बन गए मोहरा


 आरोप-प्रत्यारोप: वारदात के पीछे रमेश मुसहर व दूसरे गुट के एक अन्य युवक ने कराया था बवाल



फोटो-बीबी यादव


वाराणसी। टूटी-फूटी सड़कें..., कूची गई मोटरसाइकिल और साइकिलें..., बंद व  अधखुली झोपड़ियां..., बुझे चूल्हे और बिखरे बर्तन..,  भोजन की आस में मायूस बैठीं मुसहरों की भेंड़-बकरियां....हर ओर दहशत और खौफ का मंजर... यह दास्तां है पिंडरा के थाना गांव की मुसहर बस्ती का। यह वही गांव है जहां शनिवार की शाम उपद्रव हुआ था। चौबीस घंटे बीत जाने के बावजूद इस बस्ती में उपद्रव की काली दास्तां बहुत कुछ बयां कर रही है। गांव एक तरह से पुलिस छावनी में बदल गया है। सुरक्षाबलों की एक टुकड़ी टियर गन की खोजबीन में जुटी है।  गांव की पोखरी में कुछ युवकों को उतारा गया है। पुलिस दल उसे ढुंढवाने में जुटी रही।


शनिवार की शाम जातीय हिंसा और आगजनी से कराहते थाना गांव की मुसहर बस्ती में मरघटी सन्नाटे का मंजर देखने के बाद कोई भी कह सकता है, जैसे यह सीरिया का कोई इलाका हो। बच्चों का मामूली विवाद यहां हिंसा की शक्ल में बदल गया था। लोग इस कदर उग्र हो गए थे कि पुलिस से भिड़ने और मरने-मारने से भी नहीं चूके। अलबत्ता सुरक्षा बलों पर ईंटें बरसायी गईं और जानलेवा हमले भी किए गए। इस हादसे में पुलिस इंस्पेक्टर सनवर अली समेत आधा दर्जन पुलिसकर्मी और कुछ ग्रामीण बुरी तरह घायल हुए हैं।



थाना गांव में मुसहर समुदाय की दो बस्तियां हैं। एक बस्ती के लोग पुलिस की खौफ से पलायन कर गए हैं। दूसरी बस्ती में कुछ लोग बचे हैं, जो बेहद भयभीत और डरे हुए हैं। मुसहरों के ज्यादतर मकानों पर सिर्फ कुंडियां ही लगी हैं। जिस मंडई को हिंसा के समय फूंका गया था, उसकी आग अब बुझ चुकी है। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि भीड़ की शक्ल में मौजूद उपद्रवियों ने ईंटें चलाईं और जमकर लाठी-डंडों का इस्तेमाल किया। बस्ती की एक महिला रोला ने बिलखते हुए उपद्रवियों को कोसते हुए कहा कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वह न केवल बौखलाई हुई थीं, बल्कि चीख चीखकर बार-बार यही कह रही थीं कि इस वारदात के पीछे पंचायत चुनाव की आग है जो अभी से धधकने लगी है। हमें तो बेवजह निशाना बना दिया गया।


वारदात के बाद बस्ती में मौजूद रंगीला और रामा ने बताया कि शनिवार की दोपहर में रमेश मुसहर का बेटा चिरंजीवी के साथ दूसरे वर्ग का हर्ष सिंह खेल रहा था। इसी दौरान दोनों बच्चों में विवाद हुआ। रमेश और उसके परिजनों ने हर्ष सिंह को पीट दिया। यही घटना, बाद में बड़े उपद्रव का सबब बन गई।



