कांग्रेस यूपी अध्‍यक्ष ने वित्तविहीन, प्राइवेट शिक्षकों के साथ कर्मचारी वर्ग को प्रति माह 5 हजार की आर्थिक सहायता देने हेतु सीएम को लिखा पत्र


जनसंदेश न्‍यूज


लखनऊ/वाराणसी। वित्तविहीन स्कूल एवं स्ववित्त पोषित महाविद्यालय के अध्यापक एवं कर्मचारियों और प्राइवेट स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने वाले अध्यापकों को वेतन रेगुलर नहीं मिलता है। उधर लाक डाउन के कारण इनको कोई सरकारी मदद नहीं मिलने से लोग दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मुख्यमंत्री को पत्र जारी करके कहा कि UN की एक रिपोर्ट में कहा गया हैं कि भारत में लगभग 40 करोड़ आबादी ग़रीबी में डूब जायेगी व क़रीब 20 करोड़ आबादी कोरोना के वजह से अपनी आजीविका खो देगी।


इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए उप्र में समस्त निजी मान्यता प्राप्त विद्यालय/ग़ैर निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ाने वाले वित्तविहीन शिक्षकों, सहायकों, सफाई कर्मचारियों, चपरासियों की दिनों दिन खराब होती चिंतनीय हैं। ऐसी स्थिति में इन सभी वर्ग के लोगों को जीविका पालन हेतु हर महीने न्यूनतम 5 हजार की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएं।


वहीं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के आल इंडिया सेकुलर फोरम के संयोजक डॉ मोहम्मद आरिफ ने इसका सरल तरीका राशन मोबाइल वैन के जरियें बिना भीड़ लगायें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इन शिक्षकों, कर्मचारियों में सभी जरुरतमंदों को घर-घर आसानी से खाद्य सामग्री मुफ्त बांटी जा सकती हैं। शिक्षकों के खाते में भरण पोषण राशि दिया जा सकता है। इस बाबत सरकार के दिए गए आदेश जिसका कड़ाई से पालन कराते हुए 2 महीने का वेतन इन शिक्षकों कर्मचारियों को दिलवाए जाए ताकि इन लोगों को “भूख” से बचाने के लिये सावधानी के साथ यह सब भी करना होगा। तभी कोरोना के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग सफल व सार्थक हो सकेगी।


सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता की पत्नी शिक्षिका पूजा गुप्ता जो वंचित समुदाय के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करती है और खुद प्राइवेट स्कूल में अध्यापन का कार्य करती है,  ने कुछ दिन पहले प्रदेश के मुखिया सीएम योगी और जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा को मेल, ट्वीट करते हुए कहा कि हम शिक्षक लोग अध्यापन के जरिये रोजी मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। हमारा वेतन दिहाड़ी और मनरेगा मजदूरों से भी कम है। सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं का भी लाभ हमें नहीं मिलता है। यहां तक कि राशन कार्ड भी हम शिक्षकों के पास नहीं है। मुफ्त खाद्यान्न वितरण भी हमें नहीं हो पा रहा है और ना ही सरकार और संस्थाओं के जरिए हमें खाद्य सामग्री उपलब्ध हो रही है ऐसे में हमारे सामने गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो रही है।


मांग किया कि हम शिक्षकों के परिवार के सामने रोजी रोटी की गंभीर समस्या आने लगी है। शिक्षक वर्ग के लोग कोई रोजी मजदूरी का काम नहीं कर पा रहे हैं। विगत 22 मार्च से लोग अपने-अपने घरों में हैं। जिसके कारण दैनिक रोजी-रोटी करने वालों के सामने गंभीर आर्थिक स्थिति बन गई है। छोटे-छोटे बच्चे उनके काफी परेशान होने लगे हैं। ऐसे शिक्षक और कर्मचारी परिवारों को भी राहत पहुंचाने काम किया जाये।



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