कोविड-19 : नशामुक्त भारत ?



आज पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से लड़ रहा है। विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी आज कोविड 19 के आगे निस्तानाबूत होने के कगार पर है। डोनाल्ड ट्रम्प जो कि अमेरिका के राष्ट्रपति व विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ने अपने देशवासियों से संबोधन में कहते है कि कोरोना नामक इस महामारी से होने वाली मृत्यु दो लाख से अधिक होगी और संक्रमित व्यक्ति की संख्या 10 लाख से भी अधिक हो सकती है। आप को ज्ञात हो कि अमेरिका स्वास्थ्य के मामले में विश्व का नंबर वन देश है, वही इटली दूसरे नम्बर पर है और आप इटली की स्तिथि से भी वाकिफ़ ही होंगे, अगर नही तो जान लीजिए इटली में अब तक 10 हज़ार से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है वही संक्रमित व्यक्ति एक लाख से अधिक हैं। अब तक स्पेन तीसरे नम्बर है इस महामारी से जूझ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिका से पहले इटली को ही कोरोना का केंद्र बताया था।  
आइये जानतें हैं कोविड 19 क्या है? और इस बला का जन्म क्यों और कैसे हुआ।
वुहान कोरोना वायरस वैश्विक महामारी (2019-20) की शुरुआत एक नए किस्म के कोरोना वायरस के संक्रमण के रूप में मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई। बहुत से लोगों को बिना किसी कारण निमोनिया होने लगा और यह देखा गया की पीड़ित लोगों में से अधिकतर लोग वुहान सीफ़ूड मार्केट में दो सौ से अधिक जानवरों के मांस सहित मछलियाँ बेचते हैं तथा जीवित पशुओं का भी व्यापर करते हैं। 
चीनी वैज्ञानिकों ने बाद में कोरोना वायरस की एक नई नस्ल की पहचान की। जिसे 2019-कोविड प्रारंभिक पदनाम दिया गया। इस नए वायरस में कम से कम 70 प्रतिशत वही जीनोम अनुक्रम पाए गए जो सार्स-कोरोना वायरस में पाए जाते हैं। संक्रमण का पता लगाने के लिए एक विशिष्ट नैदानिक पीसीआर परीक्षण के विकास के साथ कई मामलों की पुष्टि उन लोगों में हुई जो सीधे बाजार से जुड़े हुए थे और उन लोगों में भी इस वायरस का पता लगा जो सीधे उस मार्केट से नहीं जुड़े हुए थे। अभी स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस सार्स जितनी ही गंभीरता या घातकता का है अथवा नहीं।
आइये समझते है कोरोना और नशे का तालमेल?
नशा मनुष्य को नाश की ओर ले जाता है, आप को आप के परिवार, समाज और देश को। नशा एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो कि महामारी से भी बड़ा जड़ समाज में फैला चुकी है। इसे रोकने के लिए सरकार के पास ना कोई वैक्सीन है और ना ही दवा। नशा एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो हमें हमारे समाज को, हमारे देश को तेजी से निगल रही है। चाहे शहर हो या गाँव हो आज पढ़ने लिखने की उम्र में लड़के हो या लड़की नशे के आदि हो चुके हैं।
नशीले पदार्थाे की समस्या आज विश्वव्यापी समस्या के रूप में हम सब के समाने खड़ी हुई है। लगभग सभी देशों ने नशीले पदार्थाे पर रोक लगाई हुई है। तमाम क़ानून भी बने हैं, कुछ देश ने तो मृत्युदंड का भी प्रावधान किया है। पर वास्तविक जीवन में सरकारें नशीले पदार्थाे को रोक पाने में असफल हैं।
देश विदेश के आंकड़ो पर दृष्टिपात करने पर पता चलता है कि नशा किस क़दर मनुष्य पर कहर बरपा रहा है। नशे को लेकर गौतम बुद्ध कहते है कि जिस राज्य में मदिरा आदर प्राप्त करेगी, वह महाकाल के अभिशाप से नष्ट होता चला जायेगा। बुद्ध कहते हैं कि मदिरापान महाहिंसा है। गौतम बुद्ध ने अपने पंचसिल सिद्धान्त में पांचवा और अंतिम सिद्धांत नशामुक्ति को ही लेकर कहा था।  