ह्यजनसंदेश टाइम्सह्ण की पड़ताल में रविवार को यह बात साफ हो गई कि विवाद के पीछे न अनाज मुद्दा था और न ही मोदी किट। पुलिस ने अनाज की बात गढ़कर इस मामले को और भी ज्याद उलझा दिया है। दरअसल,हिंसा के पीछे थी सियासी फितरत। बच्चों के विवाद के बाद आपसी लड़ाई ने ऐसा सियासी रंग डाला कि इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया। घटना की पड़ताल करने के बाद पता चला कि संघर्ष के पीछे पंचायत चुनाव को लेकर अभी से शुरू होने वाली गोलबंदी है। इस गोलबंदी की जद में कई निरक्षर और निर्दोष मुसहर भी फंस गए। साथ ही कुछ लोगों को पुलिस ने भी जबरिया फंसा दिया। वारदात के पीछे रमेश मुसहर और एक अन्य युवक का हाथ बताया जा रहा है। पुलिस ने दूसरे वर्ग के लोगों को मुल्जिम नहीं बनाया है।


रमेश और उसके परिजन फरार हैं। बस्ती के लोग पुलिस बूटों की धमक के चलते खौफजदां हैं। अधिसंख्य लोग घर पलायन कर गए हैं। हालांकि सभी के घरों के बार नई-नई बाइकें खड़ी नजर आ रही हैं। कई बाइकें पथराव में क्षतिग्रस्त भी हो चुकी हैं। समूची बस्ती में वीरानी है और दहशत है। वहां सिर्फ पुलिस के जवानों के बूटों की खटर-पटर ही सुनाई पड़ रही है।



मुसहर बस्ती और गांव के लोगों ने बताया कि पंचायत चुनाव होना है। इसके लिए गांव में कई गुट बन गए हैं। प्रधानी कब्जाने के लिए अभी से सियासत शुरू हो गई है। असल बात यह है कि मुसहर समुदाय के लोगों के पास प्रधान को जिताने-हराने की वोटों की ताकत है। इसी कवायद में मुसहरों में फूट डालकर दो गुटों में खड़ा कर दिया गया है। विवाद भले ही बच्चों के बीच का रहा हो, लेकिन असल मामला पंचायत का चुनाव ही है। मुसहरों को आगे करके सियासी चाल चलने वालों के मंसूबे अब पूरे हो गए हैं। हिंसा की वारदात के बाद हर गुट एक-दूसरे को फंसाने की कोशिश में जुट गया है। पुलिस को तरह-तरह के किस्से-कहानियां सुनाई जा रही हैं। कुछ गढ़ी गई कहानियां और कुछ अनगढ़ किस्से।


पड़ताल से पता चला है कि घटना के बाद मौके पर पहुंची  फूलपुर थाना पुलिस वारदात के पीछे की कहानी और सियासी पेंच फौरी तौर पर नहीं समझ पाई। इसी फेर में एक स्वयंसेवी कार्यकर्ता का नाम भी अपने रोजनामचे में चढ़ा लिया, जो महीनों से उस गांव में गया ही नहीं था।



जातीय वर्ग संघर्ष के बाद यह साफ हो गया है कि थाना गांव में शनिवार की शाम वर्ग संघर्ष सुनियोजित था और पुलिस पर हमले की पटकथा भी पहले लिखी जा चुकी थी। थाना गांव की मुसहर बस्ती में रहने वाले अधिसंख्य लोग काफी संपन्न हैं। संपन्नता की वजह यह है कि बहुतों को यहां जमीन के मुआवजे की एवज में लाखों रुपये मुआवजा मिला है। किसी के इस गांव में किसी को खाने-पीने का संकट था ही नहीं। राशन को लेकर भी कोई विवाद अथवा तनातनी नहीं हुई थी। मुसहर बस्ती के रमेश और दूसरे पक्ष के एक अन्य युवक ने मुसहर समुदाय को उकसाया। इन दोनों के मंसूबे मुसहर समाज के लोग नहीं समझ पाए और नासमझी में पुलिस पर हमला कर बैठे। फिलहाल ऊंची जाति के लोग यहां जातीय हिंसा के पीछे सारा दोष सिर्फ मुसहर समुदाय के लोगों के सिर मढ़ते नजर आ रहे हैं। जबकि मुसहर समुदाय के लोगों का कहना है कि ऊंची जाति के लोगों ने उन्हें सियासी साजिश के तहत उकसाया और फंसाया है।



