कोविड-19 के जद में बीएचयू के डाक्टर, ‘पीपीएफ-किट’ के टोटे से खुद असुरक्षित 


ओटी के संसाधन पहनकर चिकित्सा कर्मी कर रहे काम

जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल में करोना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग की कलई खुल गयी है। आम नागरिकों को कैद कर सुरक्षा में जुटा जिला प्रशासन ऐसे कदम उठा कर कोरोना वायरस  पर नियंत्रण में जुटा है। मेडिकल आफिसर (चिकित्सकों) और मेडिकल स्टाफ तक को पीपीएफ किट उपलब्ध नहीं करायी गयी है। कोरोना वायरस (सीओवीआईडी-19) के खिलाफ प्रधानमंत्री के जंग के आह्वान को जो दृश्य बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल में बुधवार की दोपहर जो दिखा वह संतोष जनक नहीं है। 
चिकित्सक खुद पर्सनल प्रोटेक्शन किट के बिना सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में ड्यूटी (मरीजों को प्राथमिक परीक्षण करने वाले) मेडिकल आफिसर नर्सिंग स्टाफ, प्राक्टोरियल बोर्ड सुरक्षा कर्मी, वहां पहुंचने वाले मरीजों के सेनेटाइज करने के लिए प्वाइंट थर्मल स्कैनल आदि से परीक्षण आदि के लिए कोई प्वांईंट नहीं बना है। 
सबसे अधिक खतरनाक कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से जूझने वाली जगह (सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी) संचालित की जा रही है। ओपीडी (बहिरंग) को बंद कर भीड़ से रोक दिया गया है। ऐसे में कंसलटेंट, सहित सभी लोग छुट्टी पर हैं। मेडिकल आफिसर सहित इमरजेंसी चिकित्सकों के लिए खाने पीने के लिए बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है। संक्रमित परिस्थितियों में उनके खाने पीने नास्ते के लिए घर आने जाने की छूट दी गयी है। ऐसे में संक्रमण से जूझ रहे चिकित्सक की मनोदशा अत्यधिक दयनीय हैं। रही वहां कोरोना वायरस (सीओपीआईडी-19) के  संक्रमण से बचने के लिए तो चिकित्सकों ने कोरोना रोकने के लिए ओटी में इस्तेमाल होने वाली डेकृस और ग्लब्स सहित सुरक्षा के सतही संसाधनों का इस्तेमाल कर रखा है। 
महत्वपूर्ण है कि बीएचयू में पर्सनल प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले पीपीएफ किट उपलब्ध नहीं है। बिना किट बीएचयू इमरजेंसी में महामारी से जूझ रहे मेडिकल स्टाफ चाहे वह डाक्टर हों, पैरा मेडिकल स्टाफ या वहां तैनात सुरक्षा कर्मी संक्रमण के खतरे से जूझ रहे हैं। 
बीएचयू में लैब से लेकर अस्पताल और बेड तक को सेनेटाइज करने के लिए नहीं दिख रहे वैज्ञानिक इंतजाम। यही नहीं गैस और लिक्विड सेनेटाइजेशन के लिए अब तक कोई इंतजाम तक नहीं बन सका है। आलम यह है कि एसी के लिए इस्तेमाल होने वाले एयर कटर तक संचालित नहीं हो रहे हैं। 



राम भरोसे चल रही बीएचयू में चिकित्सा


नहीं लिया किसी ने अस्पताल की व्यवस्था का जायजा


वाराणसी। बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में वैसे विभिन्न रोगों से ग्रस्त मरीजों की दो दिनों में संख्या 100 के पार हो गयी है। इंबुलेंस सहित विभिन्न गाड़ियों सहित सभी का आना जाना जारी है। अब तक एक को छोड़ बाकी संभावित मरीजों की संख्या को देखें तो लगभग सभी निगेटिव पाए गए हैं। इसके बाद भी बीएचयू ना तो प्रशासनिक अधिकारी,ना जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, खुद बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो.एसके माथुर कभी नहीं आए। स्थितियों को जायजा वह सीसीटीवी में ले रहे हैं पर उनकी ओर से कोरोना वायरस सहित अन्य इंतजाम को लेकर अब तक कोई तैयारी नहीं देखी गयी है। एक मरीज की माने तो डाक्टरर्स खुद डरे हुए हैं। बताते चलें कि बीएचयू के पूर्व निदेशक सर्जर रेक्टर डा.वीके शुक्ला संक्रमण फैलने के बाद अस्पताल परिसर में नजर ही नहीं आए। योजना और बिमारी की तैयारी को लेकर कोई भी पहल नहीं की।  आईएमएस के निदेशक प्रो. आर जैन ने तो किसी मेडिकल आफिसर से स्थितियों के बारे में फोन करके जानकारी तक नहीं मांगी। फिलहाल विश्व के शीर्ष विज्ञानी और बीएचयू वीसी प्रो.राकेश भटनाग के आवास का झंडा गायब रहा।     


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