नशे की आदत बुरी आदत होती है। इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में नशे की कई रूप प्रचलित है। जैसे गुटके, शराब, अफीम, चरस, गांजा आदि इससे देश की जड़े कमजोर होती है। नशा रोकने हेतु सरकार को सकारात्मक नीतियां बनानी चाहिए। नशे की आदत से मानव पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए नशा मुक्ति शिविरों का आयोजन होना चाहिए। मानव अपने अल्प समय के सुख हेतु स्वयं वह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारता है। जिससे भावी पीढ़ी भी उनका अनुशरण करने लगती हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भड़कीले विज्ञापनों द्वारा लोगों को गुमराह करती हैं। साथ ही साथ कई सारे सेलिब्रिटी, हीरो, हीरोइन से प्रचार कराकर युवाओं को भटकाने का भी कार्य करती हैं।नशे की आदत युवाओं में भी बाल काल से ही होने पर वो अनेक रोगों के शिकार हो जाते हैं। इनमें से सबसे ख़तरनाक कैंसर होता है। 
2008-09 कोटपा के नियम अनुसार भारत सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध कर दिया है। यदि कोई ऐसा करता है तो उस पर 200 का जुर्माना लगाया जाता है, पर वास्तविकता से आप सभी परिचित ही होंगे कि कानून बनाना और पालन कराने में भारत सरकार अभी बहुत पीछे है।
महात्मा गांधी कहते हैं कि - अगर मुझे एक घंटे के लिए भी सारे हिंदुस्तान का सर्वशक्ति संपन्न शासक बना दिया जाये, तो पहला काम में जो करूंगा वह यह होगा कि तुरंत तमाम मदिरालयों को बिना कोई मुआवजा दिए बंद करा दूंगा।
नेपोलियन कहते हैं- हमें शत्रु की अपेक्षा मदिरा से अधिक डरना चाहिए। कुल मिलाकर सत्यानाशी नशे से जो महाहिंसा या हिंसा का महान श्रोत या कारण है। हमें आत्मरक्षा तो करनी ही होगी। साथ ही साथ समाज और राष्ट्र की प्रगति को ध्यान में रखते हुए कुछ कारगर प्रयत्न करने होंगे समझदारी का यही तकाजा है कि समय रहते देश को चेतना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरे विश्व को पहले से बताया है कि कोरोना वायरस उनमें ज्यादे इफ़ेक्ट कर रहा है जो शराब या किसी भी नशीले पदार्थों का सेवन कर रहें हैं। कई डॉक्टर का कहना है कि मरने वालों की तादाद उनकी ज़्यादा है जो नशे में संलिप्त हैं। क्योंकि कोरोना सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है, और नशा करने वाले इंसान के फ़ेफ़डे कमज़ोर हो जाते हैं।
वैसे इस वैश्विक महामारी से अभी तक 50 हज़ार लोगों कि पूरे विश्व में मृत्यु हुई है। पर इन नशीले पदार्थों के बिक्री की वजह से कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से लाखों लोग प्रतिदिन मरते हैं। लाखों के तादाद में बच्चों के सर से पिता का साया उठ जाता है। लाखों घर बीमारी के इलाज़ के खर्च की वजह से बेघर हो जाते हैं।
भारत देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2015 के मन की बात में देशवासियों व ख़ासतौर पर युवाओं को नशे से दूर रहने को कहा था, साथ ही साथ जल्द ही एक हेल्पलाइन नम्बर भी जारी करने को कहा था। पर इस कोरोना ने आज पूरे विश्व में नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी है, क्यों न कुछ दिनों तक ही। पर आज घरेलू हिंसा या आपराधिक मामले में भी कमी देखी गई है। एक शोध में पता चलता है कि विश्व में 90 प्रतिशत अपराध लोग नशे में ही करते हैं।
22 मार्च को जब देश के माननीय प्रधानमंत्री जी देश के नाम पर संबोधन करतें हैं। देशवाशियों को 21 दिन के लॉक डाउन की बात करतें है। तब सबसे ज्यादा  समस्या इन्ही नशा माफियाओं को होती है। गाँव की एक महिला जिसका नाम बबिता है उसके ख़ुशी का ठिकाना नही रहता है वो कहती है कम से कम इन 21 दिनों में मेरे पति मुझे मारेंगे तो नही........


 


सुमित सिंह ( संस्थापक, काशियाना फाउंडेशन )



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