लखपति मुसहरों के पास सरकारी आवास भी हैं


वाराणसी। थाना गांव के लोगों के मुताबिक सीआरपीएफ का कैंप बनाने के लिए जो जमीन अधिग्रहित की गई है उसमें मुसहर समुदाय के लोगों को काफी मुआवजा मिला है। कैंप के लिए जमीन देने के बाद अधिकांश मुसहर परिवार लखपति हो गए हैं। तभी से थाने गांव में आपसी विवाद की घटनाएं भी बढ़ गई हैं।


कर्मी ही नजर आए। बस्ती के अधिकांश परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास और शौचालय भी मिला हुआ है। कई आवास निमार्णाधीन हैं।



खौफजदा है मुसहर बस्ती के लोग


वाराणसी। थाना की मुसहर बस्ती के रंगीला ही नहीं कई परिवार फिलहाल दशहत में हैं। ये सभी खौफजदां हैं। रंगीला बताता है कि समूचे बस्ती में किसी को अनाज की कोई दिक्कत नहीं थी। सरकारी अनाज मिल चुका है। रंगीला ने आरोप जड़ा कि रमेश लौटेगा तो बस्ती के लोगों का जीना हराम कर देगा। वो बताता है कि बवाल के दौरान एक सिपाही उनके घर में घुस गया था। वो जान बचाने के लिए गुहार लगाने लगा। उसने जान पर खेलकर सिपाही की को जिंदा बचाया। बस्ती की स्व. धनई की पत्नी रोला ने बताया कि उसकी साढ़े तीन बिस्वा जमीन सीआरपीएफ कैंप में गई हैं, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। उसकी एक बच्ची आंख से दिव्यांग है। उसके पास न आवास है और न ही शौचालय। वो झोपड़ी में किसी तरह गुजर-बसर कर रही हैं। इस गांव में दो और परिवार हैं, जो पीएम आवास व शौचालय से वंचित है। दोनों बस्ती में मुसहरों के कुल 40-50 परिवार रहते हैं।



पुलिस की एफआईआर में विवाद का कारण राशन


जांच-पड़ताल के बाद निकली पंचायत चुनाव की सियासी कहानी


वाराणसी। थाना गांव की मुसहर बस्ती में पुलिस पर हमले की कहानी दिन में ही गढ़ दी गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ऊंची जाति से आने वाले परिवारों के कुछ बच्चे शनिवार को मुसहर बस्ती में पहुंचे थे। दोनों पक्षों में जमकर झड़प और मारपीट हुई थी। हमले में मुसहरों के बच्चे घायल हो गए थे। बाद में मुसहरों के बच्चे भी गोलबंद होकर ऊंची जाति के लोगों की बस्ती में पहुंचे। यहीं से विवाद आगे बढ़ गया।


सूत्र बताते हैं कि मुसहर समुदाय के लोग फूलपुर थाने पहुंचे थे, लेकिन पुलिस तत्काल मौके पर नहीं पहुंची। वो हीला-हवाली करने लगी। पुलिस शाम को मौके पर दोनों पक्षों को समझाने पहुंची, तब तक विवाद की तपिश काफी बढ़ गई थी। पुलिस कुछ समझ पाती, इससे पहले ही उन पर ईंटें बरसने लगीं। साथ ही लाठी-डंडे भी चलने लगे। हमले का मास्टर माइंड रमेश बताया जा रहा है।


पुलिस की एफआईआर में मामला राशन वितरण को लेकर विवाद बताया गया है, जिसे मुसहर बस्ती के लोग गलत बता रहे हैं। रंगीला और राम मुसहर बताते हैं कि शनिवार को दोपहर में भोजन का पैकेट आया था, जिसे विजय शंकर पांडेय उर्फ छन्नू  और  सुरेंद्र पांडेय ने बंटवाया था। जातीय हिंसा भोजन वितरण का कारण नहीं थी। सब कुछ सुनियोजित था और आगामी पंचायत चुनाव की चाशनी में पगा हुआ था। सब कुछ इतना आनन-फानन में हुआ कि पुलिस तात्कालिक रूप से तह तक नहीं पहुंच पाई। वारदात की कहानी खाद्यान्न से जोड़ दिया।



