सिर्फ चुनाव के वक्त आते हैं फुसलाने, हरहुआ ब्लाक में कोहांसी के ग्राम प्रधान आबादी और वोटरों की संख्या से अनजान

 


 हरहुआ ब्लाक के कोहांसी ग्राम पंचायत के अधिकांश लोग हैं संपन्न


 गांव की मुसहर बस्ती सर्वाधिक उपेक्षित, नहीं लेता कोई हाल-चाल


गांव के कोने में अलग-थलग पड़ी बस्ती से सभी ने फेर लिया है मुंह


बारिश के दिनों को छोड़ गांव में नहीं मिलते हैं खेती कार्य को मजदूर


सामुदायिक शौचालय ठीक न कर एसबीएम बांट दिये गये इज्जत घर


पीएम आवास योजना में दिये आवासों में नहीं लगे खिड़की व दरवाजे



जनसंदेश न्यूज


चांदमारी। हरहुआ विकास खंड के कोहांसी ग्राम पंचायत में अधिकांश लोग संपन्न ही दिखते हैं। यहां शासन से लागू विभिन्न योजनाओं को लेकर ग्रामीणों में संतोष और असंतोष दोनों है। नलकूप, हैंडपंप और नाली आदि को लेकर शिकायतें हैं। गांव की मुसहर बस्ती सर्वाधिक उपेक्षित है। उनकी अनदेखी इस हद तक है कि बस्ती में पहुंचने के लिए कोई सीधी रोड नहीं है। इस बस्ती में सरकारी धन का दुरुपयोग भी किया गया है।



लगभग तीन हजार की आबादी वाले कोहांसी ग्राम पंचायत में ग्रामसभा के पास इतनी जमीन नहीं है कि अतिरिक्त रूप से किसी सरकारी भवन आदि का निर्माण कराया जा सके। स्वास्थ्य केंद्र न होने से विशेषकर गंभीर रूप से बीमार पड़ने वाले लोगों और गर्भवती महिलाओं को काफी दूर स्थित हेल्थ सेंटर या जिला अथवा मंडली अस्पताल ले जाना पड़ता है। हालांकि शिक्षण संस्थान और अंगनबाड़ी केंद्र उपलब्ध हैं।



यहां नलकूपों की नालियां खस्ताहाल हैं। गांव के अधिकांश युवा और उनके परिवार के कई सदस्य शहरों में कामकाज करते हैं। इस कारण खेतों में कार्य कराने के लिए स्थानीय स्तर पर मजदूरों का टोटा है। बारिश के दौरान ईंट भट्ठे बंद होने के दौरान ही कृषि कार्य के लिए श्रमिक मिल पाते हैं। कोहांसी की मुसहर बस्ती मानो गांव से अलग-थलग ही कर दी गयी है। इस बस्ती के लोग उपेक्षित हैं।



इस बस्ती में कराये गये विकास कार्यों की न तो निगरानी होती है और न ही शासन की योजनाओं में दिये गये लाभ का सत्यापन किया जाता है। फलस्वरूप मुसहर बस्ती के लोग जैसे-तैसे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना में दिये गये आवासों में न तो खिड़की-दरवाजे हैं और न ही प्लास्टर करने की जरूरत समझी गयी है। गांव के भीतर से मुसहर बस्ती तक पहुंचने के लिए खेतों के बीच एकमात्र पगडंडी से होकर जाना पड़ता है।



बारिश के दिनों में इस पगडंडी से पैदल या सायकिल से जाना भी दूभर हो जाता है। बस्ती के लोग यदि अपने घर तक पहुंचने के लिए दूरि की यात्रा करने के बजाय उस पगडंडी ट्रॉली आदि से सामान ले जाना चाहें तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के वक्त ही लोग हालचाल लेने आते हैं और फुसलाकर वोट दिलवा देते हैं। उसके बाद कोई झांकने तक नहीं आता।



इस मुसहर बस्ती में सरकारी धन का दुरुपयोग भी किया गया है। स्वस्थ भारत मिशन के तहत इज्जत घर तो दिये गये लेकिन पहले से ही उपलब्ध खस्ताहाल हो चुके सामुदायिक शौचालय को दुरुस्त कराने की जरूरत ही नहीं समझी गयी। यदि उसे ही बनवा दिया गया होता को एसबीएम के मद का पैसा खर्च ही नहीं करना पड़ता। यहां स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में निर्मित शौचालयों की गुणवत्ता बेहद खराब है। उन इज्जत घरों में से अधिकांश टॉयलेट स्टोर रूप की तरह प्रयोग में लाये जा रहे हैं।


