...कोरोना ने रोके किसानों को हाथ, पहले बेमौसम बारिश की मार और अब ये


खेती को नहीं मिल रहे मजदूर, रबी सीजन को लेकर उड़ी अन्नदाताओं की नींद

जनसंदेश न्यूज
चिरईगांव। देश में कोविड-19 महामारी रोकने के लिए शासन-प्रशासन हर संभव उपाय कर रहा है। उसी के अंतर्गत लॉकडाउन भी जारी है। मानवीय त्रासदी की इन्हीं मुश्किलों के बीच खेती को लेकर किसानों के माथे पर बल पड़ गये हैं। मार्च के अंत से लेकर अप्रैल माह की शुरुआत में रबी सीजन की फसलों की बोआई समेत होने वाली कटाई-मढ़ाई प्रभावित होने का खतरा मंडराने लगा है। हालांकि मुख्यमंत्री ने किसानों को विभिन्न स्तर पर राहत देने का भरोसा दिया है।
हाल ही में हुई बेमौसम की मूसलाधार बारिश से खेतों में नमी बढ़ने से बोआई काफी पिछड़ गई थी। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा, कई बार हुई वर्षा संग छुट्टा पशुओं का दंश झेलकर अपनी पूंजी और सेठ-साहूकारों से कर्ज लेकर किसानों ने किसी तरह खाद, उर्वरक,जरूरी दवाओं का छिड़काव कर फसलों को तैयार किया है। उसके बावजूद गेहूं, चना, मटर के दाने काले पड़ चुके हैं।
इन विषम परिस्थितियों को देखते हुए कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्पादन पर काफी असर पड़ेगा। वहीं, रही-सही कसर को इस महामारी के चलते हुए लॉक डाउन से पूरा कर दिया। बाढ़ राहत एवं ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर शासन ने आपदा राहत का जो चेक बांटने के लिए लेखपालों को गांों में जाकर सूची तैयार करने के कहा था, वह लॉक डाउन के कारण फिलहाल रुक गया है।
किसानों ने उम्मीद लगायी था कि आपदा राहत का पैसा मिलने पर रोजमर्रा की सामग्री खरीदेंगे। उनकी यह तैयारी भी थम चुकी है। कमौली गांव के किसान धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दलहनी, तिलहनी फसलों की कटाई-मड़ाई प्रभावित हो रही है। रामचंदीपुर के बद्री नरायन यादव के अनुसार खेतों में तैयार हो चुकी सरसों और जौ की फसल की कटाई-मड़ाई वर्तमान हालात में संभव नहीं है।
विष्णुपुरा के किसान नंदलाल तिवारी का कहना है कि चना, मटर, सरसों पककर तैयार है लेकिन मजदूर न मिलने के चलते घर से ही कटाई कार्य हो रहा है। इसी प्रकार अन्य किसानों ने भी लॉक ड७ाउन का खेती पर पड़ रहे असर के बारे में बताया। उकथी गांव के प्रेम शंकर मौर्य ने बताया कि जायद सीजन की सब्जियां बोने का समय है। उसकी सोहाई-गोड़ाई के लिए श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं।
अन्य किसान राजेंद्र, भुल्लन, लालजी, रमाकांत बाबूराम आदि के मुताबिक रोजमर्रा की सामग्री खरीदने के लिए नकदी की आवश्यकता है। ऐसे समय में यदि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से ही धनराशि मिल जाती तो कुछ राहत की बात होती।
पशुचारा का संकट
लॉक डाउन के कारण वाहनों के पहिए थम जाने से ग्रामीण इलाकों में पशुओं के लिए चारा-दाना की उपलब्धता का संकट है। गांव के दुकानदारों के स्टॉक किसी भी समय खत्म हो सकते हैं। चारा के लिए लगने वाली मंडियां बंद होने से पशुपालक परेशान हैं।
सड़ रहे हैं फूल
आमजनता को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए लागू लॉक डाउन के कारण फूलों की खेती से जुड़े किसानों की नींद उड़ गयी है। मंदिरों के कपाट बंद हैं। वर्तमान में चल रही नवरात्रि में मंदिरों में दर्शन-पूजन नहीं हो रहा है। घरों में होने वाले अनुष्ठान के लिए आवश्यक फूल बाजार गांवों में ही डंप होकर सड़ रहे हैं।


 


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