बनारस में लॉकडाउन की तनहाई में बढ़ा रोमांस, सैनिटाइजर और मास्क ही नहीं, कंडोम की बिक्री में भारी इजाफा


लॉकडाउन में लोग अपने जीवन में भरना चाहते हैं ज्यादा से ज्यादा प्यार


कोरोना के खौफ के चलते कपल्स साथ रहकर बांट रहे सुख-दुख



विजय विनीत के साथ जितेंद्र श्रीवास्तव
वाराणसी। काशी में अगर करोना का खौफ बढ़ा है तो कंडोम की रोमांचक बिक्री भी बढ़ी है। साथ ही उन गोलियों की खपत में भी भारी इजाफा हुआ है जिससे आबादी रोकी जाती है। कंडोम व गर्भ निरोधक की भारी खपत इस बात का तस्दीक कर रही है कि लाक डाउन में लोग अब अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्यार का रंग भरना चाहते हैं। शायद यही वजह है कि कंडोम की बिक्री में 30 से 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कोरोना से सामाजिक दूरियां जरूर बढ़ी हैं, लेकिन घर के अंदर प्यार का दायरा बढ़ गया है। बच्चों को मां-बाप का ज्यादा साथ मिल गया है तो न्यू कपल्स अब और भी ज्यादा करीब आ गए हैं। मतलब, लॉकडाउन में लोग अब अपनी मोहब्बत को परवान चढ़ा रहे हैं। इस वजह से बनारस शहर में सिर्फ सैनिटाइजर और मास्क ही नहीं, कंडोम की डिमांड भी आसमान छू रही है।
पूर्वांचल में बड़ी संख्या में लोग वर्क फ्राम होम कर रहे हैं। या फिर पूरी तरह छुट्टी पर हैं। जिन लोगों की शिकायत रहती थी कि काम की वजह से रिश्तों को टाइम नहीं दे पाते, उनका शिकवा अब दूर हो चला है। कई शादीशुदा जोड़े और प्रेमी प्रेमिकाएं जो लाक डाउन की वजह से घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, उनकी सोच बदली है। दरअसल, जिन्हें राशन-सब्जी की जरूरत है या फिर सैनिटाजर-मास्क की, वो ही बाजार जाने की जहमत उठा रहे हैं। लोगों के जरूरी सामान की लिस्ट में कंडोम या फिर ओरल पिल्स भी जुड़ गया है।
बनारस शहर के युवा दवा कारोबारी दीपक कुमार कहते हैं कि अब मेडिकल स्टोर्स पर कंडोम की कमी दिखने लगी है। पिछले कुछ दिनों में इसकी बिक्री में भारी इजाफा हुआ है। अब छोटे नहीं, बल्कि कंडोम के बड़े पैकेट खरीदे जा रहे हैं। यही वजह है कि गर्भ निरोधकों की बिक्री में 30 से 50 फीसदी का उछाल आया है। कुछ लोग इसलिए भी कंडोम खरीद रहे हैं कि दस्ताने की तरह उसका इस्तेमाल किया जा सके।
हालत यह है कि शहर के कई स्टोर्स पर न तो कंडोम मिल रहा है और न ही सैनिटाइजर। आखिर करेंगे भी क्या? सिनेमा हाल बंद..., बाजार बंद..., माल बंद..., कहीं जा भी तो नहीं सकते। ऐसे में विकल्प ही क्या बचा है। बनारस के केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के जिला महामंत्री संदीप चतुर्वेदी बताते हैं कि अक्सर नए साल पर ही कंडोम की बिक्री सबसे ज्यादा होती थी, लेकिन इस बार लाक डाउन ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं।
दरअसल, लाक डाउन में लोगों के पास पर्याप्त समय है। नए शादीशुदा जोड़ों के लिए लाक डाउन एक सुनहरा मौका है। या फिर उनके लिए भी फायदेमंद हैं जो काम के चलते एक दूसरे को समय नहीं दे पाते थे। या फिर शारीरिक संबंधों को प्राथमिकता नहीं देते थे। अब पूरा समय उनके पास है। रोमांस की कल्पना करने का वक्त मिलने से ये बदलाव देखने को मिल रहा है।
बीएचयू में मनोचिकित्सा एवं मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा.संजय गुप्ता कहते हैं कि महामारी और युद्ध के दौरान लोगों के बीच अंतरंगता बढ़ जाती है और मोहब्बत ज्यादा परवान चढ़ती है। यह एक मानसिक स्थिति होती है। लोगों को अनहोनी का डर होता है। इसलिए वो एक दूसरे के साथ पूरी तरह जीना चाहते हैं। उन्हें अपने अंदर समा लेना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि युवा जोड़े नौकरी करते हैं और एक साथ कमाते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा समय नहीं मिल पाता। इसलिए लाक डाउन आपसी संबंधों को भी ‘लॉक’ करने का बेहतरीन समय है। डा.गुप्ता ने यह भी कहा कि कई बार ज्यादा नजदीकियों से विवाद और झगड़े की आशंका भी बढ़ जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्लोबल स्तर पर भी कंडोम की मांग बढ़ी है। यह बात सामने आई है कि मास्क और सैनिटाइजर के अलावा अब दुनिया के कई देशों में कंडोम की कमी होने लगी है।

 
लाक डाउन में बढ़ा डेटिंग साइट का क्रेज
वाराणसी। लाक डाउन के चलते मनोरंजन पर विराम लगने से डेटिंग साइटों का क्रेज भी बढ़ गया है। कुछ ही दिनों के अंदर इन साइटों से हजारों लोग जुड़ चुके हैं। डेटिंग साइटों पर दुनिया भर के अजनबियों को डेटिंग का मौका मिल रहा है।
आभाषी दुनिया से जुड़े इंजीनियर अजीत कुमार कहते हैं कि ‘साइबर रोमांस’ तभी तक सेफ है, जब आप नियंत्रित दायरे में डेटिंग करते हैं। सुरक्षित तरीका यह है कि आप नए लोगों से मिलें तो पहले उन्हें मित्र बनाए। एक दूसरे की भावनाओं को समझें। फिर डेटिंग करें। हाल के दिनों में कई साइटों ने लोगों के लिए डेटिंग फ्री कर दिया है। बनारस के यूथ में डेटिंग साइटों का क्रेज बढ़ता जा रहा है।


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