डरावनी हो गई है रतजगा करने वाली काशी की शाम 







ग्राउंड रिपोर्ट----
- नहीं दिख रही है कहीं बनारस की मौज और मस्ती

 

- मुस्लिम बस्तियों में करघों की खटर-पटर नदारद

- गंगापार रेती पर ऊंट न घोड़ा और न ही कोई मेला

जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। दिन की तीखी धूप। चारों ओर अजीब-सी खामोशी। सड़कें, गली-नुक्कड़, तिराहे-चौराहे तो हैं लेकिन दूर-दूर तक पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के बूटों की खट-खट आवाज। अफसरों की गाड़ियों की आमदरफ्त के सिवाय कुछ नहीं। बनारस इन दिनों कंक्रीट का एक ऐसा जंगल बन चुका है जहां घरों के बाहर इंसान नदारद है। रोड पर कुत्ते और छुट्टा पशुओं की चहलकदमी ही ज्यादा दिख रही है। जिस मस्ती और मौज के लिए इस शहर को पूरी दुनिया जानती है, यहां फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है। कहीं कोई ट्रैफिक जाम नहीं। गंगातट के घाट सूने पड़े हैं।
गंगापार धूल की तरह उड़ती रेत पर न ऊंट न घोड़े और न ही टिकटॉक की युवा टोलियां। गलियों में सन्नाटा पसरा है। उधर, मुस्लिम बस्तियों में बुनकरों के हाथ थम गये हैं। दिन-रात खटर-पटर की आवाज के साथ चलने वाले करघे और लूम बंद हैं। पक्के महाल की अल्हड़ मस्ती और रौनक नदारद है। दिन में ही रात जैसा मरघटी सियापा छाया हुआ है। शाम होते ही यह स्थिति और डरावनी लगने लगती है।


कोविड-19 वायरस का संक्रमण रोकने और इस महामारी से नागरिकों को बचाने के लिए चल रहे लॉकडॉउन में दिन चढ़ने के साथ ही प्रतिदिन ऐसा ही नजारा दिख रहा है। हर वक्त ट्रैफिक की चिल्ल-पों और भीड़ की ठेलमठेल वाले बनारस की सड़कों पर आवाजाही कुछ यूं बंद है मानो कर्फ्यू लगा हो।
तेलियाबाग, अंधरापुल, कैंट, कैंट रेलवे स्टेशन, मलदहिया, सिगरा, रथयात्रा, महमूरगंज, मंडुवाडीह, मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन, ककरमत्ता, बड़ी पटिया, बजरडीहा, सुदामापुर, शंकुधारा, गुरुधाम कॉलोनी, जवाहर नगर कॉलोनी, दुगार्कुंड, लंका, सामने घाट, रवींद्रपुरी एक्सटेंशन, अस्सी, शिवाला, हरिश्चंद्र घाट रोड, बाग हाड़ा, गौरीकेदारेश्वर मंदिर मार्ग, पांडेय घाट, मानसरोवर, धोबी खाना समेत बंगाली टोला की गलियां, सोनारपुरा, पांडेय हवेली, मदनपुरा की गलियां, भेलूपुर, तिलभांडेश्वर, रेवड़ी तालाब, गोदौलिया, बांसफाटक, चौक, ठठेरी बाजार, चौखंभा, भैरोनाथ, विश्वेश्वरगंज, गोलघर, मैदागिन, कबीरचौरा, लहुराबीर से लेकर जगतगंज समेत सभी इलाकों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
चौराहों-तिराहों और गली-नुक्कड़ पर पुलिस की जारी गश्त के दौरान सिपाही भी आपस में बातचीत करते नहीं दिख रहे हैं। किसी घर की खिड़की खुले या बंद होने की आवाज दिन के उजाले में पसरे सन्नाटे को तोड़ रही है। गलियों में खामोशी ऐसी कि सभी मकानों में लोगों की मौजूदगी के बावजूद किसी भी घर से बातचीत तक की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही। हर वक्त गुलजार रहने वाले चौक क्षेत्र ने मानो चुप्पी साध रखी है।


ठठेरी बाजार से लेकर कालभैरव तक गली कुछ यूं लग रही जैसे यहां से रातों-रात लोग गायब हो चुके हैं। कुछ घरों के खुले दरवाजे के भीतर गिने-चुने लोग चुप्पी साधे बैठे हैं। जरुरत का सामान लेकर जाते हुए लोग और मेडिकल स्टोर्स पर मास्क लगाये दवा खरीदते इक्का-दुक्का व्यक्ति वहां की खामोशी महज कुछ पल के लिए ही तोड़ते नजर आ रहे हैं। धक्का-मुक्की और ठेलाठेली वाले इस शहर में कोरोना वायरस को लेकर खौफ का हाल यह है कि आमने-सामने या बगल से गुजरते वक्त भी कोई यह कि कोई व्यक्ति किसी से छू न जाय।
चौकाघाट फ्लाईओवर, सामनेघाट पुल और रामनगर तक कहीं कोई आवाजाही नहीं दिख रही है। रामनगर किले का गेट भले ही खुला दिख रहा है लेकिन वहां सामान्य दिनों जैसी न तो पर्यटकों की कोई भीड़ है और न ही है स्थानीय लोगों की मौजूदगी। उधर, सुबह से लेकर शाम तक गंगापार रेती पर ऊंट और घोड़े की सवारी करने वाले टूरिस्ट और बनारस के लोगों का मेले जैसा कोई नजारा नहीं है। गंगा खामोश हैं और उस पार उड़ती रेत भी मानो डरा रही है।


 



 



 







 




Popular posts from this blog

'चिंटू जिया' पर लहालोट हुए पूर्वांचल के किसान

लाइनमैन की खुबसूरत बीबी को भगा ले गया जेई, शिकायत के बाद से ही आ रहे है धमकी भरे फोन

नलकूप के नाली पर पीडब्लूडी विभाग ने किया अतिक्रमण, सड़क निर्माण में धांधली की सूचना मिलते ही जांच करने पहुंचे सीडीओ, जमकर लगाई फटकार