...ताकि कम पानी में बेहतर ढंग से हो खेती, बनारस के प्रगतिशील किसानों का 25 सदस्यीय दल महाराष्ट्र रवाना
जलगांव में सीखेंगे ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई का हुनर
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने भेजा मंडल के किसानों को
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में माइक्रो इरीगेशन के अंतर्गत हुई पहल
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। मंडल के चिह्नित प्रगतिशील किसानों को कम पानी का उपयोग कर बेहतर उपज प्राप्त करने का हुनर सिखाने के लिए महाराष्टकृ भेजा गया है। वहां के जलगांव में इस प्रकार की खेती कर किसान बढ़िया रिजल्ट दे रहे हैं। रविवार को किसानों का 25 सदस्यीय दल पांच दिनी यात्रा पर जलगांव रवाना हुआ।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों को खेती की नयी तकनीक बताने और आधुनिक तरीके के कार्य करने की गुर बताने के लिए विभिन्न राज्यों में भ्रमण पर भेजा जाता है। उसी क्रम में इस बार स्प्रिंकलर और ड्रिप विधि से सिंचाई कर अच्छी उपज प्राप्त करने का तरीका बताने के लिए यह पहल की गयी है। वाराणसी मंडल से जलगांव भेजे गये सभी किसान ड्रिप विधि और स्प्रिंकलर के जरिये खेती-बाड़ी कर रहे हैं लेकिन जलगांव के किसानों ने इन दोनों विधियों को और बेहतर ढंग अपनाया है।
उप निदेशक उद्यान मुन्ना यादव और जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने बताया कि जलगांव की एक कंपनी तमाम किसानों को प्रशिक्षित कर ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि खेती कर उत्पादन में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इसीलिए वाराणसी मंडल के कुछ चिह्नित प्रगतिशील किसानों को संबंधित ट्रेनिंग लेने के लिए महाराष्टकृ भेजा गया है। उनमें वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और जौनपुर के किसान शामिल हैं। टीम में वाराणसी के पांच किसान शामिल हैं।
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में माइक्रो इरीगेशन के तहत राज्य के बाहर प्रशिक्षण के लिए जलगांव (जालना) रवाना यह किसान महानगरी एक्सप्रेस से गये। मंडलीय तकनीकी सहायक ममता यादव ने हरी झंडी दिखाकर उन्हें रवाना किया। सहायक उद्यान निरीक्षक चंदौली सुरेश मिश्र के नेतृत्व में भ्रमण दल में उद्यान निरीक्षक ज्योति सिंह व मोहन कुमार सोनकर, किसान रामदुलार यादव, अनुज यादव, शिवम सिंह, आशुतोष मौर्य, राजनारायण, जोखू, घनश्याम मौर्य आदि शमिल हैं। आगामी पांच मार्च तक यह किसान जलगांव के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करेंगे।
रवानगी से पूर्व किसान रामदुलार यादव ने बताया कि इस यात्रा के माध्यम से हमलोगों को स्प्रिंकलर व ड्रीप सिंचाई विधि को और अच्छे ढंग से समझने में मदद मिलेगी। ताकि कम से कम पानी में अच्छी फसल पैदा करना संभव हो। यह तकनीक अपनाने से न सिर्फ पानी की बचत होगी बल्कि लगातार गिरते भूगर्भ जलस्तर को देखते हुए आने वाली पीढ़ियां भी कम पानी में अच्छी फसल उगाने के लिए प्रयासरत रहेंगी।