वहीं, पीएमएवाई में बगैर खिड़की-दरवाजे और पक्का फर्श बनाये आवास दे दिया गया। खास यह भी कि यहां के वर्तमान ग्राम प्रधान प्रदीप कुमार यादव न तो गांव की आबादी के बारे में जानते हैं और न ही मतदाताओं की कुल संख्या। पूछने पर वह सटीक आंकड़े पेश नहीं कर सके। उन्होंने सचिव को फोन मिलाने का प्रयास करते हुए कहा कि सेक्रेटरी से पूछकर जानकारी देता हूं। साथ ही यह भी जोड़ा कि गांव के बारे में आपलोग मुझसे सूचना लेने के बजाय बीडीओ और सचिव से बात करें। श्री यादव ने यह जरूर बताया कि 50 वोट से हमें जीत हासिल हुई थी।



खराब हैं सोलर लाइट्स : संगमा


- कोहांसी ग्राम पंचायत के मुसहर बस्ती में रहने वाले युवक संगमा ने आरोप लगाया कि बस्ती का एक सोलर लाइट का हाल यह है कि रात्रि आठ बजे आॅफ हो जाता है। जबकि दूसरा सोलर लाइट लगभग एक साल से खराब पड़ा है। सोलर लाइट लगाने के बाद आज तक कोई यह देखने या पूछने नहीं आया कि सोलर लाइट्स सही ढंग से चल रहे हैं या नहीं। इन लाइट्स को दुरुस्त कराने के लिए कई बार ग्राम प्रधान को कहा जा चुका है। वहीं बिजली के पोल पर डबल फेज होने के कारण बल्ब फ्यूज हो जाते हैं।



मतलब पर ही आते हैं याद : कुरीधि


- मुसहर बस्ती कोहांसी निवासी कुरीधि के अनुसार बस्ती में कई लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजना में शामिल पेंशन और आवास की जरूरत है। बस्ती का हैंडपंप खराब हो चुका है। सामुदायिक शौचालय खस्ताहाल है। कोई भी इलेक्श्न आता है तो मतलबी लोगों को हमारी याद आती है। चुनाव बीतते ही न तो कोई इस बस्ती का रुख करता है और न ही कोई हमारा दुख-दर्द बांटने आता है। बस्ती के सूरज, विनोद, जवाहिर आदि के परिवार को भी आवास आवश्यकता है। जबकि रामधी, बाले, गुल्लू, केदार, रिंकू, रमेश व बनारसी अदि के परिवारों को शौचालय की जरूरत है। ला कार्ड पर मिलने वाले राशन का वजन कम रहता है।



नहीं हो रही सुनवाई : सरदेई


- कोहांसी गांव में रोड के किनारे जीवन-यापन कर रही वृद्धा सरदेई ने शिकायत की कि प्रधानमंत्री आवास योजना में कई लोगों को लाभ दिया जा रहा है लेकिन मेरी उपेक्षा हो रही है। आवास के लिए ग्राम प्रधान और विकास खंड मुख्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक चुकी हूं उसके बावजूद किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है। जबकि आवास के लिए आवेदन किया जा चुका है।



कर रहे टाल-मटोल : लल्ला पटेल


- ग्राम पंचायत कोहांसी के लल्ला पटेल को एक अदद आवास की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऊंची पहुंच वाले और ग्राम प्रधान के साथ उठने-बैठने वाले और वोट बैंट की राजनीति में शामिल लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास की मांग की तो हमें नजरअंदाज कर दिया गया। ग्राम प्रधान लगातार टाल-मटोल कर रहे हैं।



बंद करें दो रुपये किलो वाला अनाज : वीर बहादुर


- कोहांसी के पूर्व ग्राम प्रधान वीर बहादुर सिंह ने आरोप लगाया कि वर्षों से लंबित चल रहे गांव के विवादित चकरोडों का निबटारा आजतक नहीं हुआ। दूसरी ओर, दो रुपये किलो की दर से अनाज दिये जाने वाली योजना इस गांव में नहीं चलनी चाहिए। क्योंकि यहां अधिकांश लोगों को उस क्वालिटी के अनाज की जरूरत ही नहीं है। हकीकत यह है कि बेहद कम रेट पर मिलने वाला यह अनाज लाभार्थी खुद ही बाजार में बेच देता है। उससे मिले पैसे को वह दारू पीने के लिए खर्च किया जाता है।



मैंने बनवाया पहुंच मार्ग : प्रदीप


- ग्राम पंचायत कोहांसी के ग्राम प्रधान प्रदीप कुमार यादव ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एकबार फिर इलेक्शन लड़ने का मन बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के आरोप सही नहीं हैं। पीएमएवाई में किये गये सर्वे में 30 और आवास की जरूरत है। मुसहर बस्ती में सभी शौचालयों का उपयोग हो रहा है। आवासों की क्वालिटी बहुंत अच्छी है। वहां के छह परिवारों को आवास चाहिए। जिन आवासों में खिड़की-दरवाजे नहीं हैं, उन लाभार्थियों पर दबाव बनाया जा रहा है। उस बस्ती में जाने के लिए पटेल बस्ती से होकर पहुंच मार्ग हमने ही बनवाया है।


 


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