प्रधानजी घर में, ‘धर्मू’ चला रहे गांव की सरकार !...बगैर नाली-नाले की ग्राम पंचायत है मिल्कोपुर


प्रधानपति के हाथ में विकास कार्यों की बागडोर



जनसंदेश न्यूज
चिरईगांव। इस दौर में जनपद में एक ऐसा भी गांव है जहां कहीं भी न तो नाली है और न ही नाला। हल्की बारिश में खेत-खलिहान तो हो ही जाते हैं और घरों की स्थिति भी विकट हो जाती है। दूसरी ओर, चकबंदी के चलते राजभर बस्ती के लोगों की आवाजाही के लिए रास्ता नहीं है। वहीं, कई लाभार्थियों को इज्जत घर के लिए सिर्फ ईंट उपलब्ध कराते हुए स्वच्छ भारत मिशन का कोरम पूरा कर लिया गया है। उधर, विभिन्न अवसरों के लिए गांव के सर्वमान्य ‘साव का पोखरा’ पर चल रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोकने वाला कोई नहीं है। मुसहर बस्ती बदहाल है।



यह ग्राम पंचायत है चिरईगांव विकास खंड का मिल्कोपुर। यहां बरसात का सीजन छोड़िए, गत दिनों हुई बेमौसम की बारिश में भी खेत लबालब भर गये और वहां खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ। गांव में एक भी नाली-नाला न होने के चलते एक खेत में भरा पानी हटाने के लिए मेड़ या रोड काट दी जाती है। उसके बाद वह पानी दूसरों की खेतों में पहुंच जाता है। इसे लेकर आये दिन किसानों के बीच जिच होती रहती है।



हालांकि अब गांव के एक हिस्से में नाली बिछाने का काम शुरु तो हुआ है लेकिन वह कार्य कबतक पूरा होगा और कब अन्नदाताओं को जलभराव से निजात मिलेगी, यह फिलहाल कहना कठिन है। रोचक यह कि ग्राम प्रधान सोनपत्ती देवी का नाम यहां के तमाम ग्रामीणों को नहीं पता है। इस गांव की ‘सरकार’ सोनपत्ती के पति पूर्व ग्राम प्रधान धर्म दत्त सिंह ही चलाते हैं। लोग उन्हें न सिर्फ ‘धर्मू प्रधान’ के नाम से पुकारते हैं बल्कि गांव के हर एक विकास कार्यों समेत पंचायतों की कमान धर्मू प्रधान ही संभालते हैं।



ग्रामीणों की मानें तो प्रधान के तौर पर गांव में सोनपत्ती की भूमिका सरकारी काजगों पर हस्ताक्षर करने तक ही सीमित है। अब गांव की मुसहर बस्ती का हाल देखें। यहां कई परिवारों को एक क्रिश्चियन सोसाइटी की ओर से आवास दिये गये हैं। बिजली विभाग की ओर से लगाए गये सभी मीटर बंद हैं। कई मीटर को तोड़ दिये गये हैं। बस्ती के लोग धड़ल्ले से कटियामारी कर दिन में भी बल्ब जला रहे हैं। बस्ती के परिवारों को स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से उपलब्ध कराए गये मानक को ताक पर रखकर निर्मित सभी शौचालयों में से अधिकांश प्रयोग में नहीं हैं।



यहां सामुदायिक शौचालय भी अरसे से उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में राजकुमार चौहान, रामधनी वनवासी, हरिकेश, नथुनी, आनंद, नंदू, वीरेंद्र, अशोक राजभर, विजय राजभर, महंगू, राजेश, विनोद वनवासी, दशमी चौहान, शशि कुमार, गुड्डू, चंद्रबली, चंद्रिका, राकेश, सनी, गनेशू विश्वकर्मा, सुनील, नरायन, रमेश आदि को आवास की जरूरत है।







विपक्षी कर रहे अनर्गल प्रलाप : सोनपत्ती देवी
- मिल्कोपुर की ग्राम प्रधान सोनपत्ती देवी ने ग्रामीणों के आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा कि विपक्षी लोग इस प्रकार का अनर्गल प्रलाप करते ही रहते हैं। ऐसे ही लोग मुझे पहचानने से भी इंकार करते हैं। बीते दिनों होली पर ही मैं घर-घर जाकर ग्रामीणों से मिली थी। दूसरी ओर, गांव में सीवर और नालियां बनाने का कार्य आरंभ हो चुकी है। उम्मीद है जल्द ही जलभराव की समस्या ने निजात मिल जाएगी। मुसहर बस्ती में पीएमएवाई के तहत तीन आवास दिये गये हैं। 37 और आवासों की लिस्ट भेजी जा चुकी है। वहां लोगों ने खुद ही मीटर हटा दिया है। उधर, राजभर बस्ती के निवासी जब शौचालय बना लेगें, उसके बाद ही उन्हें पैसे का भुगतान किया जाएगा। हालांकि कई पात्रों को ईंट उपलब्ध कराया जा चुका है। कुल 168 इज्जत घरों की आवश्यकता है।

साव का पोखरा पर अतिक्रमण : विनोद पाल
- ग्राम पंचायत मिल्कोपुर के युवक विनोद पाल कहते हैं कि गांव के साव का पोखरा और उसके आसपास लगातार अतिखरण बढ़ता जा रहा है। कई अवैध निर्माण हो चुके हैं। तमाम लोगों ने अलग-अलग ढंग से वहां अवैध कब्जा करना शुरु कर दिया है। मिल्कोपुर समेत आसपास के गांवों में इस पोखरे की अत्यधिक मान्यता है। विभिन्न पर्व-त्योहारों पर यहां भारी संख्या में लोग जुटते हैं और मेला भी लगता है।

चंदे से बनवायी सड़क : झाम सिंह चौहान
- मिल्कोपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान झाम सिंह चौहान के मुताबिक गांव के तमाम रोड आधे-अधूरे ही बनाये गये हैं। पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि एक दर्जन से अधिक परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास की अवश्यकता है। निजी शौचालयों को स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में दिखा दिया गया। कई टायलेट मनमाने ढंग के बनाये गये। कई साल पहले गांव में प्रवेश के एक मार्ग को लोगों से खुद चंदा जुटाकर बनवाया।

टॉयलेट के नाम पर सिर्फ ईंट : लालजी
मिल्कोपुर निवासी लालजी राजभर कहते हैं कि गांव की राजभर बस्ती उपेक्षित है। इस बस्ती में आवागमन के लिए कोई पक्की रोड या खड़ंजा तक नहीं है। खेतों के बीच की एक पंगडंडी ही आने-जाने का सहारा है। आवास के लिए कई पात्र हैं लेकिन ग्राम प्रधान से लेकर ब्लाक तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गांव के मन्ना, दयाराम और प्रदीप को स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण के लिए सिर्फ ईंट देकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गयी।


 


 


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