प्रियंका गांधी के ट्विट के बाद मीरजापुर में सियासत गरमाई, किसानों की जमीन पर कब्जे के दौरान लाठीचार्ज

 


प्रशासन ने लिखी किसानों की तबाही की पटकथा


होली का त्योहार नहीं मनाएंगे 12 गांवों के अन्नदाता, मांगा मुआवजा


एसडीएम चुनार के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे, कार्रवाई की मांग


प्रशासनिक अफसरों से बात करते फफक-फफकर रो पड़े किसान


 


जनसंदेश न्यूज


मीरजापुर। अदलहाट इलाके के जादोपुर और कुंडाडीह गांव में रविवार को किसानों की खड़ी फसल रौंदने और विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर अंधाधुंध लाठीचार्ज किए जाने का मुद्दा गरमा गया है। इस मामले मे कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी के ट्विट से सियासी दलों ने योगी सरकार को किसान विरोध बताते हुए हमला तेज कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर सोमवार को किसानों ने प्रदर्शन किया और आला अधिकारियों से दुखड़ा भी सुनाया। अपनी बात कहते-कहते किसान फफक-फफकर रोने लगे। किसानों का कहना है कि भूअधिग्रहण के समय रेल अफसरों ने किसानों के परिजनों को रेलवे में नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन वो मुकर गए। अन्नदाता अपनी जमीन देने के लिए तैयार थे, लेकिन उनका कहना था कि गेहूं, सरसों, अरहर और मसूर की फसल कटने के बाद जमीन कब्जाएं, लेकिन प्रशासन उनकी बात सुनने के लिए कतई तैयार नहीं था।


रविवार को जेसीबी और पोकलैन किसानों की फसल प्रशासन ने रौंदवा दी। किसान विरोध करने गए तो पुलिस के जवानों ने महिलाओं पर जुल्म ढाया और उन्हें खेतों में घसीट-घसीटकर मारा। आरोप है कि निर्दोष महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई। घटना से आक्रोशित किसान सोमवार को परिजनों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और बर्बाद हुई फसल के साथ प्रदर्शन किया। किसानों का गुस्सा चुनार के एसडीएम जंग बहादुर यादव को लेकर था। आरोप है कि उनके इशारे पर पुलिस एवं पीएससी के जवानों ने महिला और पुरुष किसानों के बर्बरतापूर्वक लाठियां बरसाईं। लाठीचार्ज में 82 से अधिक किसानों को चोटें आई हैं। किसी के हाथ-पैर तो किसी के सिर में गंभीर चोटें आईं। कई किसानों के हाथ की हड्डियां टूट गई हैं। घायलों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इस घटना को लेकर मीरजापुर के किसानों में जबर्दस्त रोष है।



किसानों की ओर से सोमवार को मीरजापुर के एडीएम वित्त एवं राजस्व यूपी सिंह को पत्रक  सौंपा गया, जिसमें पुलिसिया उत्पीड़न और प्रशासन की निरंकुशता को निशाना बनाया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार ने फसल कटने का इंतजार नहीं किया। कुछ दिनों बाद ही खेत खाली हो जाता और रेलवे भूमि की नापी कर ली जाती। किसानों के ऊपर लाठियां भांजकर जमीन को अधिग्रहीत किया जा रहा है। 27 नवंबर 2019 को चुनार के एसडीएम ने आश्वासन दिया था कि फसल कटने के बाद ही भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। किसानों ने एसडीएम को दोषी मानते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।


कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के ट्विट करके किसानों पर हुए अत्याचार पर कड़ा विरोध जताया है। इस मामले में उन्होंने योगी सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा है कि मीरजापुर के किसानों ने मेहनत से अपनी फसल लगाई थी और भाजपा सरकार की पुलिस ने खड़ी फसल रौंद दिया। कल मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए खूब झूठे ऐलान किए और 24 घंटे भी नहीं बीते कि महिला किसानों के साथ सरकार का व्यवहार देखिए।  किसान विरोध भरा है भाजपा के अंदर।



सोमवार को कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शिव कुमार पटेल भी मौके पर पहुंचे और एडीएम के समक्ष किसानों का पक्ष रखा। उन्होंने किसानों के ऊपर हुए अत्याचार के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्रक जिला प्रशासन को सौंपा, जिसमें पुरुष अन्नदाता पर पुलिस ने बर्बरता पूर्वक महिलाओं पर लाठीचार्ज करने व खड़ी फसल को नष्ट करने का विरोध करते हुए किसानों के साथ नजर आए और किसानों के ऊपर हुए अत्याचार की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। इस बीच मीरजापुर के किसानों ने पुलिसिया जुल्म के खिलाफ होली न मनाने का निर्णय लिया है। महिलाओं पर हुए अत्याचार के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के संयोजक अनिल सिंह ने कहा कि होली पर किसान अपनी नई फसल होलिका दहन में लेकर जाता है। नई फसल को होलिका में समर्पित करता है, उसके साथ अच्छी बारिश की कामना करता है। सरकारी मशीनरी ने होली से पहले उनकी फसलें रौंदकर यह बता दिया कि किसानों के दिल में उनके लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया कि सात किलोमीटर के क्षेत्र में प्रशासन ने हमारी खड़ी फसलों को रौंद दिया है।


नौकरी देने का किया दावा, फिर मुकर गए


मीरजापुर। पुलिसिया बदसलूकी और लाठीचार्ज में घायल किसानों ने प्रशासन व रेलवे पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। पुरैनी, बरईपुर, गोरखपुर माफी,  देवरिया,  मकईपुर,  करहट, पकरी,  डोमरी,  जादोपुर,  कुंडाडीह, सींकिया, जैरामपुर, जमालपुर,  नरायनपुर, बैकुंठपुर, बरीजीवनपुर,  जोगवां,  भोरमार माफी के किसानों के मुताबिक रेलवे बोर्ड के उपनिदेशक रवि शेखर ने मुगलसराय से कानपुर के बीच 13 हजार बेरोजगारों को नौकरी देने का आदेश दिया था। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के तहत रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को आवेदन मांगने का निर्देश भी दिया था। नौकरी के आश्वासन पर किसानों ने 2012-13 में मुआवजा ले लिया तो रेल मंत्रालय ने नौकरी देने के अपने आदेश को रद कर दिया। किसानों की डिमांड है कि साल 2013-14 के सर्किल रेट डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना में के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। किसानों से जितनी जमीन ली गई है उतना ही अधिग्रहण किया जाए। नए सिरे से जमीन की नापी कराई जाए। जिन किसानों की जमीन अध्यादेश के बाद अधिग्रहीत की गई है उन्हें चार गुना मुआवजा दिया जाए। ग्रामीणों के आवागमन के लिए अंडर पास के बजाए ओवर ब्रिज बनाया जाए।


इस मामले में मीरजापुर के एडीएम वित्त एवं राजस्व यूपी सिंह का जवाब गोलमोल है। उनका दावा है कि रेलवे ने किसानों को नौकरी का भरोसा दिलाया ही नहीं।


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