निर्भया को न्याय: फांसी के पहले गिड़गिड़ाते हुए सेल में ही लेट गया दोषी, जेल प्रशासन को करनी पड़ी मशक्कत


जनसंदेश न्यूज़
नई दिल्ली। लगभग आठ साल के लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार की सुबह निर्भया को न्याय मिल सका। निर्भया के साथ दरिंदगी को अंजाम देने वाले चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन फांसी के पहले दोषियों के चेहरे पर मौत का खौफ साफ दिखाई दे रहा था। 
तिहाड़ जेल के अधिकारी के अनुसार कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो विनय रोने लगा था, लेकिन बाकी तीनों बिल्कुल शांत थे। उन्हें एक बार फिर फांसी टल जाने की उम्मीद थी। लेकिन फांसी की खबर मिलते ही बंद चारों दोषी खबर मिलते ही बेचौन हो उठे। रात भर दोषियों को नींद नहीं आई। 
शुक्रवार तड़के 3.15 बजे ही चारों दोषियों को उठाकर नहाने के लिए कहा गया। जेल प्रशासन ने चारों के लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने भी चाय नहीं पी। इसी बीच विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया और चारों दोषी रोते हुए गिड़गिड़ाकर माफी मांगने लगे। 



फांसी घर में लाने से पहले चारों को काले कुर्ते-पजामे पहनाए गए। फिर उनके हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इसके बाद जब उन्हें फांसी घर लाया जाने लगा तो एक दोषी सेल में ही लेट गया और जाने से मना करने लगा। किसी तरह उसे पकड़ कर फांसी घर तक लाया गया। 
फांसी कोठी से कुछ दूर पहले ही उनके चेहरे को काले कपड़े से ढंका गया। इसके बाद उनके पैरों को भी बांधा गया ताकि वे ज्यादा छटपटा न पाएं और एक दूसरे से टकराएं नहीं। इसके बाद ठीक साढ़े पांच बजे पवन जल्लाद ने जेल नंबर-3 के सुपरिटेंडेंट के इशारे पर लीवर खींच दिया। करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने चारों दोषियों को मृत घोषित कर दिया। 


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