हिंसा में 26 नामजद और 50 अज्ञात


वाराणसी। फूलपुर थाना के उपनिरीक्षक लक्ष्मण प्रसाद शर्मा की तहरीर पर 26 नामदज समेत  50 अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। हमलावरों की धर-पकड़ में जुटी पुलिस को अभी सफलता नहीं मिली हैं। पुलिस की टीयर गन जो घटना के दौरान लूट ली गई थी उसे भी बरामद नहीं किया जा सका है।


पुलिस की माने तो लॉकडाउन के ड्यूटी के दौरान ग्राम थाने रामपुर में उपनिरीक्षक मय हमराह तैनात थे। इस बीच फोन पर किसी ने सूचना दी कि यहां राशन वितरण को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मामले को शांत कराने जैसे ही मुसहर बस्ती की तरफ बढ़े ही थे कि बस्ती के रमेश मुसहर, गब्बर, पहपट, रमेश की पत्नी सरोजा और बृजेश की पत्नी कुदनी गाली गलौच करते हुए अन्य लोगों को ललकारा इस बीच बस्ती के लोग घेराबंदी कर हमला कर दिये। नशे घेराबंदी के बीच उपनिरीक्ष ने थाना प्रभारी निरीक्षक को मामले से अवगत कराया और मौके पर तत्काल पहुंचने को कहा। थाना प्रभारी मय फोर्स पर पहुंचे ही थे कि दो दर्जन से ज्यादा बस्ती के लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावरों के हाथ में पहले से लाठी डंडे थे। इस घटना में प्रभारी निरीक्षक समेत आधा दर्जन सिपाही और कुछ ग्रामीण जो हमसभी के बचाव में आये घायल हुए।



इनके नाम दर्ज हुई थाने में रिपोर्ट


वाराणसी। घटना में रमेश, गब्बर, पहपट, सरोजा, सुनीता, डिंगुर, पप्पू, कमलेश, लालमन, भगेलू, शिवा, करंट, सन्नी,कमलेश, मनोज, विनोद, राजकुमार, छोटई, चंदू, बुद्धन, मुन्नू, शकुंतला, बृजेश, संदीप, विज्जू को नामजद किया गया है। बताया जा रहा है कि मंगला राजभर मौके पर नहीं थे, लेकिन पुलिस ने कुछ लोगों के बताने पर उनका नाम भी रपट में जोड़ दिया। करीब 50 अज्ञात लोगों को भी इस केस में नामजद किया गया है। वहीं दूसरी ओर घटना में घायल रामपुर निवासी विपिन सिंह ने भी रमेश मुसहर, धीरेंद्र सिंह समेत 30 लोगों के खिलाफ नामजद रपट दर्ज कराई है। पुलिस ने विपिन सिंह की तहरीर पर धारा 147,148,159,336,323,504,506 और 307 के तहत मामला दर्ज कराया है।


पोखरे में खोजी जा रही टीयर गन, नहीं मिली वाराणसी। घटना के दूसरे दिन रविवार को जांच में पहुंची पुलिस की टीम टीयर गन की खोज बस्ती के पास स्थित पोखरे में की। तीन से चार की संख्या में स्थानीय लोग पोखरे में उतरे और घंटों खोजबीन की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बीच लोगों से हमलावरों के बारे में पूछताछ भी की गई लेकिन जानकारी नहीं मिली।



क्या कहते हैं पुलिस अफसर


पिंडरा के थाना गांव में हुई पुलिसिया वारदात के बारे में पुलिस क्षेत्राधिकारी अनिल राय ने बताया कि घटना की गहन जांच-पड़ताल चल रही है। आरोपितों को पकड़ने के लिए दबिश दी जा रही है। उन्होंने कहा कि आरोपितों के पकड़ने जाने के बाद सही तथ्य निथरकर सामने आएंगे। जल्द ही मामले का पर्दाफाश होगा और सभी आरोपित गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा। सिर्फ उनके ही खिलाफ ही कार्रवाई होगी जो इस मामले में वाकई दोषी हैं।


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